अटल जयंती: ‘राशन कम मिला है – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Tue, 25 Dec 2018 05:38:35 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 अटल जयंती: ‘राशन कम मिला है, इसलिए भाषण कम देंगे http://www.shauryatimes.com/news/24227 Tue, 25 Dec 2018 05:38:35 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=24227 आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 95वीं जयंती है। अटल जी हमेशा अपनी गंभीर से गंभीर बात को भी सहजतापूर्वक और चुटीले अंदाज में कह देते थे। बात साल 1982 की है। सघन संगठन अभियान के तहत 3 अप्रैल 1982 को वाजपेयी जी सीतामढ़ी आए थे। सीतामढ़ी की सभा में अपना भाषण शुरू करने से पहले उन्होंने कहा था, ‘राशन कम मिला है, इसलिए भाषण कम देंगे’। उस समय पार्टी के तत्कालीन जिला संगठन मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता रामछबीला ठाकुर वाजपेयी जी के सहयोगी थे। श्री ठाकुर बताते हैं कि सघन संगठन अभियान के तहत 3 अप्रैल 1982 को वाजपेयी जी सीतामढ़ी आए थे। प्रदेश नेतृत्व से कहा गया था वाजपेयी जी वहीं जाएंगे, जहां पार्टी मद में एक लाख रुपए दिए जाएंगे।

प्रदेश नेतृत्व की बातों को सीतामढ़ी जिला ने स्वीकार किया और वाजपेयी जी बुलाने की आग्रह किया। कार्यकर्ताओं के अथक प्रयास के बावजूद महज 51 हजार रुपए जुटाए जा सके। तत्कालीन जिलाध्यक्ष बद्रीप्रसाद चौधरी की अध्यक्षता में आयोजित जनसंपर्क अभियान में वाजपेयी जी को 51 हजार रुपए का चेक तत्कालीन कोषाध्यक्ष ने दिया। वाजपेयी जी ने भाषण शुरू करने से पहले कहा ‘राशन कम मिला है, इसलिए भाषण कम देंगे’। यहां पढ़ें अटल जी के ऐसे ही भाषण…

* 1998 में परमाणु परीक्षण पर संसद में संबोधन – ”पोखरण-2 कोई आत्मश्लाघा के लिए नहीं था, कोई पुरुषार्थ के प्रकटीकरण के लिए नहीं था। लेकिन हमारी नीति है, और मैं समझता हूं कि देश की नीति है यह कि न्यूनतम अवरोध (डेटरेंट) होना चाहिए। वो विश्वसनीय भी होना चाहिए। इसलिए परीक्षण का फैसला किया गया।

* मई 2003 – संसद में – ”आप मित्र तो बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं।

* 23 जून 2003 – पेकिंग यूनिवर्सिटी में – ”कोई इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकता कि अच्छे पड़ोसियों के बीच सही मायने में भाईचारा कायम करने से पहले उन्हें अपनी बाड़ ठीक करने चाहिए।

* 1996 में लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए – यदि मैं पार्टी तोड़ू और सत्ता में आने के लिए नए गठबंधन बनाऊं तो मैं उस सत्ता को छूना भी पसंद नहीं करूंगा।

* जनवरी 2004 – इस्लामाबाद स्थित दक्षेस शिखर सम्मेलन में दक्षिण एशिया पर बातचीत करते हुए – ”परस्पर संदेह और तुच्छ प्रतिद्वंद्विताएं हमें भयभीत करती रही हैं। नतीजतन, हमारे क्षेत्र को शांति का लाभ नहीं मिल सका है। इतिहास हमें याद दिला सकता है, हमारा मार्गदर्शन कर सकता है, हमें शिक्षित कर सकता है या चेतावनी दे सकता है….इसे हमें बेड़ियों में नहीं जकड़ना चाहिए। हमें अब समग्र दृष्टि से आगे देखना होगा।

* 31 जनवरी 2004 – शांति एवं अहिंसा पर वैश्विक सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर प्रधानमंत्री का संबोधन – ”हमें भारत में विरासत के तौर पर एक महान सभ्यता मिली है, जिसका जीवन मंत्र ‘शांति’ और ‘भाईचारा रहा है। भारत अपने लंबे इतिहास में कभी आक्रांता राष्ट्र, औपनिवेशिक या वर्चस्ववादी नहीं रहा है। आधुनिक समय में हम अपने क्षेत्र एवं दुनिया भर में शांति, मित्रता एवं सहयोग में योगदान के अपने दायित्व के प्रति सजग हैं।

* 13 सितंबर 2003 – ‘दि हिंदू अखबार की 125वीं वर्षगांठ पर – ”प्रेस की आजादी भारतीय लोकतंत्र का अभिन्न हिस्सा है। इसे संविधान द्वारा संरक्षण मिला है। यह हमारी लोकतांत्रिक संस्कृति से ज्यादा मौलिक तरीके से सुरक्षित है। यह राष्ट्रीय संस्कृति न केवल विचारों एवं अभिव्यक्ति की आजादी का सम्मान करती है, बल्कि नजरियों की विविधता का भी पोषण किया है जो दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलता।

* 13 सितंबर 2003 – ‘दि हिंदू अखबार की 125वीं वर्षगांठ पर – ”किसी के विश्वास को लेकर उसे उत्पीड़ित करना या इस बात पर जोर देना कि सभी को एक खास नजरिया स्वीकार करना ही चाहिए, यह हमारे मूल्यों के लिए अज्ञात है।

* 23 अप्रैल 2003 – जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर संसद में – ”बंदूक किसी समस्या का समाधान नहीं कर सकती, पर भाईचारा कर सकता है। यदि हम इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत के तीन सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होकर आगे बढ़ें तो मुद्दे सुलझाए जा सकते हैं।

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