जुर्माने – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Fri, 21 Sep 2018 05:29:23 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 सुप्रीम कोर्ट: जुर्माने के एवज में सजा साथ-साथ नहीं चल सकती http://www.shauryatimes.com/news/11703 Fri, 21 Sep 2018 05:29:23 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=11703 सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि जुर्माने के एवज में सजा को साथ-साथ चलाने का निर्देश नहीं दिया जा सकता है। इससे सजा के उद्देश्य पर बुरा असर पड़ सकता है।सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि जुर्माने के एवज में सजा को साथ-साथ चलाने का निर्देश नहीं दिया जा सकता है। इससे सजा के उद्देश्य पर बुरा असर पड़ सकता है।  जस्टिस एएम सप्रे और जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने कहा यदि जुर्माने के एवज में सजा को साथ-साथ जारी रखने का निर्देश दिया गया तो सजा का उद्देश्य पराजित हो जाएगा। पीठ ने यह व्यवस्था महाराष्ट्र निवासी शरद हीरु कोलांबे की याचिका पर दी है। हीरु ने बांबे हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने मकोका सहित विभिन्न अपराधों में मिली उसकी सजा को बरकरार रखा था। उसे फिरौती के लिए अपहरण, डकैती, लूटपाट सहित कई आरोपों में दोषी पाया गया था।  गिरफ्तारी के बाद हीरु सुनवाई और मामला लंबित रहने के दौरान जेल में ही रहा। इस तरह उसने सुनाई गई 14 वर्ष की सजा पूरी कर ली। उसे 15 लाख का जुर्माना भी किया गया था। जुर्माना जमा नहीं कराने पर उसे और 10 साल जेल में बिताने होते। अदालत ने परिवार की आर्थिक स्थिति का हवाला देने पर जुर्माने के एवज में जेल की सजा को कम कर तीन साल चार माह कर दिया। इसमें से तीन साल वह काट चुका है।

 

जस्टिस एएम सप्रे और जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने कहा यदि जुर्माने के एवज में सजा को साथ-साथ जारी रखने का निर्देश दिया गया तो सजा का उद्देश्य पराजित हो जाएगा। पीठ ने यह व्यवस्था महाराष्ट्र निवासी शरद हीरु कोलांबे की याचिका पर दी है। हीरु ने बांबे हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने मकोका सहित विभिन्न अपराधों में मिली उसकी सजा को बरकरार रखा था। उसे फिरौती के लिए अपहरण, डकैती, लूटपाट सहित कई आरोपों में दोषी पाया गया था।

गिरफ्तारी के बाद हीरु सुनवाई और मामला लंबित रहने के दौरान जेल में ही रहा। इस तरह उसने सुनाई गई 14 वर्ष की सजा पूरी कर ली। उसे 15 लाख का जुर्माना भी किया गया था। जुर्माना जमा नहीं कराने पर उसे और 10 साल जेल में बिताने होते। अदालत ने परिवार की आर्थिक स्थिति का हवाला देने पर जुर्माने के एवज में जेल की सजा को कम कर तीन साल चार माह कर दिया। इसमें से तीन साल वह काट चुका है।

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