अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को सिविल न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी की बिक्री पर कई शर्तें लगा दी हैं। – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Sat, 05 Sep 2020 05:19:01 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने शहीद सैनिकों का किया अपमान, कहीं ये बात http://www.shauryatimes.com/news/82956 Sat, 05 Sep 2020 05:19:01 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=82956 अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) ने अलग अलग कार्यवाहियों में मारे गए अमेरिकी सैनिकों (American Soldier) को ‘लूज़र’ (Looser) और ‘सकर’ (Succer) कहकर उनका अपमान किया है. यह टिप्पणी पहली बार अटलांटिक पत्रिका में दर्ज की गई थी उसके बाद एसोसिएटेड प्रेस और फॉक्स न्यूज ने भी इसकी पुष्टि की. राष्ट्रपति और उनके सहयोगियों ने इस तरह की किसी टिप्पणी के करने से इंकार कर रहे हैं. लूज़र शब्द का अर्थ नाकारा या निकम्मा और सकर का अर्थ संसाधनों पर पलने वाले परजीवी है. राष्ट्रपति ट्रम्प की इस टिप्पणी के बाद नाराज अनेक पत्रकारों ने उन पर हमला बोला है.
मिलिट्री एक्शन में मारे गए सैनिकों का किया अपमान

प्रगतिशील समूह वोटवेट्स ने उन परिवारों का एक वीडियो पोस्ट किया है जिनके सदस्य मिलिट्री कार्यवाहियों में मारे गए हैं. एक परिवार ने अपनी नाराजगी दिखाते हुए कहा कि आप नहीं जान सकते कि बलिदान करना किसे कहते हैं. ईरान और अफगानिस्तान युद्ध में लड़ चुके अमरीकी सैनिक पॉल रिकहॉफ ने तरुम द्वारा की गई इस टिप्पणी पर एक ट्वीट में कहा कि ट्रम्प की इस टिप्पणी से कौन बहुत हैरान है. विश्लेषकों का मानना है कि दुबारा चुनाव लड़ रहे ट्रम्प की इस तरह की टिप्पणियां उनके लिए घातक हो सकती हैं क्योंकि उन्हें मिलिट्री वोटरों के वोट की बहुत जरुरत है.

ट्रंप ने पेरिस में मारे गए सैनिकों के लिए कहा था यह हारे लोगों से भरा कब्रिस्तान है
द अटलांटिक के अनुसार ट्रम्प ने 2018 में पेरिस के बाहरी इलाके में स्थित एक अमेरिकी कब्रिस्तान की यात्रा यह कहकर रद्द कर दी थी कि यह हारे हुए लोगों से भरा (Filled with losers) कब्रिस्तान है. चार विश्वसनीय सूत्रों ने पत्रिका को बताया कि ट्रम्प ने कब्रिस्तान जाने के विचार को इसलिए खारिज कर दिया क्योंकि उन्हें लगा कि उस वक़्त बाहर हो रही बारिश से उनके बाल ख़राब हो जाएंगे. उनके अनुसार अमेरिका के युद्द के मृतक इतने महत्वपूर्ण नहीं है कि उनके लिए इतना कुछ किया जाए. उसी यात्रा के दौरान राष्ट्रपति ट्रम्प ने कथित तौर पर बिलोवुड में मारे गए 1800 अमेरिकी सैनिकों को सकर कहा.

पेरिस पर जर्मन सैनिकों के हमले को रोकने गई थी अमेरिकी सेना

प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान इस लड़ाई से पेरिस पर जर्मन सैनिकों के हमले को रोकने में मदद मिली थी और इसे यूएस मरीन कॉर्प्स द्वारा सम्मानित किया गया है. व्हाइट हाउस ने इस यात्रा को रद्द करने की वजह खराब मौसम में राष्ट्रपति के हेलीकॉप्टर का खराब हो जाना बताया था. राष्ट्रपति ट्रम्प के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन की हाल में आई किताब में इसपूरे प्रकरण का जिक्र मिलता है.

दी अटलांटिक की रिपोर्टिंग गुमनाम स्रोतों पर आधारित थी लेकिन एसोसिएटेड प्रेस ने कहा कि उसने कई टिप्पणियों की पुष्टि की है और फॉक्स न्यूज की एक संवाददाता ने कहा कि उसने भी कुछ टिप्पणियों की पुष्टि की है.

ट्रम्प ने इसे फर्जी खबर बताया और केली पर लगाया ये आरोप…

ट्रम्प ने इसे फर्जी खबर बताते हुए इन रिपोर्टों को नकारा है. उन्होंने शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुएबताया कि इस कहानी का स्रोत व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ़ स्टाफ जॉन केली थे, जो इस नौकरी के दबाव को संभालने में असमर्थ थे.

