केरल विधानसभा में संशोधित नागरिकता कानून को वापस लेने की मांग वाला प्रस्ताव पारित – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Tue, 31 Dec 2019 08:50:20 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 केरल विधानसभा में संशोधित नागरिकता कानून को वापस लेने की मांग वाला प्रस्ताव पारित http://www.shauryatimes.com/news/71916 Tue, 31 Dec 2019 08:50:20 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=71916 केरल विधानसभा में नागरिकता संशोधन एक्‍ट को वापस लेने की मांग वाले एक प्रस्‍ताव को पारित किया है।  माकपा नीत सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) और कांग्रेस नीत विपक्षी संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने केरल विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव का समर्थन किया। सिर्फ भाजपा सदस्य इसका विरोध करते नजर आए।

इससे पहले केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने नागरिकता संशोधन एक्‍ट (सीएए) को वापस लेने की मांग करते हुए राज्य विधानसभा में इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव लाए। पिनराई विजयन ने विधानसभा में कहा कि मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि केरल में कोई भी डिटेंशन सेंटर नहीं बनेगा। बता दें कि पिनराई विजयन ने कहा है कि वह नागरिकता संशोधन कानून को केरल में लागू नहीं होने देंगे। हालांकि, गृह मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि कोई भी राज्‍य इस कानून को लागू करने से मना नहीं कर सकता है। राज्‍यों को हर हाल में नागरिकता संशोधन कानून को लागू करना ही पड़ेगा।

केरल के मुख्यमंत्री ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विधानसभा में विरोध किया। इनका समर्थन कांग्रेस के नेता वीडी सथेन, केरल के जेम्स मैथ्यू और सीपीआई के सी दिवाकरन ने भी किया। इस पर भारतीय जनता पार्टी के विधायक ओ राजगोपाल ने सीएम द्वारा नागरिकता संसोधन बिल का विरोध करने पर विधानसभा में कहा- यह छोटी राजनीतिक मानसिकता दिखाता है।

नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्‍ताव पेश करते हुए मुख्‍यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि केरल का धर्मनिरपेक्षता का एक लंबा इतिहास रहा है। यहां यूनानी, रोमन, अरब और अन्‍य कई देशों से केरल की धरती पर लोग आए। ईसाई और मुसलमान भी शुरुआती समय में केरल पहुंचे। हमारी परंपरा समावेशिता की है। ऐसे में हमारी विधानसभा को परंपरा को जीवित रखने की जरूरत है। इसलिए केरल में कोई भी डिटेंशन सेंटर कभी नहीं बनेगा।

वैसे बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून पर विरोध बेवजह है। इस कानून को लेकर सोशल मीडिया पर काफी भ्रम फैलाया जा रहा है। इस कानून से भारत के किसी भी धर्म के शख्‍स की नागरिकता नहीं छीनी जाएगी। ये कानून सिर्फ पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश और अफगानिस्‍तान में रहने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन और ईसाई धर्म के शोषित लोगों को भारत की नागरिकता हासिल करने की राह आसान करता है। भारत के मुस्लिमों या किसी भी धर्म और समुदाय के लोगों की नागरिकता को इस कानून से खतरा नहीं है।

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