भगवान विष्णु ने राम के रूप में पृथ्वी पर लिया था अवतार – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Thu, 13 Jun 2019 05:48:18 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 भगवान विष्णु ने राम के रूप में पृथ्वी पर लिया था अवतार http://www.shauryatimes.com/news/45153 Thu, 13 Jun 2019 05:48:18 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=45153 आप सभी जानते ही होंगे कि देवर्षि नारद के बारे में सब यह जानते हैं कि वह भगवान विष्णु के परम भक्त रहे हैं. इसी के साथ ब्रह्माजी के 17 मानस पुत्रों में से एक नारद मुनि को ज्ञान और बुद्धि के कारण सभी देवता, असुर और ऋषि इनका सम्मान करते थे और अब आज हम आपको उनसे जुड़ी एक कथा के बारे में बताएंगे कि” नारद जी को अपने तप पर घमंड हो गया था और फिर क्या हुआ था, जी हाँ, कैसे भगवान विष्णु ने उनके घमंड को तोड़ा था.”

कथा – पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार देवर्षि नारद को इस बात का घमंड हो गया था कि कामदेव भी उनकी तपस्या व ब्रह्मचर्य भंग नहीं कर पाए. देवर्षि नारद ने यह बात भगवान शंकर को बताई, महादेव ने कहा कि इस बात को भगवान विष्णु के सामने इतने अभिमान के साथ नहीं कहना. शिव के मना करने के बाद भी नारद मुनि ने यह बात भगवान विष्णु को बताई. तब भगवान समझ गए की नारद मुनि में अहंकार आ गया है. इसे खत्म करने के लिए विष्णु ने योजना बनाई. नारद मुनि भगवान विष्णु को प्रणाम कर आगे बढ़ गए. रास्ते में नारद मुनि को एक सुन्दर भवन दिखाई दिया.

वहां की राजकुमारी के स्वयंवर का आयोजन हो रहा था. नारद उस जगह पर पहुंच गए और वहां की राजकुमारी विश्वमोहिनी को देखकर मोहित हो गए. भगवान विष्णु की माया के कारण यह सब हो रहा था. राजकुमारी का सुंदर रूप नारद मुनि के तप को भंग कर चुका था. जिस कारण उन्होंने इस स्वयंवर में हिस्सा लेने का मन बना लिया. राजकुमारी को पाने की इच्छा में नारद अपने स्वामी भगवान विष्णु की शरण में पहुंचे और उनसे उनके समान सुंदर रूप पाने की इच्छा जाहिर की. भगवान विष्णु ने नारद की इच्छा अनुसार उन्हें रूप भी दे दिया. नारद नहीं जानते थे कि भगवान विष्णु का एक वानर रूप भी है. हरि रूप लेकर नारद उस स्वयंवर मे पहुंच गए. उन्हें अपने आप पर इतना अभिमान हो गया था कि उन्होंने एक बार भी अपना चेहरा नहीं देखा. नारद को इस बात का विश्वास हो गया था कि हरि रूप को देखकर राजकुमारी उन्हीं के गले में वरमाला पहनाएगी.

लेकिन ऐसा नहीं हुआ राजकुमारी ने उन्हें छोड़ भगवान विष्णु के गले में माला डाल दी. नारद के रूप को देखकर जब सब लोगों ने उनकी हंसी उड़ाई तो उन्होंने सरोवर में जाकर अपना चेहरा देखा और उन्हें भगवान विष्णु पर क्रोध आया. क्रोध के वश में आकर नारद जी ने भगवान विष्णु को श्राप दे दिया और कहा कि जैसे मैं स्त्री के लिए धरती पर व्याकुल था वैसे ही आप भी मनुष्य रूप में जन्म लेकर स्त्री के वियोग से व्याकुल होकर धरती पर भटकेंगे और उस समय आपकी वानर ही सहायता करेंगे. लेकिन जब भगवान की माया का प्रभाव हटा तब नारद जी को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने भगवान से तुरंत क्षमा मांगी. ऐसा माना जाता ही कि भगवान विष्णु को राम के रूप में पृथ्वी पर अवतार लेना पड़ा और माता सीता का वियोग भी सहना पड़ा और वानरों की भी सहायता लेनी पड़ी थी.

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