बीहड़ों में गरजने वाली बंदूकें हुईं खामोश – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Thu, 15 Nov 2018 06:35:45 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 बीहड़ों में गरजने वाली बंदूकें हुईं खामोश, 30 साल में पहली बार चुनावी राजनीति से हो रहे दूर… http://www.shauryatimes.com/news/18261 Thu, 15 Nov 2018 06:35:45 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=18261  मध्य प्रदेश में 28 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में प्रदेश की किसी भी सीट पर इस बार न तो कोई डकैत चुनावी मैदान में उतरा है और न ही किसी प्रत्याशी के लिए चुनाव प्रचार कर रहा है. पिछले तीन दशक में पहला मौका है, जब ऐसा हो रहा है. हालांकि, इससे पहले डकैतों के चुनाव में उतरने के लिए मध्‍य प्रदेश के ग्वालियर, चंबल एवं विंध्‍य क्षेत्र मशहूर रहे हैं. कुछेक डकैत विधायक बनकर सुर्खियों में भी रहे हैं.

वर्ष 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में पूर्व डकैत प्रेम सिंह कांग्रेस के टिकट पर मध्य प्रदेश के सतना जिले की चित्रकूट सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे और उन्होंने भाजपा के सुरेंद्र सिंह गहरवार को 10,970 मतों से पराजित किया था. दस्यु जीवन से राजनीति का सफर करने वाले प्रेम सिंह इस सीट से तीन बार विधायक रहे. वह वर्ष 1998 एवं वर्ष 2003 में भी कांग्रेस के टिकट पर ही जीत कर विधायक बने थे.

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं दिवंगत दिग्गज कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह के कट्टर समर्थक रहे प्रेम सिंह का लंबी बीमार के बाद पिछले साल मई में निधन हो गया था. सतना के पत्रकार राजेश द्विवेदी ने बताया कि प्रेम सिंह के निधन के बाद डकैतों द्वारा चुनाव को प्रभावित करने और उनके द्वारा किसी भी सीट से चुनाव जीतने का युग मध्य प्रदेश में अब खत्म हो गया है.

वहीं, ग्वालियर के समाजसेवी डाक्टर केशव पांडे ने बताया कि चंबल के बीहड़ों में खौफ से दहलाने वाले पूर्व डाकू मलखान सिंह एवं डाकू मनोहर सिंह गुर्जर ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के पक्ष में चुनाव प्रचार किया था. 25 साल से अधिक समय तक चंबल घाटी में आतंक मचाने के बाद मलखान सिंह ने करीब साढ़े तीन दशक पहले अर्जुन सिंह सरकार के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था और अब वे बंदूक छोड़ आध्यात्मिक मार्ग अपना चुके हैं.

बड़ी-बड़ी मूंछ रखने वाले मलखान सिंह ने पंचायत चुनाव लड़ा था और इसमें जीत भी हासिल की थी. वह विभिन्न राजनीतिक दलों से भी जुड़ा रहा. उसने वर्ष 1996 में भिंड से समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधानसभा का उपचुनाव भी लड़ा था, लेकिन हार गया. मलखान ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस के और समाजवादी पार्टी के लिए उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार भी किया. पिछले दो विधानसभा चुनाव में उसने भाजपा के प्रत्याशियों का समर्थन किया और उनके लिए वोट भी मांगे.

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मधुमेह से पीड़ित डाकू मनोहर सिंह गुर्जर 90 के दशक में भाजपा में शामिल हुए और वर्ष 1995 में भिंड जिले की मेहगांव नगरपालिका के अध्यक्ष बने. हालांकि, अब वह अपना छोटा-मोटा निजी कारोबार करते हैं. पूर्व डकैत बलवंत सिंह (65) ने बताया कि वह इस साल एससी/एसटी एक्ट में हुए संशोधन से नाराज हैं, लेकिन इसके बाद भी वह किसी राजनीतिक दल को इस चुनाव में समर्थन नहीं कर रहे हैं. बलवंत जाने माने डकैत पान सिंह तोमर का रिश्तेदार है.

डाक्टर पांडे ने बताया कि ग्वालियर एवं चंबल क्षेत्र में डकैतों का प्रभाव अब खत्म हो गया है.

बीहड़ के गैंग
राजेश द्विवेदी ने कहा कि वर्तमान में मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र के बीहड़ में डकैतों के दो गैंग मौजूद हैं, जिनमें बबली कौल एवं लवलेश कौल शामिल हैं. लेकिन इन दोनों गैंगों की राजनीतिक अखाड़े  में कोई गिनती नहीं है. द्विवेदी ने बताया कि प्रेम सिंह से पहले पूर्व खूंखार डकैत शिव कुमार पटेल उर्फ ददुआ चित्रकूट एवं मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश से सटे हुए विंध्य क्षेत्र में चुनावों में अपनी मौजूदगी दर्शाता था और चुनावों में अपना असर दिखाता था.

ठीक इसी तरह से एक अन्य डकैत अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया भी चुनावों को प्रभावित किया करता था. इन दोनों डकैतों की ग्रामीण इलाकों के वोटों विशेष रूप से पटेल जाति के लोगों पर प्रभाव रहता था. पटेल मध्य प्रदेश में ओबीसी में आता है. उन्होंने कहा कि ददुआ का मध्य प्रदेश से सटे हुए उत्तर प्रदेश में भी राजनीतिक वर्चस्व रहा है. वहां पर उसके छोटे भाई बाल कुमार पटेल मिर्जापुर (यूपी) से समाजवादी पार्टी के टिकट पर वर्ष 2009 से वर्ष 2014 तक सांसद रहे हैं.