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को उनकी पत्नी मेलानिया ने तब शर्मिंदगीपूर्ण स्थिति से लिया बचा…. http://www.shauryatimes.com/news/44361 Wed, 05 Jun 2019 05:08:41 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=44361 अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को उनकी पत्नी मेलानिया ने तब शर्मिंदगीपूर्ण स्थिति से बचा लिया जब वह बकिंघम पैलेस में उस प्रतिमा को पहचान नहीं पाए जिसे असल में उन्होंने ही पिछले साल महारानी को उपहार में दिया था. मीडिया में आई एक खबर में यह जानकारी दी गई. तीन दिन के राजकीय दौरे पर यहां आए ट्रंप को घोड़े की वह प्रतिमा दिखाई गई जो उन्होंने महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को जुलाई 2018 में मुलाकात के दौरान उपहार में दी थी. यह प्रतिमा दिखाकर उनसे पूछा गया कि क्या वह इसे पहचान पा रहे हैं. ‘इंडिपेंडेंट’ अखबार की खबर के अनुसार, असमंजस में फंसे ट्रंप ने जवाब दिया ‘‘नहीं’’.

हालांकि अमेरिका की प्रथम महिला मेलानिया ने तुरंत उनका बचाव करते हुए कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हमने महारानी को इसे दिया था.’’ यह वाकया तब हुआ जब 93 साल की महारानी सोमवार को अमेरिकी सामानों की प्रदर्शनी में राष्ट्रपति और उनकी पत्नी के साथ गई थीं.

महारानी के भाषण में ट्रंप को अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के महत्व पर संदेश

इस बीच महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सम्मान में दिये गये भोज समारोह में अपने भाषण में मेहमान राष्ट्रपति को यह परोक्ष संदेश दिया कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्थापित अंतरराष्ट्रीय संस्थान यह सुनिश्चित करने के लिए बनाये गये थे कि वह खौफनाक संघर्ष भविष्य में कभी दोहराया ना जाए. ब्रिटेन के मीडिया ने मंगलवार को यह खबर दी.

प्रधानमंत्री टेरिसा मे ने भी ट्रंप को अटलांटिक चार्टर की एक फ्रेम की गयी प्रति भेंट की जो तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल तथा तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रेंकलिन रूजवेल्ट के बीच 1941 में आजादी तथा सहयोग के लिए बनी सहमति पर आधारित सिद्धांत है. बीबीसी की खबर के अनुसार दोनों को राष्ट्रपति ट्रंप के लिए परोक्ष संदेश के तौर पर देखा जा रहा है जो संयुक्त राष्ट्र और उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) जैसे बहुपक्षीय संस्थानों के लिए अपनी घृणा बार-बार प्रकट कर चुके हैं.

93 वर्षीय महारानी ने बकिंघम पैलेस में अपने बैंक्विट भाषण में कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्थापित संस्थाओं का मूल उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि दुनिया सुरक्षित बने.

उन्होंने कहा, ‘‘हम 21वीं सदी में नयी चुनौतियों का सामना कर रहे है, ऐसे में डी-डे की बरसी हम सभी को वो सब याद दिलाती है जो हमारे देशों ने मिलकर हासिल किया है. द्वितीय विश्व युद्ध के साझा बलिदानों के बाद ब्रिटेन और अमेरिका ने अन्य मित्र देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय संस्थानों का एक संयोजन बनाने के लिए काम किया ताकि संघर्ष की भयावह स्थिति फिर न दोहराई जाए.’’

महारानी ने कहा, ‘‘दुनिया बदल गयी है, लेकिन हम इन संस्थाओं के मूल उद्देश्य को सदैव अपने मस्तिष्क में रखे हुए हैं. देश मिलकर उस शांति की सुरक्षा के लिए काम कर रहे हैं, जो बहुत मेहनत से हासिल हुई.’’ उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति महोदय, हम जब भविष्य की ओर देख रहे हैं तो मुझे विश्वास है कि हमारे समान मूल्य और साझा हित हमें जोड़े रखेंगे.’’ उन्होंने कहा कि आज हम अपने गठजोड़ की खुशी मना रहे हैं जिसने दशकों तक हम दोनों की जनता को सुरक्षा और समृद्धि सुनिश्चित करने में मदद की है और मेरा विश्वास है कि यह कई साल तक ऐसे ही चलती रहेगी.

