इसकी कहानी…. – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Sat, 24 Oct 2020 06:45:31 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 बुसान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जाएगी ‘मट्टो की साइकिल’ फिल्म, इसकी कहानी…. http://www.shauryatimes.com/news/88023 Sat, 24 Oct 2020 06:45:31 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=88023 बतौर एक्टर प्रकाश झा की फिल्म ‘मट्टो की साइकिल’ को लेकर इसके डायरेक्टर एम गनी काफी एक्साइटेड हैं. यह उनकी पहली फिल्म है. एम गनी का कहना है कि फिल्म की कहानी रोजमर्रा के ऐसे लोगों पर आधारित है, जिनके संघर्षों को आमतौर पर समाज द्वारा नजरअंदाज कर दिया जाता है. फिल्म में प्रकाश झा ने मट्टो का किरदार निभाया है जोकि एक दिहाड़ी मजदूर है और मट्टो का परिवार उसके आने-जाने के लिए एक साइकिल खरीदना चाहता है.

बुसान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की ‘विंडो ऑन एशियन सिनेमा’ श्रेणी में इस फिल्म को शुक्रवार को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित किया गया. उत्तर प्रदेश के मथुरा से आने वाले गनी ने कहा कि फिल्म के नायक और लॉकडाउन के दौरान बड़े शहरों को छोड़कर वापस अपने घर पैदल ही जाने को मजबूर हुए श्रमिकों के बीच अजब सी समानता है.

मजदूरों पर आधारित फिल्म

45 साल के फिल्ममेकर एम गनी ने इंटरव्यू में कहा, “महामारी के दौरान जो लोग नंगे पैर ही अपने घरों को लौटने को मजबूर हुए, वे सभी हमारे आसपास हैं. जब हम घर बनाते हैं तो वे काम करते हैं, हम रोजमर्रा की जरूरतों का जो सामान उपयोग करते हैं, वे ही इन्हें बनाते हैं लेकिन हमने कभी ऐसे लोगों पर ध्यान नहीं दिया. इनका जीवन कितना संघर्षपूर्ण है, इस बात का अहसास हमें उस वक्त हुआ, जब हमने टीवी स्क्रीन पर बड़ी संख्या में लोगों को नंगे पांव अपने घरों को लौटते देखा.”

कई डॉक्युमेंट्री बना चुके है एम गनी

फीचर फिल्म बनाने से पहले गनी कई छोटी फिल्मों और डॉक्यूमेंट्री पर काम कर चुके हैं. फिल्म निर्देशक ने कहा कि मट्टो जैसे लोग हमारे इर्द-गिर्द हैं लेकिन इनकी कहानियों को समाज द्वारा नजरअंदाज कर दिया जाता है. गनी ने जब इस फिल्म के निर्माण का विचार किया तो उन्हें लगा कि अब शायद लोग साइकिल का इस्तेमाल नहीं करते लेकिन जब उन्होंने अध्ययन किया तो खुद को गलत पाया.

साइकिलों की बिक्री बढ़ी

एम गनी ने कहा, “दुकानदारों ने मुझे बताया कि आज भी मोटरसाइकिल और स्कूटर के मुकाबले साइकिलों की बिक्री अधिक होती है. थोड़ा बदलाव आया है लेकिन इनकी बिक्री में कोई कमी नहीं आयी है. यहां बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो आज भी साइकिल पर ही निर्भर हैं. साइकिल उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा है लेकिन हमने इस सच्चाई को नजरअंदाज कर दिया है. इसलिए ऐसी कहानियां हमारे आसपास हैं. इस फिल्म में सभी किरदार वास्तविक जीवन के लोगों पर ही आधारित हैं.”

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