सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला : – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Mon, 17 Feb 2020 07:55:37 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, सेना में महिलाओं को मिलेगी स्थायी कमीशन और कमांड पोस्टिंग http://www.shauryatimes.com/news/77775 Mon, 17 Feb 2020 07:55:37 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=77775 नई दिल्ली : महिला अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस अजय रस्तोगी की एक बेंच ने कहा कि केंद्र को महिला अधिकारियों को कमांड पोस्टिंग भी देनी होगी और स्थायी कमीशन भी। कोर्ट ने कहा है कि महिलाओं को युद्ध के सिवाय हर क्षेत्र में स्थायी कमीशन दिया जाए। उसने कहा कि जिन महिला अधिकारियों ने सेवा में 14 साल से ज्यादा का समय दिया है उन्हें स्थायी कमीशन न देने का उसे कोई कारण समझ में नहीं आता। इसका मतलब यह है कि पुरुषों की तरह महिलाओं को भी अब सेना में कर्नल या उससे ऊपर के पद मिल सकेंगे। एक कर्नल एक बटालियन का नेतृत्व करता है जिसमें औसतन 850 सैनिक होते हैं।

कुछ महिला अधिकारी स्थायी कमीशन के बाद उन्हें कमांड पोस्टिंग दिए जाने की मांग के साथ शीर्ष अदालत पहुंची थीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेना में महिला अधिकारियों की नियुक्ति एक प्रगतिवादी प्रक्रिया है। उसका कहना था कि सेना में सच्ची समानता लानी होगी। अदालत ने यह भी कहा कि महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करती हैं और केंद्र की दलीलें परेशान करने वाली हैं। असल में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि सेना में महिलाओं को अभी कमांडर जैसे पद देना अभी ठीक नहीं होगा। उसके मुताबिक सेना में ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले पुरुषों की एक बड़ी संख्या है जो अभी किसी महिला की अगुवाई में चलने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं होंगे।

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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला : नशे की हालत में कार्यस्थल पर काम करना गंभीर अपराध http://www.shauryatimes.com/news/37217 Thu, 28 Mar 2019 18:34:08 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=37217

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नशे की हालत में कार्यस्थल पर काम करना गंभीर अपराध है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के एक कॉन्स्टेबल की नशे की हालत में लोगों के साथ दुर्व्यवहार करने के मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले को निरस्त करते हुए उसकी बर्खास्तगी के आदेश को सही ठहराया। कॉन्स्टेबल राम जब उत्तराखंड के बेरियांग में तैनात था तो उसे 01 नवंबर,2006 को नशे की हालत में लोगों से दुर्व्यवहार करते हुए पाया गया। उसके बाद उसे थाने लाया गया और बैरक में डाल दिया गया था। बाद में मेडिकल एग्जामिनेशन करने पर पाया गया कि उसने उसने शराब पी रखी थी। 24 फरवरी,2007 को उसके खिलाफ चार्जशीट जारी किया गया। अनुशासनिक जांच में जांच अधिकारी ने पाया कि दुर्व्यवहार की शिकायत सही थी और 03 मई,2007 को उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। आरोपित कॉन्स्टेबल ने 08 मई,2007 को अपना जवाब दिया। 16 मई,2007 को पिथौरागढ़ जिले के एसपी ने उसे बर्खास्त करने का आदेश पारित किया।

अपनी बर्खास्तगी के खिलाफ कॉन्स्टेबल ने उत्तराखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने 21 अप्रैल,2010 को यह कहते हुए याचिका का निस्तारण किया कि कॉन्स्टेबल विभागीय अपील करे। कॉन्स्टेबल ने कुमाऊं रेंज के आईजी के यहां अपील की। आईजी ने 28 अगस्त,2010 को उसकी अपील खारिज कर दी। उसके बाद कॉन्स्टेबल ने एडीजीपी के यहां रिवीजन याचिका दायर की। एडीजीपी ने 19 मई,2011 को रिवीजन अपील खारिज कर दी।

एडीजीपी के फैसले के खिलाफ आरोपित कॉन्स्टेबल ने फिर हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 15 सितंबर,2014 को याचिका खारिज करते हुए उसकी बर्खास्तगी पर मुहर लगा दी। सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ कॉन्स्टेबल ने डिवीजन बेंच में याचिका दायर की। डिवीजन बेंच ने 30 अक्टूबर,2014 को सिंगल बेंच के फैसले को निरस्त कर दिया और कहा कि कॉन्स्टेबल की पूर्व में कोई शिकायत नहीं रही है इसलिए उसे बर्खास्त करने की सजा ज्यादा है।डिवीजन बेंच ने उसकी बर्खास्तगी को अनिवार्य सेवानिवृति में बदल दिया। इसके बाद डिवीजन बेंच के फैसले के खिलाफ उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि शराब पीकर आम लोगों से दुर्व्यवहार करना एक गंभीर अपराध है। शराब पीने का आरोप मेडिकल रिपोर्ट से साबित हो गया है। पुलिस सेवा के एक सदस्य के खिलाफ आरोपों की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच को सिंगल बेंच के फैसले में हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं थी।

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