पढ़िए पूरी खबर – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Wed, 11 Nov 2020 11:40:25 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 उत्तराखंड के छह शहरों में रात्रि में सिर्फ दो घंटे जलाए जा सकेंगे पटाखे, पढ़ि‍ए पूरी खबर http://www.shauryatimes.com/news/90193 Wed, 11 Nov 2020 11:40:25 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=90193 प्रदेश में दीपावली, गुरु पर्व और छठ के मौके पर पटाखों का सीमित इस्तेमाल ही किया जा सकेगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देशों का पालन किया जाएगा। चार जिलों के छह शहरों देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, हल्द्वानी, रुद्रपुर एवं काशीपुर में केवल ग्रीन क्रेकर्स (पटाखों) की बिक्री होगी। पटाखे केवल रात्रि में केवल दो घंटे ही जलाए जा सकेंगे।

एनजीटी ने वायु प्रदूषण और कोविड-19 के मद्देनजर कम वायु प्रदूषण वाले पटाखों के बेचने और जलाने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये निर्देश चार जिलों हरिद्वार, देहरादून, ऊधमसिंहनगर और नैनीताल के लिए हैं। मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बुधवार को इस संबंध में आदेश जारी किए। इसके मुताबिक उक्त छह नगरों की सीमा में केवल ग्रीन क्रेकर्स ही रात्रि आठ से दस बजे तक जलाए जा सकेंगे। छठ पूजा पर सुबह छह बजे से आठ बजे तक पटाखों के इस्तेमाल की इजाजत दी गई है।

गौरतलब है कि एनजीटी ने वायु प्रदूषण के हिसाब से गंभीर स्थिति वाले शहरों में दीपावली पर पटाखे जलाने पर सख्त रुख अपनाया है। उत्तराखंड में चार जिलों में अन्य नौ जिलों की तुलना में पटाखे ज्यादा जलाए जाते हैं। उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड राज्य के उक्त छह शहरों वायु प्रदूषण के स्तर का आकलन करता है। इन शहरों में ही वायु प्रदूषण अधिक है।

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जिला प्रशासन ने भागीरथी के किनारे आस्था पथ के निर्माण की बनाई योजना, पढ़िए पूरी खबर http://www.shauryatimes.com/news/74798 Sun, 19 Jan 2020 10:05:42 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=74798  आपदा के बाद उत्तरकाशी में जब पुनर्निर्माण के कार्य हुए तो भागीरथी (गंगा) नदी के दोनों ओर उत्तरकाशी, ज्ञानसू और जोशियाड़ा क्षेत्र में काफी जगह खुलकर निकली। इस खुले स्थान का उपयोग करने के लिए जिला प्रशासन ने यहां ‘आस्था पथ’ के निर्माण की योजना बनाई। लेकिन, स्वीकृति से पहले ही प्रस्तावित आस्था पथ को अतिक्रमण ने अपनी जद में ले लिया है। होना तो यह चाहिए था कि इन अवैध निर्माणों को हटाने के लिए कदम उठाए जाते, लेकिन यहां तो खुद नगर पालिका ने ही अवैध निर्माण किया हुआ है।

वर्ष 2012 और 2013 की आपदा के दौरान उत्तरकाशी में भागीरथी की बाढ़ से नदी के दोनों ओर भारी कटाव हुआ था। तब शहर की सुरक्षा के लिए भागीरथी के दोनों ओर दीवार लगाई गई। इससे दोनों ओर काफी खुली जगह निकली, जिस पर जिला प्रशासन की ओर से सुरक्षित आस्था पथ निर्माण की योजना बनाई गई। इसके लिए शासन को करीब नौ करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया। जिसे स्वीकृति का इंतजार है।

