केंद्र सरकार ने वर्षों से लटके पड़े शाहपुर कंडी डैम को नेशनल प्रोजेक्ट के रूप में बनाने के लिए मंजूरी दे दी – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Sat, 22 Dec 2018 11:28:34 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 केंद्र सरकार ने वर्षों से लटके पड़े शाहपुर कंडी डैम को नेशनल प्रोजेक्ट के रूप में बनाने के लिए मंजूरी दे दी http://www.shauryatimes.com/news/23869 Sat, 22 Dec 2018 11:28:34 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=23869 केंद्र सरकार ने शाहपुर कंडी डैम नेशनल प्रोजेक्ट के रूप में बनाने के लिए मंजूरी दे दी है। 19 दिसंबर को नोटिफिकेशन जारी करके पंजाब सरकार और जम्मू-कश्मीर सरकार को भेज दिया गया है। सालों से लटके हुए इस प्रोजेक्ट को बनाने के लिए अब रास्ता साफ हो गया है। इस पर कुल 2715.70 करोड़ रुपये खर्च होने हैं, जिसमें से 26.6 फीसद हिस्सा सिंचाई विभाग का है और शेष बिजली विभाग का।

सिंचाई वाले हिस्से का 90 फीसद हिस्सा केंद्र सरकार देगी, जबकि दस फीसद पंजाब सरकार को खर्च करना पड़ेगा। बिजली के क्षेत्र पर आने वाला पूरा खर्च पावरकॉम की ओर से वहन किया जाएगा, जो कि लगभग 1409 करोड़ रुपये का है। जल संसाधन मंत्रालय ने इस संबंधी ऑफिस मेमोरंडम जारी करते हुए स्पष्ट किया कि 2018-19 से लेकर 2022-23 तक चरणबद्ध तरीके से 485 करोड़ रुपये की राशि मुहैया करवाई जाएगी।

2021 तक मुख्य डैम बनेगा

जल संसाधन मंत्रालय ने कहा कि मुख्य डैम अक्टूबर 2021 तक पूरा होगा। रावी कनाल और कश्मीर कनाल का साइफन भी इस दौरान तैयार कर दिए जाएंगे। प्रोजेक्ट जून 2022 में पूरा हो जाएगा।

सालों से लटका है प्रोजेक्ट

दोनों राज्यों के बीच 1979 को रंजीत सागर डैम (आरएसडी) और डाउन स्ट्रीम पर शाहपुर कंडी बैराज बनाने के लिए समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत जम्मू-कश्मीर को 1150 क्यूसेक पानी और 20 फीसद बिजली मुहैया करवाई जानी थी। पहले तो सालों लंबित रहने के बाद आरएसडी ही पूरा हुआ और बीस साल से शाहपुर कंडी बैराज के पूरा होने को लेकर दिक्कतें आ रही हैं। शाहपुर कंडी बैराज को लेकर पंजाब और जम्मू-कश्मीर सरकार में विवाद बढ़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस प्रोजेक्ट को पूरा करवाने के मामले में हस्तक्षेप किया हुआ है।

बीते साल पंजाब व जम्मू-कश्मीर में हुआ समझौता

पिछले साल तीन मार्च 2017 को पंजाब और जम्मू-कश्मीर के बीच फिर से समझौता हुआ। पंजाब ने जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से रखी गई सभी शर्तें मान लीं जिसमें पानी, बिजली देना, युवाओं को रोजगार देना, जमीन का मुआवजा देना शामिल थीं। अब जबकि यह प्रोजेक्ट शुरू ही होने वाला था कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने इसके कंट्रोल की एक नई शर्त रख दी जिसे अक्टूबर में निपटा लिया गया।

यह है प्रोजेक्ट

रावी नदी पर बने रंजीत सागर डैम से बिजली बनाने के बाद छोड़े गए पानी को शाहपुर कंडी में बैराज बनाकर इकट्ठा किया जाना है। यहीं पर 206 मेगावाट के छोटे पावर प्लांट भी लगने हैं। रोके गए पानी को नए सिरे से चैनलाइज करके जम्मू-कश्मीर और पंजाब को दिया जाना है।

इसके न बनने से नुकसान

600 मेगावाट का रंजीत सागर बांध यदि पूरी क्षमता से चलाया जाए तो छोड़े गए पानी को संभालने के लिए माधोपुर हैडवर्क्स में क्षमता नहीं है। इसलिए डैम को आधी क्षमता पर चलाना पड़ता है, अन्यथा पानी रावी नदी में छोडऩा पड़ता है जो पाकिस्तान चला जाता है। यदि शाहपुर कंडी बैराज बन जाए तो रावी डैम से छोड़े गए पानी को यहां रोका जा सकता है और फिर से इसे चैनलाइज करके जम्मू और पंजाब को सप्लाई किया जा सकता है। बैराज के न होने से जहां रंजीत सागर डैम आधी क्षमता पर चल रहा है, वहीं 35 हजार हेक्टेयर जमीन को नहरी पानी भी उपलब्ध नहीं हो रहा है।

पंजाब का हिस्सा घटाने की मांग स्वीकृत

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से शाहपुर कंडी डैम प्रोजेक्ट में राज्य के योगदान को घटाने संबंधी की गई अपील केंद्र सरकार ने स्वीकार कर ली है। अब केंद्र ने रावी पर इस प्रोजेक्ट में अपना हिस्सा 60 से बढ़ाकर 86 प्रतिशत कर दिया है। इसमें पंजाब का हिस्सा केवल 14 प्रतिशत रह गया है।

सीएम बोले- इससे राज्य के करीब 150 करोड़ रुपये बचेंगे

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि इस प्रोजेक्ट से राज्य की सिंचाई क्षमता कई गुणा अधिक हो जाएगी। मांग स्वीकार करने के लिए केंद्र सरकार का धन्यवाद। इससे राज्य के करीब 150 करोड़ रुपये बचेंगे।

किस पर कितना खर्च

सिंचाई कंपोनेंट 776.96 करोड़

पावर कंपोनेंट 1938.74 करोड़

चीफ इंजीनियरों की बनेगी कमेटी

शाहपुर कंडी प्रोजेक्ट पर निगरानी रखने के लिए पंजाब और जम्मू-कश्मीर के संबंधित चीफ इंजीनियरों और अन्य संबंधित अधिकारियों की कमेटी बनाई जाएगी। यह कमेटी प्रोजेक्ट लागू करने पर निगरानी रखेगी और यह यकीनी बनाएगी कि इसका निर्माण दोनों राज्यों में हुए समझौते के अनुसार हो। यह केंद्रीय जल आयोग के सदस्य के नेतृत्व वाली कमेटी से अलग होगी।

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