फिर अंडे से बाहर आए 232 घड़ियाल – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Wed, 05 Jun 2019 10:55:53 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 पहले आई ‘मदर कॉल’, फिर अंडे से बाहर आए 232 घड़ियाल http://www.shauryatimes.com/news/44393 Wed, 05 Jun 2019 10:55:53 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=44393 राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में नदी से लाए गए 260 अंडों में से 232 अंडों में से बच्चों का जन्म हो चुका है। खास बात यह है कि इस बार इन अंडों में से निकले सभी बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ और सुरक्षित हैं। ईको सेंटर पर पहली हैचिंग 23 मई को हुई थी और तब से अब तक छह हैचिंग हो चुकी हैं। इसके बाद अब 28 बच्चों का अंडों से बाहर आने का इंतजार है। यह हैचिंग भी आने वाले तीन से चार दिन में पूरी हो जाएगी।

इस बार ईको सेंटर में चंबल नदी के बरौली और टिकरी घाट से घड़ियालों के अंडे लाए गए थे। इन्हें रेत के कृत्रिम घोसले बनाकर रखा गया था। विशेषज्ञ इन घोसलों में थर्मामीटर लगाकर रखते हैं और लगातार तापमान लेते रहते हैं। घड़ियाल जमीन में करीब दो फीट तक नीचे रहते हैं। जन्म से पहले घड़ियाल अंडों में से ही एक विशेष प्रकार की आवाज निकालते हैं, जो असानी से सुनी जा सकती है। इस आवाज को मदर कॉल कहा जाता है। जिसे सुनकर विशेषज्ञ समझ जाते हैं कि बच्चों के बाहर निकाले जाने का समय हो चुका है। इसके बाद घोसले को खोदकर अंडे बाहर रख दिए जाते हैं और एक-एक करके बच्चे बाहर आने लगते हैं।

यह है प्रजनन चक्र

विशेषज्ञों के अनुसार घड़ियाल मार्च के दूसरे सप्ताह यानी 15 मार्च के आसपास ही अंडे दे देती हैं। इसके बाद मई के तीसरे हफ्ते यानी 20 मई से लेकर जून के पहले हफ्ते यानी 7 मई तक अंडों से बच्चों के बाहर आने का सिलसिला चलता है।

ऐसे बाहर आए 232 घड़ियाल

-घड़ियालों के 260 अंडे चंबल से लाकर देवरी ईको सेंटर पर सुरक्षति रखे गए थे।

-रविवार 23 मई को अंडों से पहली बार 19 घड़ियाल बाहर आए।

-इसके बाद 27 मई, 29 मई, 30 मई, 3 मई को हुई हैचिंग में 225 बच्चे बाहर आए।

-4 जून को 07 अंडों से बच्चे बाहर आए हैं।

-अब 28 अंडों से बच्चों का बाहर निकलना शेष है।

बच्चों के बारे में खास बातें

-जन्म के समय बच्चों का वजन 125 ग्राम तक होता है।

-जन्म के साथ ही बच्चे अपने योक में 10 दिन का भोजन लेकर पैदा होते हैं।

-3 से 4 दिन तक घड़ियालों को जिंदा जीरो साइज फिश कर्मचारी अपने हाथों से खिलाते हैं।

-4 साल तक इनकी विशेष देखरेख होती है, जिसके बाद ये 120 सेंटीमीटर लंबाई हासिल कर लेते हैं।

-5 वें साल में इन्हें चंबल छोड़ दिया जाता है।

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