जर्मनी तक पहुंची यहां के महिला समूह की चाय – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Sat, 09 Mar 2019 05:54:26 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 400 से अधिक महिलाओं की बदल गई जिंदगी, हॉलैंड, जर्मनी तक पहुंची यहां के महिला समूह की चाय http://www.shauryatimes.com/news/35069 Sat, 09 Mar 2019 05:54:26 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=35069 चाय की बात निकले तो असम का नाम जुबां पर आता है, लेकिन यहां हम आपको छत्तीसगढ़ के बस्तर में पैदा हो रही हर्बल चाय के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी खुशबू सात समंदर पार जा पहुंची है। जी हां, बस्तर की हर्बल टी हॉलैंड और जर्मनी आदि देशों तक अपनी पैठ बना चुकी है।

देश की बात तो दूर, विदेश में भी इस हर्बल चाय की चुस्की लेने वाले हजारों लोग हैं। खास बात यह कि इसका उत्पादन बस्तर की आदिवासी महिलाओं के समूह- मां दंतेश्वरी हर्बल प्रोडक्ट महिला समूह द्वारा किया जा रहा है। इतना ही नहीं, 12 रोगों के लिए यह चाय रामबाण औषधि भी है। डब्ल्यूएचओ ने इसे प्रमाणित किया है। इस चाय की खेती ने सैकड़ों आदिवासी महिलाओं की जिंदगी बदल दी है। आज उन्हें पाई-पाई को मोहताज नहीं होना पड़ता।

कोंडागांव जिले के ग्राम चिखलकुटी और आसपास के गांवों की करीब चार सौ आदिवासी महिलाएं इस समूह से जुड़ी हुई हैं। दशमति नेताम इसकी अध्यक्ष हैं। वे बताती हैं कि करीब 16 साल पहले उन्होंने समूह की शुरुआत की थी। पहले दालचीनी और काली मिर्च उगाते थे। कुछ वर्षों बाद स्टीविया की भी खेती करने लगे। इससे आमदनी थोड़ी बढ़ गई। समूह की महिलाओं की संख्या भी वक्त के साथ बढ़ती गई। इसके बाद हर्बल चाय की शुरुआत हुई। विकोंरोजिया (अंग्रेजी नाम) की जड़ें, स्टीविया, लेमन ग्रास और काली मिर्च चारों को सही अनुपात में मिलाकर हर्बल चाय तैयार करते हैं।

विकोंरोजिया मधुमेह और कैंसर में कारगर है। कहती हैं, डॉ. राजाराम त्रिपाठी का मार्गदर्शन मिला और उनकी मदद से पुणे स्थित टिश्यू कल्चर लैब से प्रशिक्षण प्राप्त कर एक पौधे से कई पौधे तैयार करने का हुनर सीखा। इस तरह हम आगे बढ़ते गए।

दूध और चीनी की नहीं जरूरत…

दशमति बताती हैं कि इस हर्बल चाय की खासियत यह भी है कि इसे बनाते समय दूध और शक्कर की जरूरत नहीं पड़ती। स्टीविया से मिठास आ जाती है और लेमन ग्रास से खुशबू। गरम पानी में एक पैकेट हर्बल चाय डालते ही सुगंधित मीठी चाय तैयार हो जाती है। एक कप चाय की कीमत डेढ़ रुपये पड़ती है, यानी यह सस्ती और सेहतमंद दोनों है।

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