बिहार और हिमाचल प्रदेश सेबसे आगे – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Sat, 20 Feb 2021 06:26:55 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 पुलिस बल में महिलाओं की भागीदारी, बिहार और हिमाचल प्रदेश सेबसे आगे http://www.shauryatimes.com/news/103155 Sat, 20 Feb 2021 06:26:55 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=103155 हाल में आई इंडिया जस्टिस रिपोर्ट-2020 के मुताबिक बिहार में दूसरे राज्यों के मुकाबले ज्यादा महिला पुलिसकर्मी तैनात हैं। राज्य के पुलिस बल में 25.3 फीसद महिलाएं हैं। यानी बिहार में हर चार पुलिस में एक पुलिसकर्मी महिला है। बिहार के बाद हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या क्रमश: 19.2 प्रतिशत और 18.5 प्रतिशत है। कानून व्यवस्था और पुलिस प्रशासन के मामले में कई मोर्चो पर हमारी व्यवस्था को लचर और असहयोगी माना जाता है। खासकर महिलाओं के साथ होने वाली आपराधिक घटनाओं में पुलिस का अकसर निराशाजनक व्यवहार देखने को मिलता है। ऐसे में बिहार जैसे राज्य में पुलिस बल में महिलाओं का बढ़ता प्रतिनिधित्व आधी आबादी का भरोसा बढ़ाने वाला है। खासकर तब जब देश भर में ही महिला पुलिसकíमयों की संख्या पुरुषों के मुकाबले काफी कम है। तथ्यों के अनुसार भारत में हर दस पुलिसकíमयों में मात्र एक महिला है। अधिकारी स्तर की बात जाए तो हमारे यहां 100 में मात्र सात पुलिस अधिकारी महिला हैं।

भारत जैसे देश में जहां महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के आंकड़े साल-दर-साल बढ़ रहे हैं, वहां पुलिस बल में महिलाओं की कम भागीदारी चिंतनीय है। इस क्षेत्र में उनका दखल कम होना देश की आधी आबादी के मनोवैज्ञानिक और सामाजिक जीवन को भी प्रभावित करता है। अगर थानों में महिला पुलिसकर्मी मौजूद हो तो यह अन्य महिलाओं का मनोबल बढ़ाने वाला साबित होता है। सार्वजनिक स्थानों पर भी महिला पुलिस की तैनाती आम स्त्रियों में सुरक्षा और संबल का भाव जगाती है। इतना ही नहीं छेड़छाड़ या दुष्कर्म की शिकार लड़कियां महिला पुलिस अधिकारी के समक्ष अपनी बात बेहतर ढंग से रख सकती हैं। देश में आमजन को आज भी पुलिस से सहायता मांगने में डर लगता है। महिलाएं तो अकेले थाने जाने से भी कतराती हैं। यही वजह है कि भारत में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में से बड़ी संख्या में ऐसे मामले भी होते हैं, जो रिपोर्ट ही नहीं किए जाते। महिला पुलिसकíमयों की तादाद बढ़ने से पुलिस थानों का परिवेश बदलेगा और महिलाएं आगे आकर शिकायतें दर्ज करवाएंगी।

पुलिस में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर राष्ट्रीय पुलिस आयोग ने 1980 में ही सिफारिश की थी कि हर पुलिस स्टेशन पर महिला पुलिसकíमयों की संख्या कम से कम दस प्रतिशत की जानी चाहिए। ऐसा होने से किसी भी तरह की क्रूरता या प्रताड़ना की शिकार महिला को अपनी पीड़ा साझा करने और रिपोर्ट दर्ज करवाते समय एक मनोवैज्ञानिक संबल मिल सकेगा। यकीनन महिला सुरक्षा से जुड़ी गंभीर चिंताओं के मद्देनजर देश में आज ऐसा होना जरूरी भी है।

]]>