नेशनल अयप्पा डिवोटी एसोसिएशन संस्था सहित करीब 19 पुनर्विचार याचिका अब तक सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हो चुकी है – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Wed, 31 Oct 2018 07:08:59 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 नेशनल अयप्पा डिवोटी एसोसिएशन संस्था सहित करीब 19 पुनर्विचार याचिका अब तक सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हो चुकी है http://www.shauryatimes.com/news/16658 Wed, 31 Oct 2018 07:08:59 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=16658  सबरीमाला मंदिर मामले में संविधान पीठ के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई से इंकार कर दिया है. सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि पुनर्विचार याचिका पर 11 नवम्बर पर सुनवाई की जाएगी. दरअसल, अखिल भारतीय मलयाली संघ की तरफ से याचिका दाखिल की गई थी. आपको बता दें कि नेशनल अयप्पा डिवोटी एसोसिएशन संस्था सहित करीब 19 पुनर्विचार याचिका अब तक सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हो चुकी है. याचिकाकर्ता का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का फैसला केरल के लोगों की धार्मिक भावनाओं के पहलू को अनदेखा कर दिया गया है. ऐसे में कोर्ट का 28 सितंबर का फैसला असंवैधानिक है. इसलिए कोर्ट अपने फैसले पर पुनर्विचार करें.

28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के हक मे एक और अहम फैसला सुनाते हुए केरल के सबरीमाला मंदिर के द्वार सभी महिलाओं के लिए खोल दिया था. कोर्ट ने 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर रोक का नियम रद्द करते हुए कहा था कि यह नियम महिलाओं के साथ भेदभाव है और उनके सम्मान व पूजा अर्चना के मौलिक अधिकार का हनन करता है. शारीरिक कारणों पर महिलाओं को मंदिर में प्रवेश से रोकना गलत है. 

केरल के सबरीमाला मंदिर मे 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी थी. इसके पीछे मान्यता थी कि इस उम्र की महिलाओं को मासिक धर्म होता है और उस दौरान महिलाएं शुद्ध नहीं होतीं. मंदिर के भगवान अयैप्पा बृम्हचारी स्वरूप में हैं और इस उम्र की महिलाएं वहां नहीं जा सकतीं. इस रोक को सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती दी गई थी. यह फैसला पांच न्यायाधीशों की संविधानपीठ ने चार-एक के बहुमत से सुनाया था. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, एएम खानविलकर, आरएफ नारिमन, और डीवाई चंद्रचूड़ ने बहुमत से फैसला देते हुए रोक के नियम को असंवैधानिक ठहराया था. 

हालांकि, पीठ की पांचवीं सदस्य न्यायाधीश इंदू मल्होत्रा ने असहमति जताते हुए रोक के नियम को सही ठहराया था और कहा था कि अयैप्पा भगवान के सबरीमाला मंदिर को एक अलग धार्मिक पंथ माना जाएगा और उसे संविधान के अनुच्छेद-26 में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार में संरक्षण मिला हुआ है. वह अपने नियम लागू कर सकता है. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने स्वयं और जस्टिस खानविल्कर की तरफ से दिए गए फैसले में पुराने समय से महिलाओं के साथ चले आ रहे भेदभाव का जिक्र करते हुए कहा था कि उनके प्रति दोहरा मानदंड अपनाया जाता है.

]]>