उत्तराखंड में राइन जैसी शाइन होगी गंगा – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Wed, 05 Jun 2019 05:22:06 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 उत्तराखंड में राइन जैसी शाइन होगी गंगा, मिल रहे सकारात्मक नतीजे http://www.shauryatimes.com/news/44367 Wed, 05 Jun 2019 05:22:06 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=44367  कहते हैं कि थोड़े-थोड़े प्रयास सभी करें तो मंजिल पर पहुंचना आसान हो जाता है। एक दौर में यूरोप की सबसे प्रदूषित नदियों में शुमार रही राइन को ही देख लीजिए, कोशिशें हुई तो आज यह दुनिया की सबसे साफ-सुथरी नदियों में शामिल है। राष्ट्रीय नदी गंगा को भी राइन जैसी स्वच्छ व निर्मल बनाने की केंद्र सरकार की मंशा है। इस क्रम में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत नमामि गंगे परियोजना शुरू की गई है। गंगा का उद्गम स्थल उत्तराखंड भी इसमें शामिल है। करीब सवा दो साल के वक्फे में हुए प्रयासों के कुछ-कुछ सकारात्मक नतीजे नजर भी आने लगे हैं।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों पर गौर करें तो गोमुख से लेकर ऋषिकेश तक गंगा के जल की गुणवत्ता उत्तम है। हालांकि, इसके बाद हरिद्वार तक थोड़ी दिक्कतें हैं, जिनके निदान को कवायद चल रही है। कोशिश रंग लाईं तो जल्द ही राज्य में गंगा भी राइन जैसी शाइन हो जाएगी।

क्या है नमामि गंगे परियोजना

गंगा सिर्फ एक नदी नहीं, बल्कि आस्था व संस्कारों की आत्मा है। बदलते वक्त की मार से यह नदी भी अछूती नहीं रह पाई और इसका आंचल मैला होता चला गया। इस सबके मद्देनजर ही गंगा की स्वच्छता एवं निर्मलता के लिए केंद्र सरकार ने जून 2014 में नमामि गंगे परियोजना की शुरुआत की। 

गंगा का उद्गम स्थल उत्तराखंड के गोमुख में है तो इस राज्य का परियोजना में शामिल होना स्वाभाविक था। राज्य में यह नदी गोमुख से लेकर हरिद्वार में उप्र की सीमा तक 405 किमी का सफर तय करती है। 

नमामि गंगे परियोजना के तहत अक्टूबर 2016 में उत्तराखंड में राज्य परियोजना प्रबंधन गु्रप (नमामि गंगे) का गठन हुआ। 2017 में राज्य में नमामि गंगे के तहत विभिन्न योजनाएं स्वीकृत की गईं।

परियोजना का उद्देश्य

गंगा के संरक्षण के लिए प्राथमिकता के आधार पर तीन तरह की गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित किया गया। लघु अवधि की गतिविधि के तहत नालों को आपस में जोडऩा व उपचार, एसटीपी उच्चीकरण, स्नान व शमशान घाटों का निर्माण, वनीकरण एवं जनजागरूकता, मध्य अवधि की गतिविधियों में नदी तट पर स्थित नगरों व गांवों में सीवरेज इन्फ्रास्ट्रक्चर की सुविधाएं और दीर्घावधि के तहत गंगा नदी बेसिन मैनेजमेंट प्लान को पूरी तरह लागू कर गंगा की निर्मल एवं अविरल धारा सुनिश्चित करने के कार्यक्रम तय किए गए। 

15 शहर किए गए हैं चिह्नित

परियोजना के तहत उत्तराखंड में 15 शहरों को चयनित किया गया है। इनमें बदरीनाथ, जोशीमठ, गोपेश्वर, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग, गौचर, कीर्तिनगर, मुनि की रेती, टिहरी, देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, श्रनीगर, ऋषिकेश व हरिद्वार शामिल हैं।

1121 करोड़ की योजनाएं

उत्तराखंड में नमामि गंगे के तहत 1121.67 करोड़ की लागत की योजनाएं स्वीकृत की गई हैं। इनमें मार्च 2017 में 17 और 2018 में दो योजनाएं मंजूर की गईं। योजना में गंगा किनारे बसे 13 नगरों में गंगा में गिरने वाले 59 नाले टैप कर नजदीकी एसटीपी से जोडऩे के साथ ही 31 नए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा देहरादून की रिस्पना और बिंदाल नदियों को प्रदूषण मुक्त करने को भी कार्य प्रस्तावित हैं। ये कार्य इस वर्ष तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है।

पांच संस्थाओं के पास है जिम्मा

नमामि गंगे के तहत एसटीपी निर्माण व नालों की टैपिंग का जिम्मा उत्तराखंड पेयजल निगम के पास है, जबकि घाट व श्मशान घाटों के निर्माण एवं सौंदर्यीकरण का जिम्मा बेबकॉस कंपनी और उत्तराखंड सिंचाई विभाग को दिया गया है। गंगा किनारे पौधरोपण की जिम्मेदारी वन विभाग को दी गई है, जबकि हरिद्वार में गंगा घाटों की सफाई का कार्य हरिद्वार नगर निगम के पास है।

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