जानकर हैरान रह जाएंगे – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Mon, 31 Dec 2018 05:53:29 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 शिव के चक्र के बारे में आपने नहीं सुना होगा, जानकर हैरान रह जाएंगे http://www.shauryatimes.com/news/25249 Mon, 31 Dec 2018 05:53:29 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=25249 शिव ने जिस धनुष को बनाया था उसकी टंकार से ही बादल फट जाते थे और पर्वत हिलने लगते थे। ऐसा लगता था मानो भूकंप आ गया हो। यह धनुष बहुत ही शक्तिशाली था। इसी के एक तीर से त्रिपुरासुर की तीनों नगरियों को ध्वस्त कर दिया गया था। इस धनुष का नाम पिनाक था। देवी और देवताओं के काल की समाप्ति के बाद इस धनुष को देवरात को सौंप दिया गया था।  
उल्लेखनीय है कि राजा दक्ष के यज्ञ में यज्ञ का भाग शिव को नहीं देने के कारण भगवान शंकर बहुत क्रोधित हो गए थे और उन्होंने सभी देवताओं को अपने पिनाक धनुष से नष्ट करने की ठानी। एक टंकार से धरती का वातावरण भaयानक हो गया। बड़ी मुश्किल से उनका क्रोध शांत किया गया, तब उन्होंने यह धनुष देवताओं को दे दिया।  
देवताओं ने राजा जनक के पूर्वज देवरात को दे दिया। राजा जनक के पूर्वजों में निमि के ज्येष्ठ पुत्र देवरात थे। शिव-धनुष उन्हीं की धरोहरस्वरूप राजा जनक के पास सुरक्षित था। इस धनुष को भगवान शंकर ने स्वयं अपने हाथों से बनाया था। उनके इस विशालकाय धनुष को कोई भी उठाने की क्षमता नहीं रखता था। लेकिन भगवान राम ने इसे उठाकर इसकी प्रत्यंचा चढ़ाई और इसे एक झटके में तोड़ दिया।
शिव का चक्र : चक्र को छोटा, लेकिन सबसे अचूक अस्त्र माना जाता था। सभी देवी-देवताओं के पास अपने-अपने अलग-अलग चक्र होते थे। उन सभी के अलग-अलग नाम थे। शंकरजी के चक्र का नाम भवरेंदु, विष्णुजी के चक्र का नाम कांता चक्र और देवी का चक्र मृत्यु मंजरी के नाम से जाना जाता था। सुदर्शन चक्र का नाम भगवान कृष्ण के नाम के साथ अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है।>  
यह बहुत कम ही लोग जानते हैं कि सुदर्शन चक्र का निर्माण भगवान शंकर ने किया था। प्राचीन और प्रामाणिक शास्त्रों के अनुसार इसका निर्माण भगवान शंकर ने किया था। निर्माण के बाद भगवान शिव ने इसे श्रीविष्णु को सौंप दिया था। जरूरत पड़ने पर श्रीविष्णु ने इसे देवी पार्वती को प्रदान कर दिया। पार्वती ने इसे परशुराम को दे दिया और भगवान कृष्ण को यह सुदर्शन चक्र परशुराम से मिला।>  
त्रिशूल : इस तरह भगवान शिव के पास कई अस्त्र-शस्त्र थे लेकिन उन्होंने अपने सभी अस्त्र-शस्त्र देवताओं को सौंप दिए। उनके पास सिर्फ एक त्रिशूल ही होता था। यह बहुत ही अचूक और घातक अस्त्र था। त्रिशूल 3 प्रकार के कष्टों दैनिक, दैविक, भौतिक के विनाश का सूचक है। इसमें 3 तरह की शक्तियां हैं- सत, रज और तम। प्रोटॉन, न्यूट्रॉन और इलेक्ट्रॉन। इसके अलावा पाशुपतास्त्र भी शिव का अस्त्र है।  
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