पहली बार उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र करेगा ग्लेशियर पर स्टडी – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Tue, 15 Jan 2019 06:10:08 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 पहली बार उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र करेगा ग्लेशियर पर स्टडी http://www.shauryatimes.com/news/27733 Tue, 15 Jan 2019 06:10:08 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=27733 उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) प्रदेश के सभी ग्लेशियर की स्टडी हो रही है. सभी छोटे-बड़े ग्लेशियर की सेटेलाइट इमेज के जरिए स्टडी की जा रही है. ग्लेशियर में किस तरह के बदलाव हो रहे हैं, कैसे उनके क्षेत्र बढ़ रहे हैं, किस क्षेत्र में ग्लेशियर घट रहे हैं. ग्लेशियर में होने वाले बदलाव का प्रकृति पर क्या असर पड़ रहा है, क्या ग्लेशियर किसी खतरे में है या ग्लेशियर का विस्तार हो रहा है. ग्लेशियर के घटने से किस तरह का बदलाव पर्यावरण में देखने को मिल सकता है और उसको रोकने के लिए क्या प्रभावी कदम उठाए जा सकते हैं.

इस स्टडी रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया जाएगा कि ग्लेशियर का कैसा वातावरण है और उनकी स्थिति कैसी है, भौगोलिक स्थिति में किस तरह का बदलाव हो रहा है. उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र इस बारे में भी काम कर रहा है कि आखिर ग्लेशियर को किस तरह से नापा जा सकता है ग्लेशियर में होने वाली हलचल को कैसे समय रहते जाना जा सकता है.

उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक एमपी बिष्ट का कहना है कि अलग अलग संस्थान प्रदेश के अलग-अलग ग्लेशियर की स्टडी करते हैं लेकिन यह पहला मौका है जब उत्तराखंड के सभी ग्लेशियर की मॉनिटरिंग करके उसकी स्टडी की जा रही है. स्टडी के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी जिसको शासन को सौंपा जाएगा जिससे रिपोर्ट के आधार पर सरकार ग्लेशियर के बारे में अपनी नीति बना सके और ग्लेशियर में आने वाले तूफान की जानकारी भी समय रहते मिल सके. फिलहाल अभी ग्लेशियर की रिपोर्ट को तैयार होने में कुछ साल लग जाएंगे. मिसाल के तौर पर गंगोत्री ग्लेशियर, पिंडारी ग्लेशियर, बंदरपूंछ ग्लेशियर, मिलम ग्लेशियर के साथ 2013 के भीषण दैवीय आपदा के दौरान चर्चाओं में आया केदारनाथ का चौराबाड़ी ग्लेशियर की स्थिति का अध्ययन किया जाएगा.

उत्तराखंड में यूं तो 9 हजार छोटे-बड़े ग्लेशियर बताए जाते हैं लेकिन प्रमुख ग्लेशियर में अगर देखा जाए तो चौराबाड़ी, गंगोत्री, पिंडारी, बंदरपूंछ और मिलम जैसे ग्लेशियर का नाम सबसे ऊपर आता है. फिलहाल उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र इस बात को लेकर रिसर्च कर रहा है कि आखिर किस तरह से ग्लेशियर के साथ होने वाली घटनाओं को देखा जा सकता है. साथ ही ग्लेशियर से पर्यावरण पर कैसा प्रभाव पड़ रहा है. उत्तराखंड में दूसरे ग्लेशियर भी है जो छोटे ग्लेशियर की श्रेणी में आते है जैसे दूनागिरी, कफनी , काली, हीरामणि नामिक सुखराम जैसे ग्लेशियर भी उत्तराखंड के चमोली, पिथौरागढ़, बागेश्वर, उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग जैसे जिलों में है.

रालम ग्लेशियर पिथौरागढ़ के मुनिस्यारी तहसील में मौजूद है और इस ग्लेशियर के चारों तरफ जिस तरह की खूबसूरती देखने को मिलती है. वह सालों से सैलानियों के लिए आकर्षण का केन्द्र रही है. इसी तरह से सुंदरडूंगा ग्लेशियर भी है जो बहुत खूबसूरत है. फिलहाल अब भू-वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों की नजर इन्हीं ग्लेशियर पर है और इनमें होने वाली हलचल पर है और ग्लेशियर की स्थिति पर है. फिलहाल अभी रिपोर्ट के आने के लिए कुछ और दिनों तक इंतजार करना पड़ेगा.

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