जानिए इसके बारे में – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Mon, 21 Sep 2020 11:47:03 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 हर वक्त बेहोशी की हालत रहते है इस रोग से ग्रसित व्यक्ति, जानिए इसके बारे में… http://www.shauryatimes.com/news/84652 Mon, 21 Sep 2020 11:15:07 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=84652 आज के वक़्त में कई प्रकार के रोगों का संकट रहता है। आज इस लेख के जरिये हम आपको एक ऐसी बीमारी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें इंसान की सोचने- समझने की पावर समाप्त हो जाती है तथा उस इंसान को देखकर ऐसा लगता है मानो वो इंसान नशे में हो। यदि कोई इंसान बिना नशे के भी नशे में लग रहा है तो हो सकता है वो इस रोग का शिकार हो।

इस रोग को ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम कहा जाता है। ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम की दिक्कत में शख्स हर वक़्त नशे में रहता है। इस रोग के कारण व्यक्ति के सोचने तथा समझने की पावर समाप्त हो जाती है. वही इस रोग में शख्स का मानसिक तथा शारीरिक संतुलन खो जाता है। ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम में इंसान को अपना होश नहीं रहता है। इसके साथ ही ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम की दिक्कत से ग्रसित इंसान को हैंगओवर जैसा एक्सपीरियंस होता है।

वही इस रोग से ग्रसित व्यक्ति उन चीजों को खाना पसंद करता है, जिनसे हैंगओवर में राहत प्राप्त हो सकती है। वही एक रिसर्च के मुताबिक, ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम की दिक्कत कार्बोहाइड्रेट से बॉडी में अल्कोहल उत्सर्जन के कारण होती है। इस शोध के मुताबिक, आहिस्ता-आहिस्ता ये इंसान को अपनी गिरफ्त में लेने लगता है तथा फिर इंसान नशे में आ जाता है। इसी के साथ इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का उचित रूप से ध्यान रखना चाहिए, क्युकी कभी-कभी उसे खुद नहीं पता होता है कि उसके साथ ऐसा क्यों हो रहा है। इसके लिए जरुरी है कि हम पीड़ित व्यक्ति का उचित तरह से ध्यान रखे।

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वजन घटने में भी जरुरी है हेल्दी कार्ब का सेवन, जानिए इसके बारे में… http://www.shauryatimes.com/news/83618 Fri, 11 Sep 2020 11:27:58 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=83618 जब भी कोई इंसान वजन घटाने की बात करता है, तो उसके दिमाग में सबसे पहली चीज कार्ब के सेवन में कटौती करना ही आता है. अगर वजन कम करने की बात की जाए, तो कार्ब्स को हमेशा अनहेल्दी और नुकसानदायक माना जाता है. यह अक्सर हाई कैलोरी खाद्य पदार्थ के रूप में माने जाते हैं, जो आपके वजन को बढ़ाने में योगदान देते हैं. लेकिन ऐसा मानना गलत है क्योंकि अन्य पोषक तत्वों की तरह, कार्ब्स भी आपके शरीर के लिए बहुत जरूरी होते हैं, जिसके अपर्याप्त सेवन से आपको कब्ज, सांसों की बदबू, थकान और चक्कर जैसी समस्याएं अपना शिकार बना सकती हैं. वास्तव में, आपको कार्ब्स के कुछ हेल्दी स्रोतों को चुनना होता है. आहार संबंधी दिशानिर्देशों की मानें, तो आपको एक दिन की कैलोरी का 45 से 65 प्रतिशत भाग कार्बोहाइड्रेट से मिलना चाहिए, तो आइए आज हम आपको वजन घटाने के लिए हेल्दी कार्ब के बारे में बताने जा रहे हैं.

कार्ब्स और वजन घटाना
जब भी आप वजन कम करने की कोशिश करते हैं तो आपको रिफाइन्ड कार्ब्स के सेवन में कटौती आवश्यक होती है. ऐसे में आप अपनी डाइट में कॉम्पेलक्स कार्ब्स को शामिल करें क्योंकि ये ज्यादातर फाइबर से भरपूर होते हैं. इनके सेवन से आपका पेट  लंबे समय तक भरा रहता है और साथ ही ये आपकी आंतों को सुचारू तौर पर चलाने में मददगार हैते हैं. आपके लिए अपने शरीर को हेल्दी और फिट रखना बेहद महत्वपूर्ण होता है. इसके लिए आपके शरीर के अंदरूनी अंगों जैसे कि पाचन तंत्र का  ठीक से काम करना बहुत ही जरूरी होता है. अगर आप वजन कम करने की कोशिशों में जुटे हैं, तो आपको कार्ब्स का सेवन करते समय इन सरल नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है.

