ईरान के बाद इराक से भी तेल आयात के प्रभावित होने का खतरा – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Sat, 04 Jan 2020 06:18:39 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 ईरान के बाद इराक से भी तेल आयात के प्रभावित होने का खतरा http://www.shauryatimes.com/news/72454 Sat, 04 Jan 2020 06:18:39 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=72454 अमेरिकी प्रतिबंध की वजह से भारत पहले ही ईरान से तेल खरीदना बंद कर चुका है। अब खाड़ी क्षेत्र में जो ताजा स्थिति बनी है, उससे इराक से तेल खरीदना भी आसान नहीं दिख रहा है। ऐसे में ईरान के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी की मौत के बाद उपजी स्थिति पर बेहद सतर्क नजर रखी जा रही है। भारत को न सिर्फ अमेरिका और ईरान के बीच कूटनीतिक सामंजस्य बनाना है, बल्कि कच्चे तेल की आपूर्ति का भी इंतजाम करना है।

शुक्रवार को जिस तरह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में एक दिन में ही चार डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि हुई है वह भी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बुरी खबर है। महंगा कच्चा तेल आगामी बजट को भी प्रभावित करने की क्षमता रखता है। आर्थिक विकास दर की मौजूदा सुस्त रफ्तार (4.5 फीसद) को बढ़ाने में जुटी केंद्र सरकार के लिए यह सबसे बड़ा झटका साबित हो सकता है। इससे चालू खाते में घाटा (आयात बिल व निर्यात से होने वाली कमाई का अंतर) बढ़ सकती है जो घरेलू महंगाई को और हवा दे सकती है।

विदेश मंत्रालय ने खाड़ी के हालात पर संक्षिप्त बयान में कहा, ‘ईरान के वरिष्ठ नेता की अमेरिका द्वारा हत्या का हमने संज्ञान लिया है। जिस तरह से तनाव बढ़ा है, उससे पूरी दुनिया चिंतित है। इस क्षेत्र में शांति, स्थायित्व व सुरक्षा को भारत के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। यह जरूरी है कि हालात इससे ज्यादा न बिगड़े। भारत हमेशा से इस क्षेत्र में संयम बरतने का समर्थन करता है और अभी कर रहा है।’

भारत को हाल ही में ऐसी उम्मीद बंधी थी कि ईरान के साथ उसके रिश्तों को लेकर अमेरिका ज्यादा कड़ाई नहीं दिखा रहा है। पिछले महीने वाशिंगटन में भारत व अमेरिका के बीच हुई टू-प्लस-टू वार्ता (विदेश व रक्षा मंत्रियों की) में अफगानिस्तान व ईरान के हालात पर चर्चा हुई थी। उसमें भारत द्वारा ईरान में चाबहार पोर्ट का काम आगे बढ़ाने पर कोई आपत्ति दर्ज नहीं की गई थी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर अमेरिका के बाद ईरान गए थे जहां उनकी मुलाकात राष्ट्रपति व विदेश मंत्री से हुई थी।

चाबहार पोर्ट को अफगानिस्तान के भीतरी इलाके तक सड़क व रेल मार्ग से जोड़ने की परियोजना पर बात हुई थी। सूत्रों के मुताबिक भारत ने अमेरिका को बताया था कि उसने ईरान से तेल खरीदना पूरी तरह से बंद कर दिया है, लेकिन रणनीतिक हितों को देखते हुए ईरान के साथ दूसरी परियोजनाओं पर काम करने की अनुमति मिलनी चाहिए। अमेरिका इसके लिए रजामंद भी दिख रहा था। लेकिन अब नए हालात के मद्देनजर इस पर पानी फिरता नजर आ रहा है।

कच्चे तेल की दोहरी मार की आशंका

भारत की चिंता की सबसे बड़ी वजह यह है कि खाड़ी के हालात से कच्चे तेल की कीमतों में भारी इजाफा हो सकता है और इसकी आपूर्ति बाधित हो सकती है। ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद अमेरिका ने इराक से अपने नागरिकों को निकालना शुरू कर दिया है।

वहां के ऑयल ब्लॉक्स में काम प्रभावित होने की खबरें भी आने लगी हैं। यह भारत के लिए ज्यादा चिंता की बात है क्योंकि पिछले कुछ वर्षो में इराक भारत का सबसे भरोसेमंद व सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश बना है। वर्ष 2018 में भारत ने इराक से 23 अरब डॉलर का तेल खरीदा था। चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में 2.6 करोड़ टन तेल खरीदा है। दूसरी तरफ वर्ष 2018 में ईरान से 13 अरब डॉलर का तेल खरीदा गया था और अभी इसे पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। अगर अमेरिका व ईरान में युद्ध होता है तो इससे पूरा सामंजस्य बिगड़ेगा।

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