प्रशासन की मंशा मणिकर्णिका घाट, जड़भरत घाट, केदार घाट, तिलोथ पुल, इंद्रावती घाट, जोशियाड़ा घाट, जोशियाड़ा मोटर पुल और बैराज के अलावा ज्ञानसू से तांबाखाणी और मणिकर्णिका घाट को एक पथ से जोड़ने की है। इससे यात्री गंगा कि निर्मलता और उत्तरकाशी की सुंदरता को निहार सकें। लेकिन, नदी के किनारे खाली पड़ी इस भूमि पर उत्तरकाशी शहर और जोशियाड़ा की ओर से तेजी से अतिक्रमण हो रहा है। नतीजा, योजना को धरातल मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे।

जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने बताया कि आस्था पथ निर्माण को अभी वित्तीय स्वीकृति नहीं मिली है। जहां तक जोशियाड़ा और उत्तरकाशी क्षेत्र में अतिक्रमण की बात है तो उसे ध्वस्त कराया जाएगा। ताकि यह महत्वाकांक्षी योजना धरातल पर उतर सके। अतिक्रमण रोकने के लिए पालिका को भी निर्देश दिए गए हैं।

गंगोत्री क्षेत्र के विधायक गोपाल रावत ने बताया कि आस्था पथ योजना उत्तरकाशी और गंगोत्री के लिए बनाई गई है। इसके तहत गंगोत्री के लिए पांच करोड़ और उत्तरकाशी के लिए नौ करोड़ की धनराशि मांगी गई है। वित्तीय स्वीकृति जल्द कराने के लिए मैं स्वयं मुख्यमंत्री से बात करूंगा।

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देश के पहले जैविक कृषि एक्ट को राजभवन की मंजूरी, पढ़िए पूरी खबर http://www.shauryatimes.com/news/74547 Fri, 17 Jan 2020 11:53:56 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=74547 विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पारित जैविक कृषि विधेयक-2019 को राजभवन ने मंजूरी दे दी है। इस विधेयक के एक्ट बनने से अब उत्तराखंड जैविक एक्ट लाने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। हालांकि, सिक्किम पहला जैविक राज्य है, लेकिन वहां ‘एग्रीकल्चर, हॉर्टिकल्चर इनपुट एंड लाइवस्टॉक फीड रेगुलेटरी एक्ट-2014’ के तहत कदम उठाए गए। इस नजरिये से किसी राज्य में पहली बार विशुद्ध जैविक कृषि एक्ट लाया गया है।

जैविक कृषि एक्ट के जरिए सरकार ने अब राज्य को आधिकारिक रूप से जैविक प्रदेश बनाने की दिशा में पहल की है। हालांकि, अभी राज्य के 10 विकासखंड जैविक हैं, लेकिन अब संपूर्ण राज्य को जैविक बनाने के मद्देनजर यह एक्ट लाया गया है। एक्ट के तहत जैविक कृषि उत्पादों के निर्यात, व्यापार एवं प्रसंस्करण में लगी निजी एजेंसियों, एनजीओ, ट्रेडर को विनियमित किया जाएगा। क्रेता संस्थाओं का निशुल्क पंजीकरण होगा। साथ ही रासायनिक उर्वरकों की बिक्री विनियमित की जाएगी। एक्ट में प्रतिबंधित पदार्थों की बिक्री पर दंड के प्रविधान किए गए हैं, जिसमें एक लाख तक जुर्माना और एक साल तक की सजा हो सकती है।

एक्ट के धरातल पर उतरने से अब प्रमाणीकरण प्रक्रिया होगी सरल, जो कृषि उत्पादों के जैविक प्रमाणीकरण में मददगार होगी। साथ ही जैविक उत्पादन प्रणाली को जैव निवेशों की उपलब्धता सुविधाजनक होगी। यही नहीं, ‘जैविक उत्तराखंड’ ब्रांड को प्रोत्साहन भी मिलेगा।