गेहूं और चावल के बजाय हेल्दी अनाज खाएं

गेहूं और चावल आपके आहार के मुख्य खाद्य पदार्थ होते हैं. इसलिए इन्हें अपनी डाइट से हटा पाना बेहद कठिन काम होता है. ऐसे में आप सफेद चावल को हटाकर ब्राउन राइस और गेहूं को हटाकर जौ, बाजरा और जई से बनी रोटियों का सेवन करें. ये साबुत अनाज कई पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जो आपकी सेहत के लिए बहुत लाभकारी होते हैं. ये आपकी भूख को कंट्रोल करने और आपके मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मददगार साबित होते हैं.

गलत तरीके से पकाएं गए कार्ब्स

वैसे तो कार्ब्स इतने हेल्दी नहीं होते हैं. लेकिन इन्हें पकाने का तरीका ऐसा होता है जिससे इनमें कैलोरी की मात्रा बढ़ जाती है, जो आपके वजन घटाने वाली डाइट को अनहेल्दी बना सकती है. अगर आप तले हुए आलू का सेवन करते हैं, तो यह निश्चित रूप से आपकी सेहत के लिए अच्छा नहीं होता है, लेकिन इसके विपरीत पका हुए आलू आपके लिए हेल्दी साबित होता हैं और अगर आप अपने वजन के अनुसार इसका सेवन कर सकते हैं.

फल है कार्ब्स का एक स्वस्थ स्रोत

अपने आहार में हेल्दी कार्ब की मात्रा को बढ़ाने के लिए आप फाइबर से भरपूर फलों का अधिक मात्रा में सेवन करें. यह कार्ब्स के अच्छे स्रोत होने से साथ ही कई पोषक तत्वों से भरपूर भी होते हैं, जो आपके शरीर में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को पूरा करके आपके मेटाबॉलिज्म के स्तर को बढ़ा सकते हैं.

पोर्शन कंट्रोल करना है बहुत जरूरी

आप चाहें प्रोटीन, कार्ब्स या फाइबर का ही सेवन क्यों न कर रहे हों. मगर आपको अपना पोर्शन कंट्रोल करके रखना बेहद आवश्यक होता है. माइंडफुल ईटिंग वजन कम करने का एक असरदार तरीका होता है. ऐसे में आप अपनी डाइट के बीच अपनी कैलोरी को समान रूप से विभाजित करें और उसी के मुताबिक अपना डाइट प्लान बनाएं. अगर आप जरूरत से ज्यादा खाना खाते हैं, तो इससे न केवल आपको वजन घटाने में, बल्कि सेहतमंद रहने में भी कठिनाईयों का सामना करना पड़ेगा.

कार्ब्स की सही मात्रा आहार में शामिल करें

जब आप अपना वजन घटाने के बारे में सोचते हैं, तो आपको अपने खाने का सही तरीका चुनना बेहद आवश्यक होता है. आदर्श वेट लॉस के लिए आपको अपने आहार में मुठ्ठी भर प्रोटीन, 1 मुट्ठी सब्जियां, 1 कप कार्ब्स और अंगूठे जितना फैट्स शामिल करना चाहिए.

 

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शिवराज सरकार ने ख़रीदा बिजनेस क्लास प्लेन, जानिए इसके बारे में… http://www.shauryatimes.com/news/82148 Wed, 26 Aug 2020 09:28:14 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=82148 मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जल्द ही नए 7 सीटर विमान बीच क्राफ्ट किंग एयर बी-250 जीटी में उड़ान भरेंगे। अमेरिका से आया नया विमान बीच क्राफ्ट किंग एयर बी-200 जीटी भोपाल स्टेट हैंगर पहुंच गया है।

सरकार ने पुराना विमान 8 करोड़ में बेचकर अमेरिका से 60 करोड़ में नया विमान खरीदा है। ये विमान अत्याधुनिक सुविधाओं वाला है। इस विमान की अधिकतम गति 575 किमी प्रति घंटा है।

