चरणामृत लेते समय करें इस शुभ मंत्र का उच्चारण – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Tue, 16 Apr 2019 05:54:58 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 चरणामृत लेते समय करें इस शुभ मंत्र का उच्चारण, जानें औषधीय महत्व… http://www.shauryatimes.com/news/39807 Tue, 16 Apr 2019 05:54:58 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=39807 चरणामृत यानि चरणों का अमृत। हिन्दू धर्म में चरणामृत को बेहद शुद्ध और पवित्र माना जाता है। वैसे तो चरणामृत उस जल को कहा जाता है जिससे ईश्वर के पैर धोए जाते हैं और उसे अमृत के समान समझा जाता है। चरणामृत कच्चे दूध, दही, गंगाजल आदि से बना होता है। इसे आदर स्वरूप अपने माथे पर लगाकर ही इसे सेवन किया जाता है। गोस्वामी तुलसीदास ने श्री रामचरितमानस में लिखा है –
पद पखारि जलुपान करि आपु सहित परिवार।
पितर पारु प्रभुहि पुनि मुदित गयउ लेइ पार।।
अर्थात – भगवान श्रीराम के चरण धोकर उसे चरणामृत के रूप में स्वीकार कर केवट न केवल स्वयं भव-बाधा से पार हो गया, बल्कि उसने अपने पूर्वजों को भी तार दिया।
लेकिन चरणामृत सिर्फ धार्मिक आस्था के अनुसार ही शुद्ध, पवित्र और लाभकारी नहीं है, बल्कि वास्तव में यह सेहत के लिए लाभकारी होता है। इसका उल्लेख शास्त्रों में भी मिलता है –
पापव्याधिविनाशार्थं विष्णुपादोदकौषधम्।
तुलसीदलसम्मिश्रं जलं सर्षपमात्रकम्।।
अर्थात – पाप और रोग दूर करने के लिए भगवान का चरणामृत औषधि के समान है। यदि उसमें तुलसीपत्र भी मिला दिया जाए तो उसके औषधिय गुणों में और भी वृद्धि हो जाती है।
चरणामृत सेवन करते समय निम्न श्लोक के उच्चारण करें –
अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्।
विष्णुपादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते।।
अर्थात चरणामृत अकाल मृत्यु को दूर रखता है। सभी प्रकार की बीमारियों का नाश करता है। इसके सेवन से पुनर्जन्म नहीं होता। अत: चरणामृत को ग्रहण करते समय इस मंत्र का उच्चारण करना अति शुभ माना गया है।
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