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को एक ट्वीट कर जताया भरोसा, कहा- वो अपने वादे नहीं तोड़ेंगे http://www.shauryatimes.com/news/43057 Sun, 26 May 2019 05:28:42 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=43057 अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को एक ट्वीट कर भरोसा जताया कि उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन अपना वादा नहीं तोड़ेंगे. ट्रंप ने एक ट्वीट में लिखा, ‘उत्तर कोरिया ने कुछ छोटे हथियार चलाए हैं जिसने मेरे कुछ लोगों को परेशान किया है लेकिन मैं परेशान नहीं हूं. मुझे भरोसा है कि चेयरमैन किम ने जो वादे किए हैं, उन्हें वे पूरा करेंगे.’ अभी हाल में प्योंग्यांग की ओर से अपने मिसाइल कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के बारे में दक्षिण कोरिया के आशंका जताए जाने पर ट्रंप ने यह टिप्पणी की है. ऐसी खबरें हैं कि उत्तर कोरिया ने इस महीने की शुरुआत में मिसाइल परीक्षण किया था जिसके बाद दक्षिण कोरिया से उसके संबंधों में तनाव आ गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी इसी घटना का संज्ञान लिया है.

इससे पहले शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने कहा कि इस महीने की शुरुआत में उत्तर कोरिया के मिसाइल प्रक्षेपण ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन किया है. राष्ट्रपति ट्रंप ने शुरुआत में कहा कि 4 और 9 मई को हुए मिसाइलों के परीक्षण से वह ‘खुश नहीं’ हैं लेकिन फिर बाद में उन्होंने इसे गंभीरता से न लेकर इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दी.

ट्रंप ने अपने ट्वीट में कहा कि इस दुनिया में कोई भी चीज संभव है और मेरा मानना है कि किम जोंग उन उत्तर कोरिया की आर्थिक संभावनाओं को साकार कर रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि वह यह भी जानते हैं कि मैं उनके साथ हूं और वह मुझसे किए अपने वादे को नहीं तोड़ना चाहेंगे. दोनों देशों में करार होगा.

उधर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जापान के साथ अमेरिका के संबंधों को मजबूत करने और उत्तर कोरिया से बढ़ते खतरों पर चर्चा करने के लिए अपनी चार दिन की यात्रा पर शनिवार को टोक्यो पहुंचे हैं. जापान और अमेरिका के अधिकारियों ने ट्रंप और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के बीच के संबंध को खास बताते हुए इसकी तारीफ की है. दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध मजबूत करने के लिए दोनों नेता बातचीत करेंगे. ट्रप सोमवार को जापान के नए राजा नारूहितो से मुलाकात करेंगे. नारूहितो इस महीने की शुरुआत में जापान की राजगद्दी पर बैठे हैं. वहीं, आबे हाल ही में अमेरिका से लौटे हैं और ट्रंप भी करीब महीने भर बाद ओसाका में आयोजित होने वाले जी 20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के लिए दोबारा जापान आएंगे.

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘‘देश को संबोधित’’ किया और सीमा पर दीवार बनाने के लिए धन की जरूरत पर जोर दिया http://www.shauryatimes.com/news/26787 Wed, 09 Jan 2019 07:14:56 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=26787 अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार रात ‘‘देश को संबोधित’’ किया और सीमा पर दीवार बनाने के लिए धन की जरूरत पर जोर दिया. ओवल हाउस से पहली बार संबोधित करते हुए ट्रम्प ने आंशिक रूप से सरकार के कामकाज के ठप होने के बीच डेमोक्रेट्स पर दबाव बनाने के लिए सुरक्षा एवं मानवीय आधार पर कोष की मांग की.

अमेरिकी राष्ट्रपति ने डेमोक्रेट नेताओं से वापस व्हाइट हाउस आने और उसने मुलाकात करने की अपील करते हुए कहा कि ‘‘राजनेताओं का कुछ ना करना अनैतिक’’ है. ट्रम्प के देश को संबोधित करने से कुछ घंटे पहले व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा था, ‘‘हम सीमा सुरक्षा के लिए पर्याप्त कोष दिए बिना अपने देश को सुरक्षित नहीं रख सकते, जिसमें अवरोधक लगाना और कानून प्रवर्तन के लिए अधिक धन देना भी शामिल है.’’ 

प्रशासन ने मेक्सिको सीमा पर स्टील अवरोधक लगाने के लिए 5.7 अरब डॉलर सहित कई प्राथमिकताओं से निपटने के लिए अतिरिक्त कोष की मांग भी की है. इस बीच, व्हाइट हाउस की वरिष्ठ सलाहकार केल्यान कॉनवे ने कहा कि इस मामले में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करने पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है. 

