केजरीवाल सरकार की याचिका पर आज आएगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Thu, 14 Feb 2019 05:15:12 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 कौन होगा दिल्ली का ‘बॉस’, केजरीवाल सरकार की याचिका पर आज आएगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला http://www.shauryatimes.com/news/32067 Thu, 14 Feb 2019 05:15:12 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=32067  दिल्ली में सीनियर अफसरों पर नियंत्रण के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा. सीनियर अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार फिलहाल उपराज्यपाल (लेफ्टिनेंट गवर्नर) के पास है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सीकरी और अशोक भूषण की बेंच एसीबी के अधिकार क्षेत्र पर भी फैसला सुनाएगी. 

सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार ने याचिका दायर कर दिल्ली में वरिष्ठ अधिकारियों के तबादले का अधिकार केन्द्र की बजाय दिल्ली सरकार के पास होने की मांग की थी. साथ ही एक और याचिका दायर कर दिल्ली की एंटी करप्शन ब्रांच के अधिकार क्षेत्र का दायरा बढ़ाकर इसमें केन्द्र सरकार से जुड़े मसलों पर भी कार्रवाई करने के अधिकार की मांग की थी. ये याचिकाएं दिल्ली हाईकोर्ट के फ़ैसलों के ख़िलाफ़ दायर की गई थीं, जिनमें हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार की इन मांगों को ठुकराते हुए फैसला केन्द्र सरकर के हक़ में सुनाया था.

ये है विवाद –
*केंद्र सरकार का 21 मई 2015 का नोटिफिकेशन- होम मिनिस्ट्री के 21 मई के नोटिफिकेशन जारी किया था. नोटिफिकेशन के तहत एलजी के अधिकार क्षेत्र के तहत सर्विस मैटर, पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और लैंड से संबंधित मामले को रखा गया है. इसमें ब्यूरेक्रेट के सर्विस से संबंधित मामले भी शामिल हैं.

*केंद्र सरकार का 23 जुलाई 2015 का नोटिफिकेशन- केंद्र सरकार द्वारा 23 जुलाई 2014 को जारी किए गए नोटिफिकेशन को भी चुनौती दी है. नोटिफिकेशन के तहत दिल्ली सरकार के एग्जेक्युटिव पावर को लिमिट किया गया है और दिल्ली सरकार के एंटी करप्शन ब्रांच का अधिकार क्षेत्र दिल्ली सरकार के अधिकारियों तक सीमित किया गया था. इस जांच के दायरे से केंद्र सरकार के अधिकारियों को बाहर कर दिया गया था.

दरअसल, पिछले साल 4 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने संविधान के अनुच्छेद-239 एए पर व्याख्या की थी. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि दिल्ली में उपराज्यपाल दिल्ली सरकार के मंत्री परिषद की सलाह से काम करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने एलजी के अधिकार को सीमित कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि एलजी स्वतंत्र तौर पर काम नहीं करेंगे, अगर कोई अपवाद है तो वह मामले को राष्ट्रपति को रेफर कर सकते हैं और जो फैसला राष्ट्रपति लेंगे, उस पर अमल करेंगे.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार की ओर से मामले को उठाया गया और कहा गया कि सर्विसेज और एंटी करप्शन ब्रांच जैसे मामले में गतिरोध कायम है ऐसे में इस मुद्दे पर सुनवाई की जरूरत है.

केंद्र सरकार ने 23 जुलाई 2014 को नोटिफिकेशन जारी की थी. हाईकोर्ट में दिल्ली सरकार ने उक्त नोटिफिकेशन को चुनौती दी थी जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट में आ गया. केन्द्र सरकार की ओरसे दलील दी गई थी कि एलजी को केंद्र ने अधिकार प्रदान कर रखे हैं. सिविल सर्विसेज का मामला एलजी के हाथ में है क्योंकि ये अधिकार राष्ट्रपति ने एलजी को दिया है. चीफ सेक्रेटरी की नियुक्ति आदि का मामला एलजी ही तय करेंगे. दिल्ली के एलजी की पावर अन्य राज्यों के राज्यपाल के अधिकार से अलग है. संविधान के तहत गवर्नर को विशेषाधिकार मिला हुआ है.

वहीं, दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने कहा था कि एलजी को कैबिनेट की सलाह पर काम करना है. जैसे ही जॉइंट कैडर के अधिकारी की पोस्टिंग दिल्ली में हो, तभी वह दिल्ली एडमिनिस्ट्रेशन के अंदर आ जाता है. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि एंटी करप्शन ब्रांच दिल्ली सरकार के दायरे में होना चाहिए क्योंकि सीआरपीसी में ऐसा प्रावधान है. ग़ौरतलब है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य की दर्जा हासिल नहीं है, यह केन्द्र शासित प्रदेश है जिसपर काफ़ी हद तक केन्द्र का नियंत्रण है.

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