स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन बोले- हमने खतरे को जल्दी पहचान लिया – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Mon, 26 Apr 2021 05:40:17 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन बोले,- राज्य ही टीके से पाबंदी हटवाना चाहते थे, अब शिकायत क्यों http://www.shauryatimes.com/news/109781 Mon, 26 Apr 2021 05:40:17 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=109781 केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि लगभग सभी राज्यों के अनुरोध पर केंद्र ने कोरोना वायरस के टीकाकरण की नीति को उदार बनाया है और राज्यों, निजी अस्पतालों और उद्योगों को इसकी अनुमति दी ताकि भारत के साझा प्रयास से 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी भारतीय का यथाशीघ्र टीकाकरण हो सके।

हर्षवर्धन ने विरोधियों को दिया करारा जवाब

मंत्री ने ट्विटर पर जारी अपने चार पन्ने के बयान में 18 साल से अधिक उम्र के लोगों का एक मई से टीकाकरण करने की रणनीति का बचाव किया और उन राजनीतिक नेताओं पर हमला किया जो इस मामले को लेकर बेवजह की राजनीति में शामिल हैं और मामले में गलत सूचना फैला रहे हैं और लगातार सरकार का विरोध कर रहे हैं।

सीधे उत्पादकों से टीका खरीद सकते हैं- हर्षवर्धन

हर्षवर्धन ने कहा कि राज्यों द्वारा अब शिकायत करने की कोई वजह नहीं नजर आती क्योंकि उन्होंने ही टीके की आपूर्ति में पाबंदियों को हटाने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि नई रणनीति राज्यों को केंद्र से मुफ्त टीके की आपूर्ति की गारंटी देती है, इसके साथ ही वे सीधे उत्पादकों से टीका खरीद सकते हैं और डोज की संख्या के आधार पर कीमतों पर बातचीत कर सकते हैं।

18 से 45 की आयु के लोगों को टीका लगवाने के लिए यहां कराना होना रजिस्ट्रेशन

बता दें कि सरकार ने कोरोना प्रतिरक्षा टीका लगवाने के इच्छुक 18 से 45 की आयु के लोगों के लिये कोविन वेब पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा। इसके साथ ही कहा कि टीका कार्यक्रम की शुरुआत में अफरा-तफरी से बचने के लिये टीकाकरण केन्द्रों पर पंजीकरण कराने की अनुमति नहीं जाएगी। हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि 45 से अधिक आयु के लोग टीकाकरण केन्द्र पर पंजीकरण कराकर टीका लगवा सकते हैं। गौरतलब है कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में अचानक भारी इजाफा होने के बाद से टीकाकरण की रफ्तार पर भी बढ़ रही है।

 

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IMA ने पतंजलि की कोरोनिल पर उठाए सवाल, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन पर लगाया आरोप http://www.shauryatimes.com/news/103442 Tue, 23 Feb 2021 07:07:58 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=103442 कोरोना के इलाज के लिए जारी पतंजलि की आयुर्वेदिक दवा कोरोनिल पर एक बार फिर विवाद बढ़ गया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने दवा के क्लीनिकल ट्रायल व उसकी प्रामाणिकता पर सवाल उठाए हैं। साथ ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन के प्रति नाराजगी जाहिर की है। आइएमए ने उन पर भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआइ) के नियमों को तोड़ने का आरोप लगाया है और कई सवाल पूछे हैं। आइएमए ने कोरोनिल को बहकाने वाली दवा करार दिया है।

एसोसिएशन के महासचिव डा. जयेश एम लेले ने कहा कि एक निजी कंपनी की आयुर्वेदिक दवा को जारी करने के लिए डा. हर्षवर्धन सहित दो केंद्रीय मंत्री मौजूद थे। उस कार्यक्रम में यह दावा किया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे प्रमाणित किया है, जबकि डब्ल्यूएचओ का कोई प्रमाणपत्र चिकित्सा जगत के बीच मौजूद नहीं है। डब्ल्यूएचओ यूं ही किसी दवा को प्रमाणपत्र जारी नहीं करता। उसके लिए कुछ मानक हैं। यह लोगों को बहकाने की दवा है। इससे बीमारी ठीक होने के बजाय और बढ़ेगी।