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अगले साल की शुरुआत में किम जोंग उन के साथ दूसरी बैठक हो सकती है. http://www.shauryatimes.com/news/15134 Sat, 20 Oct 2018 07:33:02 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=15134 अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अगले साल की शुरू में उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन से दूसरी बार मुलाकात हो सकती है। यह बैठक कोरियाई प्रायद्वीप में परमाणु निरस्त्रीकरण के लक्ष्य को हासिल करने को लेकर होगी।अमेरिका के एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने व्हाइट हाउस में पत्रकारों को शुक्रवार को बताया कि अगले साल के शुरुआत में किसी भी समय बैठक होने की संभावना है। अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर यह जानकारी दी, क्योंकि बैठक के कार्यक्रम को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है। इस महीने की शुरुआत में विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने उत्तर कोरिया की चौथी बार यात्रा की। वह ट्रंप तथा किम के बीच दूसरी शिखर वार्ता के लिए जापान और दक्षिण कोरिया के साथ बातचीत कर रहे हैं।

बता दें कि ट्रंप और किम ने इस साल जून में सिंगापुर में ऐतिहासिक शिखर वार्ता की थी, जिसमें परमाणु निरस्त्रीकरण को लेकर उत्तर कोरिया ने सहमति जतायी गयी थी।

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को सिविल न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी की बिक्री पर कई शर्तें लगा दी हैं। http://www.shauryatimes.com/news/13810 Fri, 12 Oct 2018 07:46:01 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=13810 चीन और अमेरिका के बीच चल रहा तनाव एक बार फिर बढ़ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर सिविल न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी की बिक्री को लेकर कई शर्तें लगा दी हैं। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि चीन न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल कर सकता है, जिसके मद्देनजर ये कदम उठाया गया है। अमेरिका ने चीन पर आरोप लगाया है कि वह अमेरिकी प्रौद्योगिकियों को अवैध रूप से हासिल करने की कोशिश कर रहा है। बता दें कि पहले से ही ट्रेड वार के कारण दोनों के बीच रिश्तों में तनाव है। जानकारों का मानना है कि अमेरिका का यह कदम दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ाने का काम करेगा।

ऊर्जा विभाग के सचिव रिक पेरी ने कहा कि यूएस-चीन असैनिक परमाणु सहयोग द्वारा स्थापित नियमों के बाहर जाकर चीन परमाणु प्रौद्योगिकी प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है। हम राष्ट्रीय सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि चीन अवैध रूप से अमेरिकी कंपनियों से परमाणु सामग्री, उपकरण और उन्नत प्रौद्योगिकी प्राप्त करना चाहता है। सुरक्षा नीतियों के अनुसार, सिविल न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी की बिक्री के लिए एक स्पष्ट रूपरेखा स्थापित है, जिन्हें वर्तमान समय में सेना में परिवर्तन और प्रसार के कारण होल्ड पर रखा गया है।

अनुमान लगाया जा रहा है कि अमेरिका की नई नीति के मुताबिक, चीन के सामान्य परमाणु ऊर्जा समूह से संबंधित मौजूदा प्राधिकरणों को नए लाइसेंस आवेदन या एक्सटेंशन की अनुमति नहीं दी जाएगी। चीन पर अमेरिका परमाणु प्रौद्योगिकी की चोरी करने का आरोप लगा रहा है। एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कहा, ‘पिछले काफी दशकों से, चीन सरकार ने परमाणु टेक्नोलॉजी हासिल करने के लिए एक संचालित रणनीति बनाई हुई है।’

इन क्षेत्रों में न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी का उपयोग
ऊर्जा विभाग ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों के साथ-साथ दीर्घकालिक जोखिम को देखते हुए ये शर्तें आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि चीन इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल तीसरी पीढ़ी के न्यूक्लियर पॉवर सबमरीन, परमाणु संचालित एयरक्राफ्ट और परमाणु संचालित प्लेटफार्मों में, जैसे छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों और दक्षिण चीन सागर में तैरने वाले परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में करना चाहता है।

चीन पहले से ही कर रहा था परमाणु ऊर्जा का उपयोग
अमेरिकी आधिकारियों ने आरोप लगाया कि चीन पहले से ही दक्षिण चीन सागर में बनाए गए मानव निर्मित द्वीपों पर परमाणु ऊर्जा का उपयोग कर रहा था। अधिकारी ने कहा, ‘हम जानते हैं कि वे इन द्वीपों पर परमाणु संचालित बर्फबारी के लिए प्लेटफार्म विकसित कर रहे हैं, इन द्वीपों पर परमाणु ऊर्जा संयंत्र भी मौजूद हैं, जिसकी मदद से किसी भी प्लेटफॉर्म पर तेज़ी से तैनाती की जा सकती है।’ 2017 में, चीन ने अमेरिका से 170 मिलियन अमरीकी डॉलर की परमाणु प्रौद्योगिकी आयात की। अधिकारी ने कहा कि हम समझते हैं कि इससे अमेरिकी उद्योग पर अल्प अवधि के लिए असर पड़ सकता है और नुकसान हो सकता है। लेकिन लंबी अवधि में, इस नीति से देश को लाभ होगा और इनसे अमेरिकी परमाणु उद्योगों की रक्षा होगी।’
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