‘मसान’ से लेकर ‘मिर्जापुर’ तक – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Sun, 10 Feb 2019 05:41:44 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 ‘मसान’ से लेकर ‘मिर्जापुर’ तक, पंकज त्रिपाठी के ये 5 डायलॉग्स बना देंगे आपको दीवाना http://www.shauryatimes.com/news/31483 Sun, 10 Feb 2019 05:41:44 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=31483 पंकज त्रिपाठी उन अभिनेताओं में से हैं जो हर रोल में खुद को ढ़ालने में माहिर हैं. ‘बरेली की बर्फी’, ‘स्त्री’, सैक्रेड गेम्स के बाद अब ‘मिर्जापुर’ के ‘कालीन भैया’ बनकर पंकज लोगों का दिल जीतने में कामयाब हुए हैं. पंकज त्रिपाठी के लिए 2018 का साल अब तक का बेस्ट रहा है, उन्होंने नेशनल अवार्ड्स जीते हैं और बड़ी एवं छोटी दोनों स्क्रीनों पर अविश्वसनीय परफॉर्मेंस दी है. 

पंकज त्रिपाठी के दमदार डायलॉग्स
पिछले कई सालों से काम कर रहे इस अभिनेता को आखिरकार अब पिछले कुछ महीनों में एक ऐसी प्रतिभा के रूप में पहचाना जा रहा है जिनका अभिनय देखने से अब कोई चूकना नहीं रहना चाहता. पंकज त्रिपाठी के डायलॉग्स ही उनकी अभिनय की जान है. ऐसे में हम आपको उनके पांच ऐसे दमदार डायलॉग्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे आप पंकज त्रिपाठी के दीवाने बन जाएंगे.

फिल्म: मसान
डायलॉग: यहां 28 ट्रेनें रुकती हैं और कितनी नहीं रुकतीं 64, मतलब यहां आना आसान है, यहां से जाना मुश्किल.

फिल्म: मसान
डायलॉग: आप अकेले रहते हैं? पंकज त्रिपाठी: नहीं, हम पिता जी के साथ रहते हैं. पिता जी अकेले रहते हैं.

फिल्म: स्त्री
डायलॉग: कई साल पहले शहर में एक सुंदर वैश्या हुआ करती थी. आखिर उसको एक ऐसा मर्द मिला, जो उसकी शरीर से नहीं, उसकी आत्मा से प्यार करता था. सच्चा प्यार. और एक तुम्हारी जेनरेशन का प्यार है- फर्स्ट टाइम देखा तुझे लव हो गया और सेकेंड टाइम में सब हो गया… कहां जा रही है हमारी युवा पीढ़ी.

फिल्म: न्यूटन
डायलॉग: राजकुमार राव को गन देते हुए कहते हैं- ‘पकड़िए भारी है न, ये देश का भार है और हमारे कंधे पर है’.

फिल्म: मिर्जापुर
डायलॉग: आप जिस शहर में नौकर बनकर आए हैं, हम मालिक हैं उस शहर के

]]>