गर्म हो रही धरती – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Sun, 03 Nov 2019 04:57:38 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 मिलने लगे अशुभ संकेत,गर्म हो रही धरती, नहीं चेते तो खतरे में पड़ेगी इंसानी आबादी http://www.shauryatimes.com/news/62967 Sun, 03 Nov 2019 04:57:38 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=62967 दुनिया भर के वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते हमारे ग्रह धरती पर भयावह बदलाव दिखाई देने लगे हैं जो न तो इंसानियत, और न ही हमारे ग्रह के लिए शुभ संकेत हैं। इंसानी गतिविधियों के चलते बढ़ते कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन ने धरती का तापमान बढ़ा दिया है। जंगल कट रहे हैं। जैव विविधता कम हो रही है। इससे मौसम चक्र गड़बड़ा गया है। अति मौसमी दशाओं की प्रवृत्ति और आवृत्ति में इजाफा हुआ है। ध्रुवों की बर्फ तेजी से पिघलने लगी है लिहाजा दुनिया में समुद्र तल में वृद्धि दिखने लगी है। वैज्ञानिकों ने चेताया है कि यदि ऐसा ही चलता रहा तो धरती रहने लायक नहीं बचेगी…

क्या है क्लाइमेट चेंज

भौगोलिक समय के साथ धरती की जलवायु तेजी से बदल रही है। दुनिया का औसत तापमान वर्तमान में 15 डिग्री सेल्सियस है, लेकिन भौगोलिक प्रमाण बताते हैं कि पूर्व में यह औसत बहुत कम या बहुत ज्यादा रह चुका है। हालांकि वर्तमान में होने वाली वार्मिंग पिछली घटनाओं से ज्यादा तेज हो रही है। वैज्ञानिक बिरादरी इस बात को लेकर आशंकित है इंसानी गतिविधियों से यह परिवर्तन दिनोंदिन तेज होता जा रहा है।

गर्म वर्षों की बढ़ रही संख्या

ग्लोबल वार्मिंग के चलते हर आने वाला साल पिछले साल से ज्यादा गर्म होता जा रहा है। 2019 भी अब तक के तीन सबसे गर्म सालों में शुमार होने के कगार पर पहुंचता जा रहा है। विश्व मौसम संगठन के अनुसार औद्योगिक क्रांति के समय से दुनिया अब तक एक डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म हो चुकी है। 2018 के पहले 10 महीनों का वैश्विक औसत तापमान 0.98 सेल्सियस 1850-1900 के स्तर से अधिक रहा। पिछले 22 साल में 20 सबसे गर्म साल रहे हैं। हर आने वाला साल बीते साल के मुकाबले ज्यादा गर्म होने का रिकॉर्ड बना रहा है।

क्या है ग्रीन हाउस गैस प्रभाव

सूर्य की प्रकाश किरणें जब धरती पर पड़ती हैं, उनका अधिकांश हिस्सा वायुमंडल की तरफ परावर्तित हो जाता है। चूंकि वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों का इतना उत्सर्जन हो रहा है कि वह एक ऊंचाई पर मोटी परत के रूप में मौजूद हो चुका है। लिहाजा धरती से परावर्तित प्रकाश की किरणों को यह परत फिर धरती के वायुमंडल में धकेल देती है। लिहाजा सूर्य की धरती पर पड़ने वाली पूरी ऊर्जा अवमुक्त नहीं हो पाती है और इस ग्रह को उत्तरोत्तर गर्म करती जा रही है। धरती पर औद्योगिक, कृषि कार्यों, वाहनों आदि से होने वाले उत्सर्जन के रूप में ये ग्रीन हाउस गैसें भारी मात्रा में उत्सर्जित हो रही हैं। इन गैसों के इसी असर को ग्रीन हाउस गैस असर कहते हैं।

पेड़-पौधों पर असर

वैज्ञानिक तथ्यों में सामने आया है कि ग्लोबल वार्मिंग का असर पेड़-पौधों और फसलों पर भी पड़ रहा है। जानवर भी इससे अछूते नहीं हैं। सृष्टि का कोई भी जीवधारी इसके प्रतिकूल असर से अछूता नहीं है। अलग-अलग क्षेत्रों में पादपों के फलने-फूलने का समय व्यतिक्रम हो चला है। फसलों की पैदावार कम होती जा रही है। फसलों के दाने कमजोर और कम पोषकता से युक्त हो रहे हैं। जैव विविधता को खतरा पैदा हो रहा है।

कितना बढ़ेगा तापमान

साल 2013 के अपने आकलन में आइपीसीसी ने बताया था कि 21वीं सदी के अंत तक धरती का तापमान 1850 के सापेक्ष 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ सकता है। वहीं विश्व मौसम संगठन का कहना है कि अगर वार्मिंग की दर वर्तमान की तरह होती रहे तो इस सदी तक धरती का तापमान 3-5 डिग्री सेल्सियस बढ़ सकता है। 2 डिग्री के इजाफे को खतरनाक की श्रेणी में रखा गया है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि धरती के बढ़ते तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस के अंदर सीमित रखना दुनिया के लिए बहुत जरूरी है। हालांकि आइपीसीसी की 2018 की एक रिपोर्ट ने चेताया है कि वृद्धि 1.5 डिग्री के अंदर ही रोकना है तो अप्रत्याशित और त्वरित कदम उठाने होंगे।

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