आजादी ही चाहते हैं कश्मीरी – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Fri, 22 Jun 2018 05:38:53 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 कांग्रेस नेता सोज बोले- सही है मुशर्रफ का बयान, आजादी ही चाहते हैं कश्मीरी http://www.shauryatimes.com/news/4019 Fri, 22 Jun 2018 05:38:53 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=4019 जम्मू-कश्मीर में मची राजनीतिक उथल-पुथल के बीच कांग्रेस के दिग्गज नेता सैफुद्दीन सोज़ ने बड़ा बयान दिया है. सैफुद्दीन सोज ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ के उस बयान का समर्थन किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर कश्मीरियों को मौका मिले तो वह किसी के साथ जाने के बजाय आजाद होना चाहेंगे. सोज़ का कहना है कि मुशर्रफ का एक दशक पहले दिया गया ये बयान आज भी कई मायनों में ठीक बैठता है. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि ये आजादी मिलना मुमकीन नहीं है. मेरे बयानों का पार्टी से लेना-देना नहीं है.जम्मू-कश्मीर में मची राजनीतिक उथल-पुथल के बीच कांग्रेस के दिग्गज नेता सैफुद्दीन सोज़ ने बड़ा बयान दिया है. सैफुद्दीन सोज ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ के उस बयान का समर्थन किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर कश्मीरियों को मौका मिले तो वह किसी के साथ जाने के बजाय आजाद होना चाहेंगे. सोज़ का कहना है कि मुशर्रफ का एक दशक पहले दिया गया ये बयान आज भी कई मायनों में ठीक बैठता है. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि ये आजादी मिलना मुमकीन नहीं है. मेरे बयानों का पार्टी से लेना-देना नहीं है.  आजतक से बात करते हुए यूपीए सरकार में मंत्री रह चुके सोज़ ने अपनी आने वाली किताब में इस बात पर भी जोर दिया है कि केंद्र सरकार को हुर्रियत नेताओं के साथ खुले तौर पर बात करनी चाहिए.  उन्होंने कहा है कि 1953 से आज तक जितनी भी सरकारें रही हैं उन्होंने कश्मीर मुद्दे में कोई ना कोई गलती की है, फिर चाहे वह नेहरू और इंदिरा गांधी की ही सरकार ही क्यों ना हो. आपको बता दें कि सैफुद्दीन सोज़ कश्मीर मुद्दे पर एक किताब ला रहे हैं जिसका नाम Kashmir: Glimpses of History and the Story of Struggle है. ये किताब अगले हफ्ते रिलीज़ होगी.  कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर केंद्र कश्मीर के मुद्दे को सुलझाना चाहता है कि उसे कश्मीरियों के प्रति एक ऐसा माहौल बनाना होगा जिससे वह सुरक्षित महसूस कर सकें और बातचीत को तैयार हो पाएं. बात करने के लिए हुर्रियत ग्रुप से पहले बात होनी चाहिए और उसके बाद मेनस्ट्रीम पार्टियों से बात होनी चाहिए.  कश्मीर मुद्दे पर मुशर्रफ-वाजपेयी-मनमोहन के फॉर्मूले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध बढ़ने चाहिए, आवाजाही बढ़नी चाहिए जब दोनों देशों के लोग करीब आएंगे तो ही बात बनेगी. उन्होंने बताया कि परवेज मुशर्रफ ने काफी हद तक अपने देश में इस तरह का माहौल बना लिया था कि ये ही एक रास्ता है जिससे शांति लाई जा सकती है.  केंद्र सरकारों ने कश्मीर में की गई गलतियां  धारा 370 के बारे में उन्होंने कहा कि भारत सरकार को इस बारे में पहले ही सोचना चाहिए था कि दिल्ली और शेख अब्दुल्ला के बीच 1952 में जो समझौता हुआ था वह सही तरीके से लागू नहीं हो पाया था. उन्होंने ये भी कहा कि उस दौरान नेहरू सरकार के द्वारा शेख अब्दुल्ला को गैरसंवैधानिक रूप से गिरफ्तार करना सबसे बड़ा ब्लंडर था. इस बात को नेहरू ने भी स्वीकार किया था कि कश्मीर में उनकी नीति सही नहीं गई थी.  इसके अलावा सैफुद्दीन सोज़ ने लिखा कि उसके बाद भी भारत सरकार से कई बड़ी गलतियां हुईं, जिसमें 1984 के दौरान फारूक अब्दुल्ला सरकार को हटाकर जगमोहन को राज्यपाल बनाना भी शामिल है.

आजतक से बात करते हुए यूपीए सरकार में मंत्री रह चुके सोज़ ने अपनी आने वाली किताब में इस बात पर भी जोर दिया है कि केंद्र सरकार को हुर्रियत नेताओं के साथ खुले तौर पर बात करनी चाहिए.

उन्होंने कहा है कि 1953 से आज तक जितनी भी सरकारें रही हैं उन्होंने कश्मीर मुद्दे में कोई ना कोई गलती की है, फिर चाहे वह नेहरू और इंदिरा गांधी की ही सरकार ही क्यों ना हो. आपको बता दें कि सैफुद्दीन सोज़ कश्मीर मुद्दे पर एक किताब ला रहे हैं जिसका नाम Kashmir: Glimpses of History and the Story of Struggle है. ये किताब अगले हफ्ते रिलीज़ होगी.

कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर केंद्र कश्मीर के मुद्दे को सुलझाना चाहता है कि उसे कश्मीरियों के प्रति एक ऐसा माहौल बनाना होगा जिससे वह सुरक्षित महसूस कर सकें और बातचीत को तैयार हो पाएं. बात करने के लिए हुर्रियत ग्रुप से पहले बात होनी चाहिए और उसके बाद मेनस्ट्रीम पार्टियों से बात होनी चाहिए.

कश्मीर मुद्दे पर मुशर्रफ-वाजपेयी-मनमोहन के फॉर्मूले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध बढ़ने चाहिए, आवाजाही बढ़नी चाहिए जब दोनों देशों के लोग करीब आएंगे तो ही बात बनेगी. उन्होंने बताया कि परवेज मुशर्रफ ने काफी हद तक अपने देश में इस तरह का माहौल बना लिया था कि ये ही एक रास्ता है जिससे शांति लाई जा सकती है.

धारा 370 के बारे में उन्होंने कहा कि भारत सरकार को इस बारे में पहले ही सोचना चाहिए था कि दिल्ली और शेख अब्दुल्ला के बीच 1952 में जो समझौता हुआ था वह सही तरीके से लागू नहीं हो पाया था. उन्होंने ये भी कहा कि उस दौरान नेहरू सरकार के द्वारा शेख अब्दुल्ला को गैरसंवैधानिक रूप से गिरफ्तार करना सबसे बड़ा ब्लंडर था. इस बात को नेहरू ने भी स्वीकार किया था कि कश्मीर में उनकी नीति सही नहीं गई थी.

इसके अलावा सैफुद्दीन सोज़ ने लिखा कि उसके बाद भी भारत सरकार से कई बड़ी गलतियां हुईं, जिसमें 1984 के दौरान फारूक अब्दुल्ला सरकार को हटाकर जगमोहन को राज्यपाल बनाना भी शामिल है.

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