पैरों से हुईं लाचार तो इशरत अख्तर ने हौसले के पर से भरी उड़ान – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Mon, 04 Nov 2019 05:08:37 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 पैरों से हुईं लाचार तो इशरत अख्तर ने हौसले के पर से भरी उड़ान, सेना बनी मसीहा http://www.shauryatimes.com/news/63047 Mon, 04 Nov 2019 05:08:37 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=63047 पांव लाचार हुए तो इशरत अख्तर हौसले के पंखों से आसमान छूने के लिए परवाज भरने लगीं। आज जम्मू-कश्मीर की यह बेटी विश्व में नाम कमाने निकली है। राज्य की पहली पैरा ओलंपिक बास्केटबॉल खिलाड़ी इशरत अगले माह थाइलैंड में होने वाली एशिया ओशीनिया प्रतियोगिता में देश का नाम रोशन करने मैदान में उतरेगी। कश्मीर स्थित बारामूला के गांव बंगदारा की इशरत भारतीय महिला पैरा ओलंपिक बास्केटबॉल टीम के साथ दिल्ली में राष्ट्रीय कोचिंग कैंप में हिस्सा ले रही हैं। कैंप के बाद वह 26 नवंबर से आठ दिसंबर तक थाइलैंड में होने वाली ओशीनिया प्रतियोगिता में भाग लेंगी। यदि भारतीय टीम इसमें सफल रहती है तो वह वर्ष 2020 में टोकियो में विश्व पैरा ओलंपिक प्रतियोगिता के लिए क्वालीफाई कर लेगी।

मां के देहांत के बाद टूटा दुखों पर पहाड़

2008 में इशरत की मां के देहांत के बाद परिवार पर आफत का पहाड़ टूट पड़ा। चार बेटियों के पिता के लिए आगे का सफर आसान नहीं था। 10वीं में पढ़ रही इशरत 24 अगस्त, 2016 को छत की दूसरी मंजिल से गिरने के बाद गंभीर रूप से घायल हो गई। रीढ़ की हड्डी में गहरी चोट से कमर के नीचे के हिस्से ने काम करना बंद कर दिया। श्रीनगर में सर्जरी हुई। एक साल फिजियोथैरेपी होती रही। इशरत के सामने दो रास्ते थे या हमेशा के लिए बिस्तर तक सीमित हो जाओ फिर कुछ ऐसा करो कि सबके लिए मिसाल बन जाओ। श्रीनगर में 2016 में वेलफेयर मेडिकेशन सोसायटी में फिजियोथेरपी के दौरान कुछ युवाओं को बास्केटबॉल खेलता देख इशरत ने खेलना शुरू कर दिया। इसके बाद उन्होंने पीछे नहीं देखा।

हालात से घबराएं न, डटकर करें मुकाबला

दिल्ली रवाना होने से पहले इशरत ने दैनिक जागरण को बताया, ‘जब मैं नेशनल कोचिंग कैंप में रवाना होने के लिए शुक्रवार को श्रीनगर एयरपोर्ट पहुंची तो मुझे छोड़ने सेना के कई अधिकारी थे। मुझी खुशी थी कि पहली बार मेरे पिता अब्दुल रशीद मीर मुझे छोड़ने आए थे।’ मीर जलापूर्ति विभाग में कार्यरत हैं। इशरत ने बताया, ‘उनकी बड़ी बहन सायमा ने मेरा हौसला बढ़ाया। सेना की प्रेरणा से आज मेरे पिता मुझे खेलने के लिए बढ़ावा दे रहे हैं। भारतीय टीम के मेरे कोच लुईस जार्ज और कश्मीर के मेरे कोच शाहिद राजा ने पूरी सहायता की। मैं उनकी आभारी हूं। मैं चाहती हूं कि अपने जैसे युवाओं को यह हिम्मत दे सकूं कि वे किसी भी प्रकार के हालात से न घबराते हुए सपने संजोएं।’ मोहाली और तमिलनाडु में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन की बदौलत इशरत को चेन्नई में होने वाले भारतीय टीम के ट्रायल के लिए चुन लिया गया।

सेना बनी मसीहा

अनुच्छेद-370 हटने के बाद कश्मीर में उपजे हालात में इशरत को अंदाजा तक नहीं था कि उन्हें भारतीय टीम के ट्रायल के लिए चुन लिया है। मोबाइल, टेलीफोन और इंटरनेट बंद होने के कारण व्हीलेयर बास्टकेटबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया के पदाधिकारी उनसे संपर्क नहीं कर पा रहे थे। कोच लुईस जार्ज ने ट्वीट किया कि कश्मीर की खिलाड़ी इशरत कोचिंग कैंप में नहीं पहुंच रही है। केरल में रह रहे सेवानिवृत्त कर्नल आइजनहावर ने सेना की उत्तरी कमान से संपर्क किया। इसके बाद सेना 26 अगस्त को सेना उनके घर तक आ पहुंची। उन्हें संदेश मिला कि 28 अगस्त सुबह ट्रायल के लिए चेन्नई पहुंचना है। इशरत का कहना है कि सेना में मेरा हवाई टिकट बुक करवाया। 27 अगस्त रात 11 बजे चेन्नई पहुंची। ट्रायल हुए और मैं भारतीय टीम के लिए चुनी गई। इस तरह 12 सदस्यीय टीम में शामिल हुई।

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