खराब फल-पौध पर जेल की सजा

प्रदेश में सरकारी व निजी क्षेत्र की सभी नर्सरियों को उत्तराखंड फल पौधशाला (विनियमन) अधिनियम यानी नर्सरी एक्ट के दायरे में लाया गया है। शीतकालीन सत्र में विस में पारित इससे संबंधित विधेयक को राजभवन ने मंजूरी दे दी है। एक्ट में नर्सरी स्वामी से लेकर कार्मिकों तक सभी की हर स्तर पर जवाबदेही तय की गई है। ये भी प्रविधान है कि यदि किसी नर्सरी से किसान को मुहैया कराई गई फल-पौध की गुणवत्ता खराब निकली तो नर्सरी स्वामी को जुर्माना अदा करने के साथ ही जेल की हवा खानी पड़ेगी। नर्सरियों को बढ़ावा देने को मानक सरल किए गए हैं। अब पहाड़ में पांच नाली (एक हेक्टेयर) और मैदानी क्षेत्र में दो हेक्टेयर भूमि में नर्सरी स्थापित हो सकेंगी।

बिचौलियों से मिलेगी निजात

प्रदेश में अब किसानों को अपने कृषि उत्पाद औने-पौने दामों पर नहीं बेचने पड़ेगे। मंडी समितियां अब उनसे वाजिब दाम पर मंडुवा, झंगोरा, सोयाबीन, काला भट, राजमा समेत अन्य कृषि उत्पाद खरीदेंगी। उत्तराखंड कृषि उत्पाद बोर्ड में गठित होने वाले 10 करोड़ के रिवाल्विंग फंड से किसानों को इसका भुगतान किया जाएगा। इस सिलसिले में विस के शीतकालीन सत्र में पारित उत्तराखंड कृषि उत्पाद मंडी (विकास एवं विनियमन) (संशोधन) विधेयक को भी राजभवन ने मंजूरी दे दी है। अब मंडी बोर्ड में गठित होने वाले रिवाल्विंग फंड में मंडी समितियां 10 फीसद तक धनराशि जमा करा सकेंगी। इससे किसानों से पारंपरिक और जैविक कृषि उत्पादों का विपणन, क्रय-विक्रय और प्रसंस्करण किया जाएगा।

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अब घोड़ा-खच्चर भी करेंगे केदारनाथ पैदल मार्ग पर आराम, पढ़िए पूरी खबर http://www.shauryatimes.com/news/66479 Mon, 25 Nov 2019 09:48:16 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=66479 यात्राकाल के दौरान केदारनाथ पैदल मार्ग पर बड़ी संख्या में घोड़ा-खच्चर काल-कवलित हो जाते हैं। इसकी वजह बनती है पैदल मार्ग की थकान और आराम के लिए घोड़ा पड़ाव न होना। इसी के मद्देनजर पशुपालन विभाग ने पैदल मार्ग पर घोड़ा-खच्चर पार्किंग और चार अस्थायी पशु चिकित्सालय स्थापित करने की कवायद शुरू कर दी है, जिससे बीच-बीच में घोड़ा-खच्चर को आराम मिल सके।

केदारनाथ यात्रा में घोड़ा-खच्चर की भूमिका सबसे अहम होती है। आधे से अधिक यात्री घोड़ा-खच्चर से ही बाबा के दर्शनों को पहुंचते हैं। इस वर्ष भी पांच लाख से अधिक यात्री घोड़ा-खच्चर से ही केदारनाथ पहुंचे। इसके लिए सात हजार से अधिक घोड़ा-खच्चरों का पंजीकरण किया गया था। स्थानीय लोगों के अनुसार इनमें से 300 से अधिक घोड़ा-खच्चर की विभिन्न बीमारियों से मौत हो गई, लेकिन प्रशासन के पास सौ के आसपास का ही आंकड़ा है।

हालांकि, इस आंकड़े को भी बहुत बड़ा मानते हुए पशुपालन विभाग की टीम पिछले दिनों वैष्णो देवी की यात्र का अध्ययन करने गई थी। यहां लौटकर टीम ने अपने सुझाव प्रशासन को दिए। टीम का तर्क है कि केदारनाथ जाने वाले घोड़ा-खच्चर एक दिन में औसतन 45 किमी का सफर करते हैं। जिससे वो थककर चूर हो जाते हैं। पैदल मार्ग में उनके आराम के लिए कोई स्थान उपलब्ध नहीं है। जिससे कई बीमारियां उन्हें घेर लेती हैं, जो आखिरकार उनकी मौत की वजह बनती हैं।

