उत्तराखंड: राजाजी टाइगर रिजर्व व उससे लगे रेलवे ट्रैक पर 29 हाथियों की ट्रेन से कटकर मौत हो चुकी – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Sat, 20 Apr 2019 10:09:09 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 उत्तराखंड: राजाजी टाइगर रिजर्व व उससे लगे रेलवे ट्रैक पर 29 हाथियों की ट्रेन से कटकर मौत हो चुकी http://www.shauryatimes.com/news/40354 Sat, 20 Apr 2019 10:09:09 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=40354  ट्रेन को पटरी पर दौड़ना है और जंगल से गुजर रहे ट्रैक से हाथियों को भी गुजरना है। यह दौड़ सुरक्षित बनी रहे, इसके लिए ही सामंजस्य बैठाना है, मगर उत्तराखंड में इसी मोर्चे पर सिस्टम अब तक सफल होता नहीं दिख रहा। नतीजा रेलवे टै्रक पार करते वक्त ट्रेन से कटकर हाथियों की मौत के रूप में सामने आ रहा है।

ऐसे में सवाल उठ रहा कि राष्ट्रीय विरासत पशु गजराज कब तक ऐसे ही काल-कवलित होते रहेंगे। इस लिहाज से देखें तो हर बार हादसा होने पर कुछ दिनों की सक्रियता के बाद वन महकमे की हाथियों की सुरक्षा को लेकर फिर से गहरी नींद में सोने की परिपाटी भी भारी पड़ रही है। यही कारण है कि रेलवे ट्रैक पर नियमित गश्त, सेंसर, रेलगाड़ी की गति सीमा जैसे तमाम बिंदुओं के मद्देनजर आज तक कोई ठोस पहल धरातल पर नहीं उतर पाई है।

गुजरे साढ़े तीन दशक के वक्फे को ही लें तो इस अवधि में राजाजी टाइगर रिजर्व व उससे लगे रेलवे ट्रैक पर 29 हाथियों की ट्रेन से कटकर मौत हो चुकी है। इसमें उत्तराखंड बनने के बाद से अब तक के 13 हाथी भी शामिल हैं।

शुक्रवार को हरिद्वार वन प्रभाग के अंतर्गत जमालपुर में ट्रेन से कटकर दो टस्करों की मौत के बाद फिजां में फिर से सवाल तैरने लगा है कि आखिर गजराज को कब तक ऐसे ही जान गंवानी पड़ेगी। असल में, यह पहला मौका नहीं है, जब ऐसा हादसा हुआ हो। नियमित अंतराल में ट्रेन से कटकर हाथियों की जान जाने के बाद सुरक्षा इंतजामों का दावा किया जाता है, मगर नतीजा ढाक के तीन पात वाला ही रहता है। 

हरिद्वार-देहरादून ट्रैक पर सर्वाधिक हादसे 

एलीफेंट टास्क फोर्स (ईटीएफ) के आंकड़ों पर ही नजर दौड़ाएं तो उत्तराखंड में हाथियों की सबसे अधिक मौत हरिद्वार-देहरादून रेलवे ट्रैक पर हो रही हैं। इनमें भी राजाजी टाइगर रिजर्व के अंतर्गत मोतीचूर व कांसरो ऐसे स्थल हैं, जहां सबसे ज्यादा हादसे हुए हैं। 

हालांकि, शुक्रवार को जमालपुर में आबादी के नजदीक हुए हादसे ने महकमे को चौंका दिया है। मोतीचूर व कांसरो तो जंगल के बीच हैं, मगर जमालपुर के इर्द-गिर्द आबादी है। ऐसे में यह घटना हाथी-मानव संघर्ष की तरफ भी इशारा कर रही है। 

हवाई साबित हो रहे सुरक्षा के दावे 

रेलवे ट्रैक पर हादसे में गजराज की मौत के बाद हर बार ही वन्यजीव महकमा हाथियों की सुरक्षा के इंतजाम के दावे तो करता है, मगर कुछ समय बाद फिर हादसा होने से इनकी कलई खुलकर सामने आ जाती है। हाथी सुरक्षा के मद्देनजर पूर्व में रेलवे ट्रैक के इर्दगिर्द साफ-सफाई रखने, ट्रेन की रफ्तार 30 किमी प्रति घंटा रखने, वनकर्मियों की नियमित गश्त रखने, ट्रैक पर हाथियों की मौजूदगी बताने वाले सेंसर लगाने समेत अन्य कई सुरक्षा इंतजाम की बात पूर्व में हुई। अभी तक इसके अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आ पा रहे। ऐसे में हाथियों को रेलवे ट्रैक पार करते वक्त मौत को गले लगाना पड़ रहा है। 

कारणों का पता लगाने को होगी जांच 

हरिद्वार के जमालपुर में हुए हादसे ने वन महकमे की पेशानी पर बल डाल दिए हैं। मुख्य वन संरक्षक (गढ़वाल) जीएस पांडे के मुताबिक जमालपुर हादसे के मद्देनजर विभाग स्तर से भी जांच कराई जाएगी, ताकि कारणों का पता लग सके। उन्होंने बताया कि ट्रेन से कटकर हाथियों को जान न गंवानी पड़े, इसके लिए जल्द ही रेलवे के अधिकारियों के साथ बैठक कर ठोस रास्ता निकाला जाएगा। उन्होंने कहा कि ऐसे हादसे रोकने के लिए अब पूरी गंभीरता से कदम उठाए जाएंगे। साथ ही इनकी लगातार मॉनीटङ्क्षरग भी की जाएगी। 

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