‘जब संपत्ति भगवान में निहित होती है तो कोई भी उसको ले नहीं सकता’ – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Wed, 21 Aug 2019 07:19:17 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 ‘जब संपत्ति भगवान में निहित होती है तो कोई भी उसको ले नहीं सकता’ http://www.shauryatimes.com/news/52957 Wed, 21 Aug 2019 07:19:17 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=52957 अयोध्‍या केस की 9वें दिन की सुनवाई में रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि विवादित भूमि पर मंदिर रहा हो या न हो, मूर्ति हो या न हो लोगों की आस्था होना काफी है यह साबित करने के लिए कि वही रामजन्म स्थान है. वैद्यनाथन ने कहा कि जब संपत्ति भगवान में निहित होती है तो कोई भी उस संपत्ति को ले नहीं सकता और उस संपत्ति से ईश्वर का हक नहीं छीना जा सकता. ऐसी संपत्ति पर एडवर्स पजेशन का कानून लागू नहीं होगा.

इससे पहले मंगलवार को रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कोर्ट में अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा था कि जहां मस्जिद बनाई गई थी उसके नीचे एक विशाल निर्माण था. ASI की खुदाई के दौरान जो चीजें मिली, उससे स्‍पष्‍ट है कि वह हिंदू मंदिर था. सीएस वैद्यनाथन ने कहा था कि बाबरी मस्जिद के नीचे जिस तरह का स्ट्रक्चर था, उसकी बनावट, उसके निर्माण के तरीके और उसमें भगवान के चिन्ह बताते हैं कि वहां पहले से मंदिर था. उन्‍होंने कहा कि पहले मुस्लिम पक्ष मंदिर के स्ट्रक्चर को ही मना करता था, लेकिन बाद में वो कहने लगे कि स्ट्रक्चर तो था, लेकिन वो एक इस्लामिक स्ट्रक्चर की तरह था.

वैद्यनाथन ने कहा था कि मैंने कोर्ट के सामने पुराने सभी तथ्य और रिकॉर्ड पेश किए हैं. जिससे साबित होता है कि राम जन्मभूमि भगवान राम का जन्म स्थान है. इस स्थान के प्रति लोगों की निष्ठा शुरू से चली आ रही है. मस्जिद गिरने के बाद एक पत्थर के स्लैब मिले जिनमें 12 या 13वीं शताब्दी में लिखे एक शिलालेख शामिल हैं. शिलालेख थोड़ा क्षतिग्रस्त है और अंतिम दो पंक्तियां भारी क्षतिग्रस्त हो गई हैं. शिलालेख का मूल पाठ संस्कृत में है. शिलालेखों पर उल्लेख साकेत मंडल में बने मंदिर से हैं और यह राम के जन्म का स्थान है.

रामलला के वकील ने कहा था कि संस्कृत वाले शिलालेख को विवादित ढांचा विध्वंस के समय एक पत्रकार ने गिरते हुए देखा था, इसमें साकेत के राजा गोविंद चंद्र का नाम है. साथ ही लिखा है कि ये विष्णु मंदिर में लगी थी. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि क्या संस्कृत वाले शिलालेख जैसी चीजों को एएसआई ने इकट्ठा किया गया था? रामलला के वकील वैद्यनाथन ने कहा था कि ये एएसआई रिपोर्ट में नहीं था, क्योंकि एएसआई काफी बाद में आई थी. वैद्यनाथन ने ASI रिपोर्ट का हवाला देते हुए मगरमच्छ, कछुओं का भी जिक्र किया और कहा था कि इनका मुस्लिम कल्चर से मतलब नहीं था.

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