जानें- सभी को कोविड-19 की वैक्‍सीन देने की राह में अपर्याप्‍त कांच कैसे बना है सबसे बड़ी समस्‍या – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Sun, 01 Nov 2020 06:24:49 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 जानें- सभी को कोविड-19 की वैक्‍सीन देने की राह में अपर्याप्‍त कांच कैसे बना है सबसे बड़ी समस्‍या http://www.shauryatimes.com/news/88947 Sun, 01 Nov 2020 06:24:49 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=88947 कोविड-19 महामारी की शुरुआत में मास्क और सुरक्षा उपकरणों की कमी थी। अब, जब कोरोना की वैक्सीन तैयार होने के करीब है तो अपने हर नागरिक तक पहुंचाने के लिए सभी देशों से सामने बड़ी चुनौतियां हैं। केंद्र सरकार ने राज्यों को वैक्सीन के लिए तैयारी पूरी करने को कहा है। परिवहन, कोल्ड चेन सहित वैश्विक स्तर पर बड़ी संख्या में शीशियां और अन्य सामान जुटाना भी कम मुश्किल नहीं है।

25 करोड़ लोगों को वैक्सीन 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने 4 अक्टूबर को कहा था कि देश की योजना 20 से 25 करोड़ लोगों को जुलाई 2021 तक 40-50 करोड़ कोविड-19 वैक्सीन के जरिये प्रतिरक्षा देने की है। भारतीय कंपनियां पूर्व में ही दुनिया को कई तरह की वैक्सीन की बड़ी मात्रा में पूर्ति कर रही हैं। साथ ही भारत महिलाओं और बच्चों को प्रतिरक्षा प्रदान करने का दुनिया का सबसे बड़ा कार्यक्रम चला रहा है।

कोल्ड चेन हो सकती है प्रभावित

देश के यूनिवर्सल इम्युनाइजेशन प्रोग्राम (यूआइपी) कार्यक्रम का लक्ष्य हर साल 2.6 करोड़ नवजात और 2.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण का है। जिन्हें 39 करोड़ वैक्सीन हर साल लगाई जाती है। यूपीआइ कार्यक्रम के तहत पोलियो वायरस और रोटा वायरस को छोड़कर अन्य वैक्सीन 2-8 डिग्री सेल्सियस पर रखी जाती है। एस्ट्राजेनेका, जॉनसन एंड जॉनसन और नोवावैक्स की वैक्सीन इसी श्रेणी में आती हैं। जबकि मॉडर्ना और फाइजर की वैक्सीन को शून्य से भी कम तापमान पर रखना होगा। यदि ये वैक्सीन सफल होती हैं तो मौजूदा कोल्ड चेन इनके भंडारण के लिए सक्षम नहीं है। हमें उपयुक्त भंडारण की व्यवस्था करनी होगी।

भारत को बढ़ानी होगी क्षमता

40 से 50 करोड़ वैक्सीन के लिए भारत को अपनी क्षमताओं में तेजी से इजाफा करना होगा। वैक्सीन कोल्ड चेन नेटवर्क, र्सींरज और कांच की शीशियों के स्टॉक में बढ़ोतरी और स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण देना होगा। अन्यथा कोविड-19 वैक्सीन लोगों की पहुंच में नहीं होगी, जिसकी फिलहाल ज्यादा जरूरत है।

अच्छी गुणवत्ता वाले कांच की आवश्यकता

कांच की वैश्विक कमी के कारण यह समस्या शुरू हुई है। इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि खराब गुणवत्ता वाले कांच से वैक्सीन की शीशी नहीं बनायी जा सकी है। इसे बोरोसिलिकेट ग्लास से बनाया जाता है। यह रासायनिक रूप से स्थिर होता है और लंबे समय तक ठंड और यातायात के दौरान भी सुरक्षित रहता है। हालांकि एक रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे ग्लास का विश्व में कुल उत्पादन का सिर्फ 10 फीसद होता है। इसका उपाय ग्लास का पुन: प्रयोग है। यह काफी  सस्ता होता है, हालांकि पिछले कुछ महीनों में ग्लास का

संग्रहण, पृथक्करण और रिसाइकिलिंग प्रभावित हुई है।

करोड़ों की संख्या में शीशियों की जरूरत

एक रिपोर्ट के अनुसार, हर साल 50 अरब शीशे के कंटेनर मेडिकल कार्य के लिए इस्तेमाल होते हैं। इनमें से 15 से 20 अरब मेडिकल शीशियों के लिए होते हैं। सिर्फ आधी दुनिया को वैक्सीन लगाने के लिए अतिरिक्त 3.5 अरब शीशियों की आवश्यकता होगी। इस कारण से कम से कम करीब 25 फीसद कांच की जरूरत में बढ़ोतरी होगी। वर्तमान में दुनिया में पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन की शीशियां नहीं हैं।

 

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