डब्ल्यूएचओ के दक्षिणी पूर्व एशिया क्षेत्रीय कार्यालय ने अपने ट्विटर हैंडल से तीन दिन पहले ट्वीट कर कहा भी है कि डब्ल्यूएचओ ने पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के किसी भी दवा की समीक्षा नहीं की है और न ही प्रमाणित पत्र ही जारी किया है। उन्होंने कहा कि डा. हर्षवर्धन खुद डाक्टर हैं, इस नाते एमसीआइ में पंजीकृत हैं। इसलिए ड्रग एंड कास्मेटिक एक्ट के तहत किसी दवा को प्रोत्साहित नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस दवा को जारी करने के आयोजित कार्यक्रम में दावा किया गया कि यह कोरोना के इलाज के साथ-साथ बचाव में भी कारगर है। ऐसी स्थिति में लोग टीका नहीं लेंगे। इससे टीकाकरण अभियान प्रभावित हो सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को यह बताना चाहिए कि इस दवा का ट्रायल कब और कितने लोगों पर किया गया। ट्रायल का पूरा साक्ष्य लोगों के बीच रखा जाना चाहिए।

 

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स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन बोले, 6 से 7 महीने में 30 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाने की होगी क्षमता http://www.shauryatimes.com/news/95028 Sun, 20 Dec 2020 07:02:27 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=95028 केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने शनिवार को कहा कि देश के विज्ञानी और स्वास्थ्य विशेषज्ञ कोरोना के खिलाफ स्वदेशी वैक्सीन विकसित करने पर काम कर रहे हैं और अगले छह से सात महीने में भारत में लगभग 30 करोड़ लोगों को टीका लगाने की क्षमता होगी। उन्होंने यह भी कहा कि जल्द ही कुछ वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे दी जाएगी। वह कोरोना पर मंत्री समूह (जीओएम) की 22वीं बैठक को संबोधित कर रहे थे।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि देश में एक करोड़ से कुछ ज्यादा संक्रमित मामले अब तक पाए गए हैं, जिनमें से 95 लाख 50 हजार से अधिक मरीज पूरी तरह से ठीक भी हो चुके हैं। भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जहां मरीजों के उबरने की दर सबसे ज्यादा है। भारत में वर्तमान में यह दर 95.46 फीसद है। हर्षवर्धन जीओएम के चेयरमैन भी हैं। उन्होंने कहा कि अक्टूबर और नवंबर में त्योहारों के बावजूद नए मामलों में तेजी नहीं आई। साथ ही लोगों से किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरतने की अपील भी की।

उन्होंने सभी लक्षित 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए टीकाकरण अभियान में तेजी लाने की जरूरत बताई। 30 करोड़ लोगों में एक करोड़ स्वास्थ्यकर्मी (डॉक्टर, नर्स), दो करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर (पुलिसकर्मी, सफाईकर्मी) और 27 करोड़ 50 साल से अधिक उम्र के लोग और 50 साल से कम उम्र के ऐसे लोग शामिल हैं, जो पहले से किसी गंभीर रोग से ग्रस्त हैं।

तीन कंपनियों ने किया है आवेदन

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि देश में जल्द ही कुछ वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिल जाएगी। भारत बायोटेक, फाइजर और एस्ट्राजेनेका ने अपनी वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी के लिए भारतीय दवा महानियंत्रक (डीसीजीआइ) के यहां आवेदन किया है। इसके अलावा और भी कई वैक्सीन पर देश में काम चल रहा है। जीओएम की बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर, नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी, स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय भी शामिल हुए। नीति आयोग के सदस्य और कोरोना पर गठित टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ. वीके पाल भी बैठक में मौजूद रहे। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के निदेशक डॉ. सुजीत के सिंह ने बैठक में कोरोना के मौजूदा हालात और उससे निपटने की तैयारियों को ब्योरा पेश किया। उन्होंने यह भी बताया कि विदेश मंत्रालय से 12 देशों ने वैक्सीन के लिए अनुरोध किया है।

