निर्भया के दोषियों को अलग-अलग फांसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट कल सुनाएगा फैसला – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Fri, 07 Feb 2020 09:23:22 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 निर्भया के दोषियों को अलग-अलग फांसी देने की केंद्र की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 11 फरवरी को सुनवाई http://www.shauryatimes.com/news/77384 Fri, 07 Feb 2020 09:23:22 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=77384

निर्भया से सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में मौत की सजा पाए चारों दोषियों की फांसी पर रोक के खिलाफ केंद्र की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की याचिका पर दोषियों को नोटस जारी करने के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध को फिलहाल के लिए अस्वीकार किया। हालांकि, केंद्र की ओर से उपस्थित सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राष्ट्र के धैर्य की काफी परीक्षा ले ली गई है, सुप्रीम कोर्ट अब इस पर कानून बनाए।

इससे पहले इन दोषियों की फांसी की सजा पर रोक के खिलाफ केंद्र की याचिका को दिल्ली उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट ने निर्भया के दोषियों को अलग-अलग फांसी देने की इजाजत नहीं दी थी। 

केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने न्यायमूर्ति एन वी रमना, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ के समक्ष याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया। नटराज ने न्यायालय को बताया कि जेल प्रशासन मामले में दोषियों को फांसी देने में असमर्थ है जबकि उनकी पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर दी गई है और सुधारात्मक याचिकाएं तथा उनमें से तीन की दया याचिकाएं भी खारिज हो चुकी हैं।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा था कि चारों दोषियों को एक साथ फांसी दी जाएगी न कि अलग-अलग। साथ ही न्यायालय ने उन्हें बाकी के बचे कानूनी उपायों का इस्तेमाल करने के लिए एक हफ्ते की समयसीमा दी। उसने कहा कि अगर दोषी अब से सात दिन के भीतर किसी तरह की याचिका दायर नहीं करते हैं तो संबंधित संस्थान/प्राधिकरण बिना किसी विलंब के कानून के अनुसार मामले से निपट सकते हैं।

उच्च न्यायालय के फैसले के कुछ घंटों बाद केंद्र ने इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की। उच्च न्यायालय ने कहा कि निर्भया मामलों में सभी चारों दोषियों को एक साथ फांसी दी जाए न कि अलग-अलग और अदालत ने संबंधित अधिकारियों को इस बात के लिए कसूरवार भी ठहराया कि उन्होंने 2017 में उच्चतम न्यायालय द्वारा अभियुक्तों की अपील खारिज किए जाने के बाद मृत्यु वारंट जारी करने के लिए कदम नहीं उठाया।

निचली अदालत ने 31 जनवरी को मामले में तिहाड़ जेल में बंद मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार (31) को फांसी दिए जाने पर ”अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। मामले से जुड़े एक वकील ने बताया कि शीर्ष अदालत में चुनौती के लिए जो आधार बनाए गए हैं वो लगभग वहीं हैं जो निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल करते समय उच्च न्यायालय में रखे गए थे। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय में दाखिल याचिका में कहा गया है कि दोषियों को अलग-अलग फांसी दी जा सकती है क्योंकि मुकेश दया याचिका सहित सारे कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर चुका है।

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निर्भया के दोषियों को अलग-अलग फांसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट कल सुनाएगा फैसला http://www.shauryatimes.com/news/77312 Thu, 06 Feb 2020 09:40:07 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=77312 केंद्र सरकार व दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें कहा गया था कि निर्भया के दोषियों को अलग-अलग फांसी नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को करने के लिए राजी हो गया है।

मालूम हो कि बुधवार को हाईकोर्ट ने चारों दोषियों की फांसी की सजा को टालने केट्रायल करने केआदेश को दरकिनार करने से इनकार करते हुए सभी दोषियों को सात दिनों के भीतर तमाम कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया है।

हाईकोर्ट के फैसले के बाद थोड़ी ही देर बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका(एसएलपी) दायर कर हाईकोर्ट केफैसले को चुनौती दे दी। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सवाल किया है कि मृत्युदंड वाले मामलों में एक दोषी द्वारा तमाम कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करने केबावजूद क्या वह कानून के साथ खिलवाड़ कर सकता है क्योंकि सह दोषियों ने अपने सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल नहीं किया है।
आज की स्थिति में दो दोषियों मुकुश व विनय शर्मा की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज कर दी है। अक्षय कुमार सिंह की दया याचिका फिलहाल लंबित है। वहीं चौथे दोषी पवन गुप्ता ने अब तक दया याचिका दायर करने के अपने अधिकार का इस्तेमाल नहीं किया है।सरकार का यह भी कहा कि दिल्ली जेल नियम के तहत, एक  अपराध में शामिल दोषियों को एक साथ फांसी पर लटकाना जरूरी नहीं है। सरकार का कहना है कि चार दोषी जानबूझ कर फांसी में देरी करवाना चाह रहे हैं। वे एक-एक कर कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग है।

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