इन्हीं तमाम बिंदुओं को केंद्र में रखकर विभाग ने अब घोड़ा-खच्चर संचालन को रोडमैप तैयार किया है। इसके तहत सोनप्रयाग, भीमबली और रामबाड़ा में बहुमंजिला घोड़ा पार्किंग बनाने का प्रस्ताव है। इसके अलावा घोड़ा-खच्चरों के संचालन का तौर-तरीका बदलने के साथ ही सोनप्रयाग, गौरीकुंड, लिनचोली और केदारनाथ में अस्थायी पशुचिकित्सा शिविर भी बनाए जाने हैं, जिससे समय रहते घोड़ा-खच्चर को उपचार मिल सके। इससे उनकी मौत का आंकड़ा काफी कम हो जाएगा।

पशुपालन विभाग के सुझावों पर डीएम मंगेश घिल्डियाल ने जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिशासी अभियंता को पार्किंग के लिए स्थान तलाशने के निर्देश दिए हैं। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी -रमेश नितवाल ने बताया कि वैष्णो देवी यात्र का तुलनात्मक अध्ययन करने के बाद केदारनाथ यात्र को बेहतर बनाने के लिए सुझाव दिए गए हैं। इस संबंध में डीएम ने भी आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

घोड़ा-खच्चरों के लिए अलग हो रास्ता

पशुपालन विभाग ने घोड़ा-खच्चर के लिए अलग से रास्ता बनाने का सुझाव भी दिया है। सामान ढोने वाले घोड़ा-खच्चर भी रात के वक्त ही पैदल मार्ग पर जाएं। इससे पैदल यात्रियों को दिक्कत नहीं होगी। विदित हो कि पैदल मार्ग पर घोड़ा-खच्चरों की आपसी टक्कर में अक्सर पैदल यात्री चोटिल हो जाते हैं।

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कांवड़ यात्रा के भंडारे में प्लास्टिक पर रहेगी पाबंदी, पढ़िए पूरी खबर http://www.shauryatimes.com/news/47653 Fri, 05 Jul 2019 11:30:29 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=47653 जिलाधिकारी सी रविशंकर ने कहा कि कांवड़ सीजन के दौरान लगने वाले भंडारों में प्लास्टिक वस्तुओं का उपयोग नहीं किया जाएगा। एसडीएम अनुमति देने से पहले आयोजकों से प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे, इसकी एनओसी अनिवार्य रूप से ले लें। इसमें किसी तरह की लापरवाही न बरती जाए।

कलक्ट्रेट सभागार में कावंड़ यात्रा सीजन को लेकर अधिकारियों की बैठक हुई। इस मौके पर यात्रा को सकुशल संपादित करने के लिए जिलाधिकारी सी रविशंकर ने अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। यात्रा से जुड़े 11 विभागों के अधिकारियों को जिम्मेदारी देते हुए प्लान के मुताबिक कार्य करने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने कहा कि ऋषिकेश क्षेत्र कांवड़ यात्रा का केंद्र है।

यहां से डोईवाला, डाटकाली, आशारोड़ी, आइएसबीटी, मसूरी आदि इलाकों में पूरी व्यवस्था बनाई जाए। कांवड़ यात्रा पर आने वाले कांवड़िए को नियमों का सख्ती से पालन कराएं। पुलिस को हर बैरियर पर सीसीटीवी कैमरे लगाने और पर्याप्त पुलिस फोर्स तैनात करने के निर्देश दिए। उन्होंने नगर निगम ऋषिकेश को उनके क्षेत्र में साफ-सफाई की उचित व्यवस्था बनाए रखने, चिकित्सा विभाग के समन्वय से स्थायी और आवश्यकतानुसार विभिन्न प्वाइट पर मोबाइल टॉयलेट आदि की व्यवस्था के निर्देश दिए गए।

