साइनस सर्जरी वाले कोरोना की जांच के लिए नेजल सैंपल देने में रहें सतर्क – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Tue, 09 Mar 2021 07:38:13 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 साइनस सर्जरी वाले कोरोना की जांच के लिए नेजल सैंपल देने में रहें सतर्क, ENT डॉक्टर से करें परामर्श http://www.shauryatimes.com/news/104747 Tue, 09 Mar 2021 07:38:13 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=104747 कोरोना की जांच के लिए नाक से टेस्ट सैंपल (नेजल स्वैब) लेना एक आम तरीका है। दुनियाभर में यह प्रचलित भी है। लेकिन एक हालिया शोध में इसके लिए सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है। खासकर जिन लोगों की साइनस सर्जरी हुई है, उन्हें तो नेजल सैंपल देने से पहले ईएनटी (कान, नाक और गले) के डॉक्टर से परामर्श लेने या जांच का कोई दूसरा तरीका अपनाने को कहा गया है।

‘जामा ओटोलरिंगोलॉजी’ नामक एक जर्नल में प्रकाशित शोध आलेख के वरिष्ठ लेखक और यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के सैन एंटोनियो स्थित हेल्थ साइंस सेंटर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. फिलिप जी. चेन का कहना है कि जो लोग नेजल स्वैब सैंपल लेते हैं, उन्हें रोगी से यह जरूर पूछना चाहिए कि क्या उनकी साइनस या स्कल सर्जरी हुई है। यदि ऐसा है तो जांच के दूसरे तरीके अपनाए जाने चाहिए। ऐसी स्थिति में गले से स्वैब लिया जा सकता है। लेकिन देखा गया है कि नेजल स्वैब लेने से पहले न तो रोगी से इस बारे में सवाल किए जाते हैं और न ही इस संबंध में ऑनलाइन सूचना उपलब्ध है।

उन्होंने कहा, हमने करीब 200 साइटों पर इसके बारे में सूचना हासिल करने की कोशिश की कि क्या कहीं भी नेजल सैंपल लेने में बरती जानी सतर्कता बताई गई है। लेकिन हमें कहीं भी वैसा ब्योरा नहीं मिला, जिसमें रोगी से साइनस या मस्तिष्क (स्कल) से जुड़ी सर्जरी के बारे में उसकी मेडिकल हिस्ट्री जानने की कोशिश की गई हो।

यह पूछे जाने पर कि स्वैब लेने क्या गलत तरीका अपनाया जाता है, डॉ. चेन ने बताया, हम यह तो नहीं जानते, लेकिन हमने जितने ऑनलाइन वीडियो देखे उनमें से आधे में कुछ न कुछ गलत पाया। इनमें पाया गया कि स्वैब या तो गलत एंगल या गहराई से उठाया गया। यदि स्वैब को बड़े एंगल से उठाया गया तो इस प्रक्रिया में खतरा बना रहता है, क्योंकि हो सकता है कि उस एंगल पर साइनस स्कल की सुरक्षा कर रहा हो और स्वैब लेने में वह पंक्चर हो जाए। इसमें इसका भी डर बना रहता है कि सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड (मस्तिष्क में पाया जाना वाला खास प्रकार का द्रव) लीक हो जाए या ज्यादा रक्त स्नाव हो जाए। ऐसा होना खतरनाक हो सकता है। इसलिए इसे गंभीरता से लिए जाने की जरूरत है।

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