मध्य प्रदेश के सतना जिले से बाल कुमार पटेल ने बताया, ‘वर्तमान में मैं मध्य प्रदेश समाजवादी पार्टी का चुनाव कमेटी का सदस्य हूं.’ उन्होंने कहा कि उनका भतीजा एवं ददुआ का बेटा वीर सिंह वर्ष 2012 से वर्ष 2017 तक उत्तर प्रदेश के चित्रकूट सीट से समाजवादी पार्टी की टिकट पर विधायक रहा है. ठीक इसी तरह से मेरा बेटा राम सिंह भी वर्ष 2012 से वर्ष 2017 तक उत्तर प्रदेश की प्रतापगढ़ सीट से समाजवादी पार्टी का विधायक रहा है.

बाल कुमार ने बताया, ‘वर्तमान में राम सिंह उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के समाजवदी पार्टी के अध्यक्ष हैं.’ उन्होंने कहा, ‘मेरा भतीजा वीर सिंह भी वर्तमान में मध्य प्रदेश के सतना जिले का समाजवादी पार्टी का चुनाव प्रभारी है.’

पत्रकार द्विवेदी ने बताया कि उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं बसपा सुप्रीमो मायावादी ने जब डकैतों के खिलाफ अभियान चलाया था तो उस दौरान पुलिस मुठभेड़ में ददुआ एवं ठोकिया को क्रमश: वर्ष 2006 एवं वर्ष 2007 में मध्य प्रदेश से सटे हुए उत्तर प्रदेश के गांवों में ढेर कर दिया गया था. पुलिस सूत्रों ने बताया कि वे मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में हत्या, अपहरण एवं डकैती के 300 से अधिक अपराधों में शामिल थे.

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कौन हैं टीएम कृष्‍णा, जिनका कंसर्ट सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग के कारण करना पड़ा रद्द http://www.shauryatimes.com/news/18258 Thu, 15 Nov 2018 06:31:37 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=18258  सोशल मीडिया पर चलाए जा रहे दक्षिणपंथी ट्रोल्‍स की मार दक्षिण के मशहूर सिंगर टीएम कृष्‍णा को भी झेलनी पड़ी है. इन ट्रोल्‍स के कारण टीएम कृष्‍णा का दिल्‍ली में प्रस्‍तावित एक कंसर्ट रद्द कर दिया गया है. साथ ही आरोप लगाए गए हैं कि आयोजकों ने दक्षिणपंथी ट्रोल्‍स के दबाव में यह कार्यक्रम रद्द किया है. यह कार्यक्रम शनिवार को दिल्‍ली के चाणक्‍यपुरी के नेहरू प्‍लेस में होना था. इंडियन एक्‍सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक इसके रद्द होने के बाद टीएम कृष्‍णा का कहना है ‘मुझे दिल्‍ली में कहीं पर भी 17 नवंबर को एक स्‍टेज मुहैया करा दें. मैं आऊंगा और गाऊंगा. हम किसी भी तरह के डर के आगे खुद को झुका नहीं सकते.’

बता दें कि टीएम कृष्‍णा का यह कंसर्ट दो दिन के ‘डांस एंड म्‍यूजिक इन द पार्क’ फेस्टिवल का हिस्‍सा था. इसका आयोजन दिल्‍ली के चाणक्‍यपुरी स्थित नेहरू पार्क में 17 नवंबर को होना था. इसका आयोजन एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) और एसपीआईसी-एमएसीएवाई द्वारा संयुक्‍त रूप से होना था. एएआई ने 5 नवंबर को अपने ट्विटर हैंडल पर जानकारी दी थी कि सिंगर टीएम कृष्‍णा के इस कंसर्ट से जुड़ी पूरी जानकारी शेयर की थी. इसके बाद 10 नवंबर को भी उनके कार्यक्रम की जानकारी शेयर की गई थी. साथ ही कई अखबारों में इसके लिए विज्ञापन भी दिए गए थे.

इस पर एएआई के चेयरमैन गुरुप्रसाद मोहापात्रा ने किसी भी दबाव या आलोचना के कारण यह कंसर्ट रद करने की बात से इनकार किया है. उनका कहना है कि हमारे सामने कुछ मुद्दे हैं. हम पर काम का कुछ बोझ आ गया है, जिसके कारण हम अभी उस दिन के लिए खाली नहीं है. हमने मीडिया को जो भी सूचना दी है, उतनी ही काफी है, इसके अलावा कुछ और नहीं है.

दूसरी ओर टीएम कृष्‍णा ने सोमवार को एएआई के निमंत्रण को रिट्वीट किया. इसके बाद यह ट्रोल होने लगा. इसमें सरकारी विभाग को कृष्‍णा का कार्यक्रम का आयोजन करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा. ट्विटर पर लोगों ने एएआई पर लोगों के रुपये का इस्‍तेमाल करके कृष्‍णा का कंसर्ट कराने का आरोप लगाया. लोगों ने कृष्‍णा को देश विरोधी भी बातया था.

बता दें कि टीएम कृष्‍णा का जन्‍म 22 जनवरी, 1976 में चेन्‍नई में हुआ था. उन्‍होंने 12 साल की उम्र में अपना गायकी का करियर शुरू किया था. इसके बाद उन्‍होंने दुनिया भर में अपने कार्यक्रम किए हैं. वह गायक के साथ-साथ लेखक भी हैं. 2013 में प्रकाशित हुई उनकी पुस्‍तक ‘ए सदर्न म्‍यूजिक-द कर्नाटिक सटोरी’ काफी लोकप्रिय हुई थी. इसके लिए उन्‍हें 2014 में टाटा लिटरेचर अवॉर्ड मिला था. उन्‍हें 2016 में रेमन मैग्‍सेसे अवॉर्ड भी मिल चुका है.

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