विश्व कैंसर दिवस: दुनिया में हर छह में से एक व्यक्ति की कैंसर से हो रही मौत – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Thu, 04 Feb 2021 07:10:17 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 विश्व कैंसर दिवस: दुनिया में हर छह में से एक व्यक्ति की कैंसर से हो रही मौत http://www.shauryatimes.com/news/101014 Thu, 04 Feb 2021 07:10:17 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=101014 कनाडा की लावल यूनिवर्सटिी के शोधकर्ता गिल्स डेगनिस के मुताबिक वर्ष 2017 में दुनियाभर में करीब 26 लाख मौतें कैंसर के कारण हुई थीं। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनियाभर में हर छह में से एक व्यक्ति की मौत अब कैंसर के कारण होती है और वर्ष 2018 में विश्वभर में 96 लाख लोगों की मृत्यु कैंसर के कारण हुई। दुनियाभर में कैंसर के जितने भी मामले सामने आते हैं, उनमें से करीब 22 फीसद तंबाकू के किसी भी रूप में सेवन के कारण ही होते हैं। वर्ष 2016 में यूनिवर्सटिी ऑफ वाशिंगटन ने एक व्यापक अध्ययन के बाद ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज नामक अपनी जो रिपोर्ट पेश की थी, उसके अनुसार भारत में मृत्यु के दस बड़े कारणों में से कैंसर दूसरे स्थान पर है।

नवंबर 2019 में विज्ञान एवं तकनीक, पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन संबंधी संसद की स्थायी समिति ने राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कैंसर के मामलों से निपटने और मरीजों को एक ही जगह इलाज की सारी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए देशभर में ट्रीटमेंट हब (विशिष्ट इलाज केंद्र) बनाने की सिफारिश की थी। समिति को अक्तूबर 2019 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रलय द्वारा जानकारी दी गई थी कि भारत में प्रतिवर्ष कैंसर के करीब सोलह लाख नए मामले सामने आ रहे हैं। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इस बीमारी से पीड़ित मरीजों में करीब 68 फीसद मृत्यु दर बेहद दुखद है और मौजूदा समय में कैंसर के इलाज का देश में जो नेटवर्क है, वह इस बीमारी की भयावहता को देखते हुए बहुत छोटा और अपर्याप्त है, जिसके लिए एक ऐसे मजबूत और विशाल तंत्र की जरूरत है, जो कैंसर की दवाओं के मूल्य को नियंत्रित रख सके। समिति द्वारा मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल कैंसर शोध एवं उपचार केंद्र के नेटवर्क को देशव्यापी बनाने की सिफारिश भी की गई थी।

बहरहाल केंद्र सरकार द्वारा कैंसर के सस्ते इलाज के लिए कुछ आवश्यक कदम उठाते हुए देश-विदेश के सरकारी और गैर सरकारी करीब 170 अस्पतालों का एक समूह बनाकर नेशनल कैंसर ग्रिड बनाया, जो कैंसर मरीजों तक कैंसर विशेषज्ञों की सलाह और इलाज के तौर-तरीकों को पहुंचाने में मददगार साबित हो रहा है। मरीज को एक बार डॉक्टर के पास जाकर अपनी जांच करा लेने के बाद फिर बार-बार डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ती। दरअसल मरीज का सारा डाटा एक एप में डालकर कैंसर विशेषज्ञों से परामर्श हासिल किया जा सकता है। फिलहाल ये सेवाएं गरीबी रेखा से नीचे वाले लोगों के लिए मुफ्त हैं। कैंसर के इलाज में बड़ी समस्या यही है कि या तो मरीज ठीक ही नहीं होता या फिर कैंसर के वापस लौटने की आशंका बरकरार रहती है। हालांकि अच्छी बात यही है कि अब कैंसर पूरी तरह लाइलाज नहीं रहा।

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