परिवहन विभाग को पुलिस के साथ समन्वय से यातायात प्रबंधन के निर्देश दिए। खासकर ओवरलोडिंग, ओवर स्पीडिंग, यात्रा के दौरान नशे का सेवन कर ड्राइविंग करने और हुड़दंग मचाने वालों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए। बैठक में एडीएम, एसडीएम समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

इनका भी रखें ख्याल

जल संस्थान व पेयजल निगम को शुद्ध पेयजल की वैकल्पिक व्यवस्था रखने, विद्युत विभाग को यात्रा के प्वाइटस में झूलते तारों व विद्युत पोल का सुधारीकरण करने, वन विभाग को देहरादून-ऋषिकेश व ऋषिकेश-हरिद्वार रूट पर हाथी, चीता इत्यादि जानवरों की संवेदनशीलता को देखते हुए सुरक्षा व जागरूकता प्लान बनाने के निर्देश दिए गए।

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मल्टीलेवल कार पार्किंग का निर्माण मसूरी में साल 2015 में शुरू, पढ़िए पूरी खबर http://www.shauryatimes.com/news/40189 Fri, 19 Apr 2019 08:32:40 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=40189 जिस मल्टीलेवल कार पार्किंग का निर्माण मसूरी में साल 2015 में शुरू किया गया था, उसकी प्रगति साढ़े तीन साल बाद भी 15-20 प्रतिशत पर अटकी हुई है। यह स्थिति तब है, जब निर्माण पूरा करने की एक डेडलाइन करीब दो साल पहले बीत चुकी है और दूसरी डेडलाइन इस जुलाई माह में बीतने जा रही है। पर्यटन सीजन में मसूरी में वाहनों को खड़ा करने के लिए पर्याप्त जगह ही नहीं मिल पाती है। इसके चलते न सिर्फ लोगों को यहां-वहां भटकना पड़ता है, बल्कि सड़क किनारे वाहन खड़ा करने पर अक्सर जाम की स्थिति बन जाती है।

पार्किंग की व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पर्यटन विभाग ने लोनिवि को किंक्रेग क्षेत्र में दो मंजिला पार्किंग निर्माण का जिम्मा सौंपा था। पार्किंग के लिए अक्टूबर 2015 में टेंडर आमंत्रित किए गए थे। इसका जिम्मा फरीदाबाद, हरियाणा की कंपनी ऋचा इंडस्ट्रीज को सौंपा गया था। तय किया गया था कि निर्माण कार्य पांच जून 2017 को पूरा किया जाना है। 

 

हालांकि, जब यह डेडलाइन बीती तो नाममात्र ही काम पूरा हो पाया था। इसके बाद लोनिवि ने ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट करने की तैयारी भी शुरू कर दी थी। तब मुख्य अभियंता स्तर-प्रथम कार्यालय ने ठेकेदार को एक और मौका देते हुए पांच जुलाई 2019 तक काम पूरा करने को कहा था। ठेकेदार को बेशक एक अवसर और मिल गया, मगर काम की रफ्तार नहीं बढ़ पाई। एक साल पहले तक अधिकारी दावा कर रहे थे कि वर्ष 2019 के पर्यटन सीजन तक पार्किंग का लाभ लोगों को मिलने लगेगा, जबकि प्रगति का हाल देखकर लगता है कि वर्ष 2020 तक के सीजन में भी पार्किंग का काम पूरा हो पाना संभव नहीं।

 

मल्टीलेवल पार्किंग पर एक नजर 

काम शुरू, अक्टूबर-नवंबर 2015 

लागत, 31.78 करोड़ रुपये 

पहली डेडलाइन, पांच जून 2017 

अब तक भुगतान, 15 करोड़ रुपये 

डेडलाइन बढ़ाई, सात जुलाई 2018 

अब डेडलाइन, 29 जुलाई 2019 

कार्य प्रगति, 15-20 फीसद 

काम पूरा करने की संभावित तिथि, अभी तक अस्पष्ट

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