बिहार के 90% सरकारी और गैर सरकारी कार्यालयों में महिलाओं से यौनशोषण के मामले में उनकी फरियाद सुनने वाला कोई नहीं है – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Thu, 25 Oct 2018 07:24:11 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 बिहार के 90% सरकारी और गैर सरकारी कार्यालयों में महिलाओं से यौनशोषण के मामले में उनकी फरियाद सुनने वाला कोई नहीं है http://www.shauryatimes.com/news/15735 Thu, 25 Oct 2018 07:24:11 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=15735 सरकारी एवं गैर सरकारी कार्यालयों में काम करने वाली महिलाओं की फरियाद सुनने वाला कोई नहीं है। सुप्रीम कोर्ट से विशाखा गाइडलाइन जारी होने के बावजूद 90 फीसद कार्यालयों में अब तक आंतरिक शिकायत समिति (आइसीसी) का गठन नहीं हो सका है।

प्राइवेट संस्थानों की बात तो दूर सरकारी कार्यालयों व संस्थानों में भी इसका पालन नहीं हो रहा। इसके प्रति समाज कल्याण विभाग और महिला विकास निगम भी सजग नहीं है। विभाग और निगम के पास कोई आंकड़ा तक नहीं है कि किस कार्यालय में आइसीसी का गठन हुआ और शिकायत मिली या नहीं? ऐसी सूरत में कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीडऩ की शिकार महिलाओं को थाना पुलिस और कोर्ट में जाने का अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता।

इसका खुलासा हेल्पिंग ह्यूमन संस्था के स्टेट प्रेसिडेंट रंजीत कुमार द्वारा आरटीआइ (सूचना का अधिकार) के तहत मांगे गए जवाब से हुआ। रंजीत ने जब समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव से जानकारी मांगी तो उन्होंने पत्र को महिला विकास निगम में भेज दिया। आइसीसी पर निगरानी रखने की जिम्मेवारी महिला विकास निगम की है।

क्या है विशाखा गाइडलाइन…

राजस्थान की भंवरी देवी के साथ सामूहिक दुष्कर्म का मामला 1997 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। 2013 में अंतिम सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा को लेकर आदेश जारी किया था, जिसका नाम विशाखा गाइडलाइन दिया गया। इसके तहत केंद्र सरकार ने कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ लैंगिक उत्पीडऩ से संबंधित कानून को मंजूरी दी।

किसी महिला को गलत तरीके से छूना, घूरना, यौन संबंध बनाने के लिए कहना, अश्लील इशारे व चुटकुले सुनाना, पॉर्न फिल्म या क्लिप दिखाना जैसी वारदातों को विशाखा गाइडलाइन के तहत यौन उत्पीडऩ माना गया। महिलाएं आरोपित कर्मी या अधिकारी के विरुद्ध शिकायत कर सकें, इसके लिए 10 या उससे अधिक कर्मचारी वाले दफ्तर में आइसीसी का गठन करना अनिवार्य है।

कई विभागों से नहीं मिला जवाब

आरटीआइ कार्यकर्ता रंजीत बताते हैं कि उन्होंने लगभग सभी सरकारी विभागों में आंतरिक एवं स्थानीय शिकायत समिति के गठन से संबंधित सूचना मांगी। विभागाध्यक्षों ने जिला मुख्यालय को पत्राचार कर सूचना उपलब्ध कराने के लिए लिखा। लेकिन, ज्यादातर कार्यालयों से सूचना प्राप्त नहीं हुई।

कुछ जगह से गोल-मोल जवाब मिले। वहीं, जवाब देने वाले अधिसंख्य लोक सूचना पदाधिकारियों ने कहा कि इस संबंध में सरकार या विभाग के स्तर से आदेश जारी नहीं हुआ है, इसलिए समिति का गठन नहीं किया गया।

विभागों और कार्यालयों से मिले ऐसे जवाब

– प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, पंडारक (पटना) : न अब तक कोई शिकायत मिली और न ही आइसीसी का गठन हुआ।

– सदर अस्पताल, बिहारशरीफ (नालंदा) : आइसीसी का गठन नहीं हुआ।

– बिहार सूचना आयोग (पटना) : आयोग के अभिलेखों में इस प्रकार की कोई सूचना संधारित नहीं है।

– स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (महाप्रबंधक, नेटवर्क-1) : शाखा के स्तर पर आइसीसी के गठन का कोई प्रावधान नहीं है और स्थानीय शिकायत समिति सरकारी विभागों में अनिवार्य है, बैंक के अंदर नहीं।

– सिविल सर्जन कार्यालय, नवादा : सरकार या स्वास्थ्य विभाग से आदेश प्राप्त होने के बाद समिति का गठन किया जाएगा।

– जयप्रभा अस्पताल, कंकड़बाग (पटना) : आइसीसी का गठन नहीं हुआ है।

– गया नगर निगम : आइसीसी का गठन स्थापना शाखा, गोपनीय शाखा और सामान्य शाखा से नहीं हुआ है।

– न्यू गर्दनीबाग अस्पताल (पटना) : संस्थान में महिला कर्मियों की शिकायत के लिए कोषांग का गठन नहीं हुआ है।

– राजकीय औषधि सह उपचार गृह, नया सचिवालय (पटना) : आइसीसी का गठन करने के लिए उच्चाधिकारियों से कोई दिशानिर्देश नहीं मिला।

– प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, खुसरूपुर (सहित प्रखंड के तीन अस्पतालों) : आतंरिक शिकायत समिति का गठन नहीं है।

– प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, मनेर (सहित पांच अस्पतालों) : आइसीसी का गठन नहीं हुआ।

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