शोधकर्ताओं ने गाजर की मदद से इको-फ्रेंडली कंक्रीट बनाई है….. – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Mon, 22 Oct 2018 05:44:24 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 शोधकर्ताओं ने गाजर की मदद से इको-फ्रेंडली कंक्रीट बनाई है….. http://www.shauryatimes.com/news/15263 Mon, 22 Oct 2018 05:44:24 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=15263 विटामिन का खजाना गाजर अब इंसान के साथ-साथ पर्यावरण को तंदुरुस्त बनाने के भी काम आएगी। ब्रिटेन की लंकास्टर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने गाजर की मदद से इको-फ्रेंडली कंक्रीट बनाई है, जो सामान्य कंक्रीट के मुकाबले अस्सी फीसद तक मजबूत और टिकाऊ है। इससे बनी इमारतें कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन को घटाकर पर्यावरण संतुलन में अहम भूमिका निभाएंगी। दिलचस्प बात ये है कि इन इमारतों में आई दरारें और टूट-फूट खुद ब खुद ठीक हो जाएगी।

दरार प्रतिरोधी

शोधकर्ताओं ने इस प्रयोग में गाजर को कद्दूकस कर इसके नैनो पार्टिकल्स को कंक्रीट के साथ मिलाया। ये नैनो पार्टिकल सामान्य सीमेंट के मुकाबले दरार प्रतिरोधी और 80 फीसद टिकाऊ साबित हुए। सामान्य सीमेंट की तुलना में गाजर मैकेनिकल और माइक्रोस्ट्रक्चर गुणों के कारण मजबूत कंक्रीट मटेरियल की तरह इस्तेमाल की जा सकती है।

घटेगा कार्बन उत्सर्जन

शहरों में बढ़ते कंक्रीट के जंगलों ने पर्यावरण को असंतुलित किया है। गाजर और कंक्रीट से बनी इमारतें न सिर्फ ऊर्जा की खपत कम करेंगी बल्कि कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन को भी घटाएगी।

दस गुनी मजबूत गाजर

सीमेंट की तुलना में थोड़ी सी गाजर और कंक्रीट से मजबूत व टिकाऊ मटेरियल तैयार हो सकता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक एक घन मीटर कंक्रीट तैयार करने में गाजर का इस्तेमाल करने पर 40 किग्रा कम सीमेंट लगेगा। लिहाजा कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी।

नहीं करानी होगी मरम्मत

बिंगहमटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक इस मटेरियल से बनी इमारतों की खासियत। ये होगी कि ये दरारें अपने आप भर जाएंगी। दरअसल ट्राइकोडर्मा फंगस इन दरारों को रिकवर कर लेंगे। हालांकि बिना ऑक्सीजन और पानी के ये फंगस पूरी तरह निष्क्रिय रहते हैं। लिहाजा पूरी इमारत में फंगस नहीं लगेगी। इस कंक्रीट में फंगस और पोषक तत्व मिलाकर कैल्शियम कार्बोनेट बनाया जा सकेगा। 

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