भारत-पाक सरहद पर ‘शक्कर’ और ‘शरबत’ के लिए बेताब लोग – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Thu, 20 Jun 2019 05:52:46 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 भारत-पाक सरहद पर ‘शक्कर’ और ‘शरबत’ के लिए बेताब लोग, जानिए- क्या है मामला http://www.shauryatimes.com/news/45983 Thu, 20 Jun 2019 05:52:46 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=45983 तनाव के बावजूद भारत-पाकिस्तान के सरहदी गांवों में बाबा दिलीप सिंह की मजार की ‘शक्कर’ और ‘शरबत’ के लिए खासी बेताबी है। जम्मू संभाग के सांबा की अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटी बाबा की मजार की मिट्टी जिसे शक्कर और कुएं का पानी जिसे शरबत कहते हैं, के लिए लोग हर साल उत्साहित रहते हैं।

दोनों मुल्कों के लोगों में बाबा की मजार को लेकर खासी आस्था है। दोनों तरफ बाबा की मजार पर मेला भी लगता है। यह मजार दो हिस्सों में बंटी है। दरगाह का एक हिस्सा पाक के गांव सैदावाली में है और दूसरा भारत के छन्नी फतवाल में।

सात दिन होता है मेला
गांव सैदावाली में चमलियाल मेला सात दिन पहले पारंपरिक रीति रिवाज से शुरू हो जाता है। इस तरफ 27 जून को मेले की तारीख तो निर्धारित हुई है, लेकिन रक्षा मंत्रालय की तरफ से शक्कर और शरबत के आदान-प्रदान पर कोई आदेश जारी नहीं हुआ। पाक से मेले की तारीख 21 जून तय हुई है।

सांबा प्रशासन ने शुरू की तैयारियां

जीरो लाइन से सटे गांव दग छन्नी में बाबा की मजार जिसे बाबा चमलियाल की दरगाह भी कहा जाता है, पर लगने वाले मेले की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। मेले में करीब ढाई लाख लोग उमड़ते हैं। दरगाह प्रबंधन, जिला प्रशासन, पर्यटन विभाग, बीएसएफ तैयारी को अंतिम रूप देने में जुटा है।

अभी नहीं हुआ फैसला

शक्कर-शरबत जिसे बीएसएफ और पाक रेंजर्स आदान-प्रदान करते हैं, पर मसला अटका हुआ है। क्योंकि गृह मंत्रालय ने जीरो लाइन पर मेले से सप्ताह पहले होने वाली फ्लैग मीटिंग पर फैसला नहीं लिया है। विशेष बैठक में अपने-अपने क्षेत्र में मजार की शक्कर-शरबत के आदान-प्रदान पर फैसला लिया जाता है। शक्कर-शरबत के आदान पर फैसला बीएसएफ पर निर्भर करेगा।

विभाजन से पूर्व चल रहा मेला

यह मेला देश के विभाजन से पूर्व से चला आ रहा है। बंटवारे के बाद भी बाद पाक जनता उस दरगाह को मानती है जो भारत के हिस्से में आ गई। दरगाह की झलक पाने तथा सीमा के इस तरफ पाकिस्तान भेजे जाने वाले शक्कर और शरबत की चार लाख लोगों को प्रतीक्षा रहती है।

2018 में नहीं हो सका था मेला

वर्षों पुरानी परंपरा को निभाने के लिए भारत ने कभी अपने कदम पीछे नहीं किए, लेकिन 2018 में मेले से दो सप्ताह पूर्व इसी क्षेत्र में पाकिस्तान ने गोलीबारी की थी। इसके बाद मेला सीमा से एक किमी. दूर लगा था, लेकिन शक्कर-शरबत का आदान प्रदान नहीं हुआ था।

यह है मान्यता

मान्यता है कि मिट्टी-पानी के लेप को शरीर पर मलने से चर्म रोगों से मुक्ति पाई जा सकती है। आज भी देश के विभिन्न हिस्सों से लोग चरम रोग से मुक्ति के लिए यहां आते हैं। इस स्थान पर विशेष कुएं के पानी और वहां की मिट्टी का लेप शरीर पर लगाने का कोर्स कुछ दिन का होता है। दावा है कि यहां चर्म रोग दूर हो जाता है। बंटवारे के बाद 70 वर्षों से इस क्षेत्र की मिट्टी तथा पानी को ट्रॉलियों और टैंकरों में भरकर पाक श्रद्धालुओं को भिजवाने का कार्य पाकिस्तानी रेंजर, बीएसएफ के अधिकारियों के साथ मिलकर करते रहे हैं।

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