आपको बता दें कि  राज्य सरकार ने हाल ही में अपना पुराना विमान एयर किंग-200 गुजरात की एक कंपनी को 8 करोड़ में बेचा है। उस विमान को अमेरिकी कंपनी से 2002 में खरीदा गया था। केंद्र सरकार के डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन की मंजूरी मिलने के बाद कमलनाथ सरकार ने नए विमान की खरीदारी शुरू किया था।

डीजीसीए ने सरकार को नया विमान बीच क्राफ्ट किंग एयर बी-200 जीटी लाने की अनुमति दी थी। उसे खरीदने से पहले सरकार ने अपने दो चुने हुए पायलट और दो मैकेनिक्स को अमेरिका की विमान निर्माता कंपनी के पास ट्रेनिंग के लिए भेजा था।
शिवराज सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल के दौरान 100 करोड़ रुपये में जेट प्लेन खरीदने का निर्णय लिया था।

कांग्रेस की सरकार जब प्रदेश में आई, तो कमलनाथ ने इस फैसले को पलट दिया था। अमेरिका से खरीदे गए इस 7 सीट वाले विमान की ख़ासियत यह है कि इसमें  दो अतिरिक्त सीटें हैं। ये फोल्डिंग सीटें हैं। यह विमान 35 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरने की क्षमता रखता है। इस विमान में ग्लास कॉकपिट के साथ आधुनिक फ्लाइट मैनेजमेंट सिस्टम है। इसे दुनिया का सबसे बेहतरीन बिज़नेस क्लास विमान माना जाता है।

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उत्तराखंड में पहली बार दिखी बंगाल स्विफ्ट प्रजाति की तितली, जानिए इसके बारे में http://www.shauryatimes.com/news/13860 Fri, 12 Oct 2018 09:27:04 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=13860  डार्क सफायर के बाद वन विभाग ने एक और ऐसी तितली प्रजाति का खोज निकाला है जो इससे पहले उत्तराखंड में कभी नहीं दिखी। नंधौर के जंगल में मिली बंगाल स्विफ्ट अन्य तितली प्रजातियों के मुकाबले छोटी लेकिन चार गुना तेजी से उड़ती है। इसके अलावा अस्सी साल पहले पहाड़ में मिली एंगल्ड पिरड ने अब अपना ठिकाना बदलते हुए मैदान का रूख किया है।वन विभाग व वॉक इन द वुड्स संस्था द्वारा इन दिनों कुमाऊं में दुर्लभ तितलियों को तलाशने का काम किया जा रहा है। जैव विविधता से भरपूर प्रदेश में अभी तक छह सौ से अधिक प्रजातियां रिपोर्ट हो चुकी है। हाल में ज्योलीकोट के जंगल में सिक्किम में पाई जाने वाली डार्क सफायर को टीम ने ढंूढ निकाला था। उसके बाद मैदानी जंगल में सर्च ऑपरेशन चलाया गया। फॉरेस्ट के मुताबिक बंगाल स्विफ्ट इससे पहले अंडमान निकोबार, जम्मू कश्मीर, केरल व वेस्ट बंगाल में रिकॉर्ड की गई है।

न्य जीव सप्ताह के तहत विभाग व संस्था द्वारा हल्द्वानी के आसपास स्थित जंगल में जाकर तितलियों का सर्वे करने का प्रयास शुरू किया गया। उस दौरान टीम ने दोनों दुर्लभ प्रजातियां कैमरे में कैद की। एक्सपर्ट द्वारा फोटो का मिलान करने पर इनकी पहचान हुई। एंग्लड पिरड साल 1937 में पहाड़ के तीन सौ मीटर ऊंचाई वाले इलाके में देखी गई थी। अब नंधौर के जंगल में इसके मिलने से पता चलता है कि दुर्लभ प्रजातियां लगातार ठिकाना बदल रही है। वहीं मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं डॉ. कपिल जोशी ने बताया कि सर्वे के दौरान अति दुर्लभ प्रजातियों के मिलने से साफ है कि उत्तराखंड विस्तृत जैव विविधता वाला प्रदेश है। लिहाजा आगे भी संस्था व तितली विशेषज्ञों के साथ मिलकर अभियान जारी रहेगा। सर्वे में रिटायर पीसीसीएफ परमजीज सिंह, वॉक इन द वुड्स संस्था के राजशेखर  सिंह, डॉ. शंकर कुमार व पर्यावरण विशेषज्ञ सागर बाल्मिकी शामिल रहे।

