कोहरे में भी फर्राटे से दौड़ेगी – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Mon, 10 Feb 2020 11:32:05 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 खतरा देख खुद-ब-खुद रुक जाएगी ट्रेन, कोहरे में भी फर्राटे से दौड़ेगी http://www.shauryatimes.com/news/77628 Mon, 10 Feb 2020 11:32:05 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=77628 सिग्नलिंग में लापरवाही के चलते आने वाले दिनों में न तो रेल हादसे होंगे और न कोहरे की वजह से ट्रेन लेट होगी। भारतीय रेलवे ने विदेश में सफल साबित हो चुकी कैब सिग्नलिंग प्रणाली को हरी झंडी दे दी है। आम बजट में उत्तर मध्य रेलवे ने कैब सिग्नलिंग प्रणाली के लिए लगभग एक हजार करोड़ रुपये आवंटित किया है। सबसे पहले यह प्रणाली देश के सर्वाधिक व्यस्त नई दिल्ली हावड़ा रूट पर प्रयोग की जाएगी। यह ऐसी प्रणाली है, जिसमें एक ओर जहां खतरा देख ट्रेन खुद ब खुद रुक जाएंगी, वहीं भयंकर कोहरे में भी पूरी रफ्तार से दम भरेगी।

रेलवे अपना रही कैब सिग्नलिंग

उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अजीत कुमार सिंह ने बताया कि रेलवे ने कैब सिग्नलिंग को अपनाने का फैसला किया है। यह तकनीक सबसे पहले नई दिल्ली-हावड़ा रेल रूट पर प्रयोग में लाई जाएगी। इस रूट की गति सीमा को 130 किमी प्रतिघंटा से बढ़ाकर 160 किमी प्रतिघंटा किया जाना है। सात हजार करोड़ रुपये वाली इस परियोजना में करीब तीन सौ करोड़ रुपये कैब सिग्नलिंग में खर्च होंगे। इसके अलावा उत्तर मध्य रेलवे को कैब सिग्नलिंग के लिए अलग से 700 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। योजनाबद्ध तरीके से रेलवे जोन के विभिन्न मंडलों में आवश्यकता के अनुसार इस प्रणाली को विकसित किया जाएगा।

क्या होती है कैब सिग्नलिंग

भारत में कोहरे के दौरान इन ट्रैक साइड सिग्नल दूर से नहीं दिखाई पड़ते। इसकी वजह से ट्रेनों की गति प्रभावित होती है, जिससे ट्रेन लेट होती हैं। सिग्नलिंग में लापरवाही की वजह से कई रेल हादसे हो चुके हैं। जर्मनी, चीन और जापान जैसे देशों में ट्रेनों का संचालन कैब सिग्नलिंग प्रणाली पर आधारित है। इस सिस्टम में चालक को रेल इंजन के अंदर ही सिग्नल प्रणाली एक डिस्प्ले बोर्ड पर दिखाई देती है। कोहरे की स्थिति में ड्राइवर बेखौफ होकर ट्रेन चला सकते हैं। अगर किसी कारण से ड्राइवर सिग्नल नियमों का पालन नहीं करता तो माइक्रो प्रोसेसर ट्रेन में स्वत: ब्रेक लगा देगा।

भारत विकसित कर चुका है खुद का सिस्टम

विदेश कैब सिग्लनिंग का अध्ययन करने के बाद भारतीय रेल ने तीन स्वदेशी कंपनियों के साथ मिलकर ट्रेन प्रोटेक्शन सिग्नलिंग सिस्टम (टीकैस) किया है। तीन साल पहले इसका हैदराबाद में सफल ट्रायल भी हो चुका है। इस सिस्टम में सिग्नलिंग संबंधित जमीनी सूचनाएं लोकोमोटिव कैब में रेडियो कम्युनिकेशन की मदद से पहुंचाई जाती हैं। चालक को यूजर फ्रेंडली मॉनीटर पर यह पता चलता रहता है कि कहां किस स्पीड पर ट्रेन चलानी है और कहां रुकना है।

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