कंपनी ने वेबसाइट से हटाया – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Fri, 01 Feb 2019 08:51:34 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 नियमों में बदलाव के बाद Amazon पर अब नहीं मिलेंगे ये सामान, कंपनी ने वेबसाइट से हटाया http://www.shauryatimes.com/news/30211 Fri, 01 Feb 2019 08:51:34 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=30211 सरकार ने E-Commerce कंपनियों में FDI को लेकर राहत देने से इनकार कर दिया. आज से यह नियम लागू हो गया है. नए नियम के बाद Amazon ने अपनी वेबसाइट से कई प्रोडक्ट को हटा दिया है. वेबसाइट से ईको स्पीकर्स, बैटरियां और फर्श की सफाई करने वाले उत्पादों को हटा दिया गया है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, अमेजन ने गुरुवार से ही अपनी वेबसाइट से प्रोडक्ट को हटाना शुरू कर दिया है.

सरकार के इस फैसले से अमेजन के अलावा वॉलमार्ट अधिग्रहति Flipkart पर काफी असर पड़ा है. नए नियम के मुताबिक ई-कॉमर्स कंपनियां अब उन वेंडर के माध्यम से उत्पादों को नहीं बेच सकती हैं, जिनमें उन्होंने खुद इंवेस्ट किया हो. इसके अलावा एक्सक्लूसिव अवेलेबल सिस्टम को भी खत्म किया गया है.

अब अमेजन पर Cloudtail द्वारा बेचे जा रहे प्रोडक्ट नहीं मिलेंगे, क्योंकि इसमें कंपनी ने इंवेस्ट किया है. इसके अलावा Shoppers Stop के प्रोडक्ट भी यहां नहीं मिलेंगे. अमेजन का इंवेस्टमेंट Appario, Patni Group, Catamaran venture जैसी कंपनियों में भी है.

फिलहाल अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनियां जो सामान अपनी वेबसाइट पर बेचती थी उसमें उनकी सहयोगी कंपनियों की ओर से सप्लाई किए जाने वाले प्रोडक्ट भी होते थे. कई बार इसकी वजह से भी कीमतों को प्रभावित कर सस्ता सामान बेचा जाता है. इसीलिए, अब ई-कॉमर्स कंपनियों की मैन्यूफैक्चरर्स के साथ होने वाली एक्सक्लूसिव प्रोडक्ट लॉन्च या सेल की डील भी नहीं हो सकेगी, क्योंकि नए नियमों में इसकी मनाही है.

ऐसे में मुमकिन है कि ई-कॉमर्स कंपनियां कोई और रास्ता निकलता न देख या तो सप्लायर्स को सामान वापस लौटाएं या फिर भारी डिस्काउंट पर बिक्री कर स्टॉक खत्म करें. सरकार ने 26 दिसंबर को सफाई जारी कर ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए सख्ती बढ़ा दी थी. घरेलू कारोबारियों का आरोप था कि ई-कॉमर्स कंपनियां विदेशी फंडिंग के दाम पर भारी डिस्काउंट देती हैं. साथ ही सप्लायर्स पर भी दबाव बनाकर कीमतों को प्रभावित करती हैं जिससे छोटे कारोबारियों की आमदनी घट रही है.

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