पत्ते नहीं मिट्टी पसंद

बंगाल स्विफ्ट का वैज्ञानिक नाम पैलोपिडास आगना व एंग्लड पिरड का लेडा डिसिडिया है। पिरड मड पडलिंग करने वाली तितली है।  यानी इसे पौधों की बजाय मिट्टी पंसद है। यह मिट्टी से कैलिश्यम व सोडियम जैसे पोषक तत्व ग्रहण कर लेती है। सर्च ऑपरेशन के दौरान टीम को 70 से अधिक प्रजाति मिली चुकी है।

आगे भी रिकार्ड बनाएंगे

डॉ. शंकर कुमार, तितली विशेषज्ञ, नैनीताल ने बताया कि सर्वे के दौरान लगातार दुर्लभ प्रजातियों का मिलना बड़ी उपलब्धि है। तितलियों को चिन्हित करना काफी कठिन है। उम्मीद है कि आगे भी नए रिकॉर्ड बनेंगे।

सेंचुरी में बनाया बटरफ्लाई जोन

नंधौर सेंचुरी का जंगल वन्यजीव व वनसंपदा के लिहाज से समृद्ध है। यहां बाघ-गुलदार, भालू, सांभर समेत वनस्पतियों की कई दुर्लभ प्रजाति मौजूद है। बकायदा पर्यटकों के लिए बटरफ्लाई जोन बनाया गया है।

कुछ दिनों पहले नैनीताल की पहाडिय़ों पर मिली सिक्किम की डार्क सफायर

देश में सिर्फ सिक्किम व असम में पाई जाने वाली डार्क सफायर नामक प्रजाति की तितली पहली बार उत्तराखंड के नैनीताल की पहाडिय़ों पर भी मिली है। तितलियों के बारे में रिसर्च करने वाली वॉक इन द वुड्स संस्था ने वन विभाग के विशेषज्ञों के साथ मिलकर इस प्रजाति को खोजा है। इसके अलावा 80 साल बाद गिरोसिस फिसरा नामक प्रजाति की तितली भी कैमरे में कैद हुई है।

संस्था की ओर से नैनीताल के आसपास की पहाडिय़ों पर दो दिन तक ‘बटरफ्लाई वॉक एवं फोटोग्राफीÓ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। नैनीताल के किलबरी, पंगूट, विनायक व ज्योलीकोट के आसपास तितलियों की नई प्रजाति ढूंढने को 15 लोगों की टीम ने अभियान चलाया। तितली विशेषज्ञ डॉ. शंकर सिंह, सेवानिवृत्त प्रमुख वन संरक्षक परमजीत सिंह के अलावा व्यक्तिगत तौर पर गौलापार स्थित अंतरराष्ट्रीय चिडिय़ाघर के डिप्टी डायरेक्टर गोपाल सिंह कार्की ने टीम को गाइड किया। इस दौरान ज्योलीकोट के नलेना गांव में टीम ने दो दुर्लभ प्रजतियों की तितलियों को कैमरे में कैद किया। रिकॉर्ड से मिलान करने पर पता चला कि एक डार्क सफायर और दूसरी गिरोसिस फिसरा है। गिरोसिस 80 साल पूर्व कुमाऊं में देखी गई थी। वर्तमान में यह प्रजाति उड़ीसा व नॉर्थ ईस्ट के कुछ राज्यों में ही देखी गई है।

कुल 65 प्रजातियां ढूंढी

सर्च ऑपरेशन के दौरान टीम ने तितलियों की कुल 65 प्रजातियों को तलाशा। एक तितली शेड्यूल वन की भी मिली है। हालांकि उसका फोटो साफ नहीं होने के कारण इस बारे में अन्य विशेषज्ञों से राय लेने के बाद स्थिति साफ होगी। उत्तराखंड में इससे पूर्व तितलियों की 550 प्रजातियां रिपोर्ट हैं। इनमें चार शेड्यल एक की हैं। वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट में इस शेड्यूल में बाघ, हाथी व तेंदुआ आता है।

हमेशा फुट हिल में मिली

डार्क सफायर का वैज्ञानिक नाम हैलियोफोरस इंडिक्स है। इसे सामान्य भाषा में इंडियन पर्पल सफायर भी कहा जाता है। वहीं, गिरोसिस को आम भाषा में डस्की यलो फ्लेट नाम से जाना जाता है। जहां से पहाडिय़ों की शुरुआत होती है, उस इलाके में मिलने के कारण इन्हें फुट हिल्स की तितली भी कहते हैं।

 

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