वैक्सीन वितरण के लिए भारत को चाहिए 80 हजार करोड़ : सीरम

नई दिल्ली, आइएएनएस : पुणे स्थित वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक डॉ. सतीश डी रवेत्कर ने कहा है कि भारत को अगले साल कोरोना वैक्सीन के वितरण के लिए 80 हजार करोड़ रुपये की जरूरत होगी। सीरम ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित वैक्सीन को देश में कोविशील्ड के नाम से तैयार कर रही है। उन्होंने कहा कि बिजली सप्लाई को भी बहाल रखने की जरूरत होगी, ताकि वैक्सीन की सुरक्षा के लिए आवश्यक तापमान को बरकरार रखा जा सके।

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स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन बोले- हमने खतरे को जल्दी पहचान लिया http://www.shauryatimes.com/news/94731 Fri, 18 Dec 2020 07:50:55 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=94731 भारत में कोरोना वायरस संक्रमण का प्रसार उस स्‍तर पर नहीं हुआ, जिसकी संभावना जताई जा रही थी। मौजूदा हालात में भारत कई पश्चिमी देशों से बेहतर स्थिति में नजर आता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने इसकी वजह सरकार की दूरदर्शिता को बताया। बता दें कि भारत में अभी तक कोरोना वायरस संक्रमितों का आंकड़ा एक करोड़ को पार नहीं किया है और पिछले काफी दिनों से मामले घट रहे हैं। साथ ही पाजिटिविटी दर में भी सुधार हो रहा है।

हर्षवर्धन ने बताया कि भारत में कोविड-19 के मामलों में लगातार कमी आ रही है, जबकि दुनिया के कई देश संक्रमण के मामलों में वृद्धि की दूसरी या तीसरी लहर का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने ‘खतरे को जल्दी पहचान लिया और इससे निपटने में वैज्ञानिक साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोण को अपनाया।’ उन्‍होंने कहा कि यही वजह है जिससे हालात आज काबू में हैं।

स्वास्थ्य मंत्री ने यह टिप्पणी कोलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इन्फ्रास्ट्रक्चर (सीडीआरआइ) और यूएन ऑफिस फॉर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन (यूएनडीआरआर) के एक डिजिटल प्रोग्राम के तहत की। इस कार्यक्रम का विषय ‘बिल्ड बैक बेटर: बिल्डिंग रिजिलिएंट हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड सप्लाई चेन’ था। इस कार्यक्रम के दौरान हर्षवर्धन ने कहा, ‘कोविड-19 के प्रकोप को लगभग एक साल हो गया है। दुनिया के कई हिस्सों में संक्रमण कम हो रहा है, जबकि कई अन्य देश दूसरी या तीसरी लहर का सामना कर रहे हैं। सौभाग्य से, भारत में, मामलों में लगातार कमी आ रही है। हमने खतरे को जल्दी पहचान लिया और इससे निपटने के लिए वैज्ञानिक साक्ष्य आधारित दृष्टिकोण का अनुसरण किया।’

भारत में कोरोना से ठीक होने की दर सबसे ज्यादा

भारत में कोविड-19 से मृत्यु के मामलों में गिरावट आ रही है। मृत्यु दर 1.45 फीसद है और इसमें लगातार कमी आ रही है।स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत में ठीक होने की दर दुनिया में सबसे अधिक है। वैश्विक स्तर पर ठीक होने की दर 70.27 फीसद है, जबकि भारत में यह 95.31 फीसद है। फिलहाल नए संक्रमण की तुलना में ज्यादा लोग स्वस्थ हो रहे हैं। इससे स्वस्थ होने की दर ऊंची बनी हुई है। भारत में अब तक लगभग 95 लाख लोग इस बीमारी को मात दे चुके हैं।

 

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