सूर्यग्रह दर्द शांत करने के लिए कौन से रत्न पहने जाते हैं – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Sun, 21 Mar 2021 06:27:00 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 सूर्यग्रह दर्द शांत करने के लिए कौन से रत्न पहने जाते हैं, जानिए http://www.shauryatimes.com/news/106381 Sun, 21 Mar 2021 06:27:00 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=106381 सूर्य ग्रह की पीड़ा को शांत करने के लिए या उसके उत्तम फल पाने के लिए इस ग्रह से संबंधित कौन कौन से रत्न होते हैं। अक्सर लोग माणिक्य रत्न के बारे में सलाह देते हैं कि कुंडली में सूर्य दूषित है या जिनकी सिंह राशि है उनको माणिक पहनना चाहिए। आओ जानते हैं सूर्य के और कौन कौनसे रत्न हैं।

1. माणिक अनार के दाने-सा दिखने वाला गुलाबी आभा वाला रत्न बहुमूल्य है। इसे अंग्रेजी में रूबी कहते हैं। सूर्य के खर-किरण से उसका जमीन पर गिरा हुआ रक्त सूखकर रजों द्वारा गगनगामी हो रहा था, पर रावण ने उसे राह में ही रोककर सिंहल द्वीप की उस नदी में डाल दिया, जहां सुपारी के पेड़ लगे हैं। तभी से उस नदी का नाम ‘रावण गंगा’ भी हो गया और उसमें पद्मराग-माणिक्य उत्पन्न होने लगे।
2. वैसे तो माणिक्य के कई उपरत्न होते हैं लेकिन उनमें से प्रमुख हैं, रेड गार्नेट यानी तामड़ा, रेड टर्मेलाइन यानी लाल तुरमली, स्पिनील या स्पाइनल यानी कंटकिज़, रेड स्वरोस्की आदि।
3. माणिक्य रत्न का प्रमुख उपरत्न लालड़ी अथवा सूर्यमणि को माना है। लाल, लालड़ी, माणिक्य मणि यह सब एक ही हैं। रंगभेद से लालड़ी दस प्रकार की पायी जाती है। यह भेद बहुत ही सूक्ष्म होते हैं। किसी जानकार से पूछकर ही पहनें।
4. तामड़ा अथवा ताम्रमणि भी माणिक्य उपरत्न है। यह एक प्रकार का स्टोन है। सींगली एवं सूर्याश्म भी माणिक्य के पूरक बताएं जाते हैं।
5. माणिक को तांबे या सोने की अंगूठी में जड़वाकर अनामिका में धारण करते हैं। माणिक के सभी उपरत्नों को चांदी में पहना जा सकता है। खालिस तांबे की अंगूठी से भी सूर्य पीड़ा को शांत किया जा सकता है।
6. माणिक को नीलम, हीरा और गोमेद के साथ पहनना नुकसानदायक हो सकता है। माणिक को मोती, पन्ना, मूंगा और पुखराज के साथ पहन सकते हैं।
7. माणिक्य को लोहे की अंगुठी में जड़वाकर पहनना नुकसानदायक है। माणिक्य का प्रभाव अंगूठी में जड़ाने के समय से 4 वर्षों तक रहता है, इसके बाद दूसरा माणिक्य जड़वाना चाहिए। यही नियम उपरोक्त उप रत्नों पर भी लागू होते हैं।
9. माणिक के प्रकार : रंगभेद से माणिक पांच प्रकार का होता है।
पद्मराग : हल्की पीली आभा से युक्त गहरे लाल रंग का तप्त कंचन जैसा और प्रकाश किरणें देने वाला।
सौगन्धिक : अनार के दाने के रंग जैसे दूसरे नंबर का यह माणिक पद्मराग की अपेक्षा कम असर का होता है।
नीलागन्धी : इस रत्न का रंग हल्की और नीली आभा लिए है।
कुरुबिन्द : हल्की पीली आभा से युक्त यह रत्न चमक में अधिक होता है।
जामुनी : लाल कनेर या जामुन के रंग का यह रत्न सामान्य मूल्य का होता है।
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