विपरीत हालात के बावजूद भीख मांगना छोड़ दसवीं तक पढ़ाई की – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Tue, 05 Nov 2019 05:28:41 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 विपरीत हालात के बावजूद भीख मांगना छोड़ दसवीं तक पढ़ाई की, अब इंजीनियरिंग की तैयारी http://www.shauryatimes.com/news/63130 Tue, 05 Nov 2019 05:28:41 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=63130 पटियाला ट्रक यूनियन के पास बनी झोपड़ी में रहने वाले बच्चे आर्थिक तंगी के कारण भीख मांगने को मजबूर हैं। इस बस्ती में शिक्षा का सवेरा आएगा, ऐसी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। शिक्षा का यह सवेरा लेकर आई इस बस्ती की एक बच्ची, संध्या। विपरीत हालात के बावजूद उसने भीख मांगना छोड़ पढ़ाई शुरू की। मेहनत रंग लाई और उसने दसवीं की परीक्षा पास की। अब संध्या का चयन बेंगलुरु के संस्थान में सॉफ्टवेयर डेवलपर कोर्स के लिए हुआ है।

संध्या के पिता ट्रक यूनियन में रेहड़ी चलाते हैं और मां कूड़ा बीनती हैं

एक साल बाद संध्या खुद सॉफ्टवेयर तैयार कर सकेगी और गरीबी को सदा के लिए अलविदा कह देगी। झोपड़ पट्टी के बच्चों के लिए संध्या अब रोल मॉडल बन गई है। अन्य बच्चे भी अब संध्या दीदी की तरह पढ़ाई करने लगे हैं। इस बदलाव में ‘हर हाथ कलम संस्था’ का भी सराहनीय योगदान है। संध्या के पिता ट्रक यूनियन में रेहड़ी चलाते हैं और मां कूड़ा बीनती हैं। पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी संध्या घर की बिगड़ी आर्थिक स्थिति के कारण पढ़ाई बीच में छोड़ कर घरों में काम करने लगी थी। पढ़ाई छूटने का दर्द उसे हर पल सताता था। इसका जिक्रवह स्वजनों और सहेलियों से भी करती थी। संध्या के फिर से पढ़ने के जज्बे को देखते हुए स्थानीय समाजसेवी संस्था ‘हर हाथ कलम’ ने उसका स्कूल में दाखिला करवाया।

हाल ही में संध्या ने दसवीं कक्षा पास कर सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कोर्स की प्रवेश परीक्षा पास की है। इस पढ़ाई के लिए वह बेंगलुरु में एक साल रहेगी। बेटी की कामयाबी पर पिता विनोद कुमार ने कहा कि बेहद खुशी है, बेटी सफलता की ओर है। मैं चाहता हूं कि बेटी सफलता की ऊंची उड़ान भरे और गरीबी को सदा के लिए पीछे छोड़ दे। अब बस्ती के जरूरतमंद बच्चों के लिए बेंगलुरु की नव गुरुकुल संस्था ने चार साल के सॉफ्टवेयर डेवलपिंग कोर्स को एक साल में कराने का विशेष पाठ्यक्रम तैयार किया है। इसका उद्देश्य संध्या जैसे बच्चों को प्रशिक्षित कर पैरों पर खड़ा करना है। संस्था बेंगलुरु में संध्या की पढ़ाई और रहने का खर्च उठाएगी।

भीख मांगना एक दुखद पहलू

संध्या का कहना है, ‘परिवार को कर्ज में देख कर विवश हो गई थी। बचपन में भीख मांगी और फिर पढ़ाई के लिए दुकानदार के घर पर काम किया। भीख मांगना एक दुखद पहलू रहा है। उम्मीद है कि अब जीवन में ऐसा अंधेरा फिर नहीं आएगा। मैं एक मुकाम हासिल कर उन बच्चों के लिए काम करूंगी, जो मेरी तरह असहाय हैं।’

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