होगा मोटा मुनाफा – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Sat, 24 Oct 2020 07:05:54 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 Best Investment Plans: इन योजनाओं में निवेश कर तैयार करें बड़ा रिटायरमेंट फंड, होगा मोटा मुनाफा http://www.shauryatimes.com/news/88026 Sat, 24 Oct 2020 07:05:54 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=88026 रिटायरमेंट की उम्र के बाद हमारे पास आय का कोई नियमित साधन नहीं बचता है, इसलिए रिटायरमेंट के बाद की जरूरतों को पूरा करने के लिए रिटायरमेंट फंड बहुत जरूरी होता है। अगर आपने सही उम्र से रिटायरमेंट फंड के लिए बचत करना शुरू किया होगा, तो आप अपने जीवन के आखिरी पड़ाव को आनंद के साथ जी सकते हैं। हम जितनी कम उम्र में रिटायरमेंट प्लानिंग शुरू करेंगे, उतना ही बड़ा रिटायरमेंट फंड तैयार कर सकते हैं। आज हम आपको कुछ ऐसी लोकप्रिय निवेश योजनाओं के बारे में बताएंगे, जिनके माध्यम से एक अच्छा रिटायरमेंट फंड तैयार किया जा सकता है।

पब्लिक प्रोविडेंट फंड ( PPF )

पब्लिक प्रोविडेंट फंड अर्थात PPF रिटायरमेंट फंड तैयार करने के लिए एक काफी अच्छा निवेश विकल्प है। पीपीएफ सरकार द्वारा समर्थित सेविंग स्कीम है। पीपीएफ की सबसे अच्छी बात यह है कि यह EEE स्टेटस के साथ आती है। अर्थात इस निवेश योजना में तीन स्तर पर ब्याज छूट का फायदा मिलता है। इस योजना में मैच्योरिटी राशि और ब्याज आय भी टैक्स फ्री होती है। पीपीएफ में निवेश करके निवेशक हर साल 1.5 लाख रुपये का आयकर बचा सकता है। पीपीएफ 15 साल की लॉक-इन अवधि के साथ आती है। इसे आगे बढ़ाया जा सकता है। इस समय पीपीएफ पर ब्याज दर 7.1 फीसद है। यह एक जोखिम मुक्त निवेश विकल्प है। जो लोग एनपीएस या वीपीएफ जैसा लंबी अवधि वाला निवेश विकल्प नहीं चुनना चाहते, वे इस योजना में निवेश कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS)

नेशनल पेंशन सिस्टम साल 2004 में सरकारी कर्मचारियों के लिए लॉन्च किया गया था। बाद में साल 2009 में इसे सामान्य नागरियों के लिए भी ओपन कर दिया गया। एनपीएस में 18 से 60 साल तक की उम्र के लोग निवेश कर सकते हैं। देश के करीब सभी सरकारी और निजी बैंकों में जाकर इस योजना के अंतर्गत अकाउंट खुलवाया जा सकता है। एनपीएस का प्रबंध म्युचुअल फंड की तरह ही होता है। इससे एनपीएस से काफी अच्छा रिटर्न प्राप्त किया जा सकता है। इस योजना में निवेशक को अपनी नौकरी के दौरान हर महीने कुछ राशि जमा करानी होती है।

निवेशक रिटायरमेंट के बाद तैयार हुए फंड से एक हिस्सा निकाल सकते हैं और शेष रकम से नियमित आय के लिए एन्युटी ले सकते हैं। इस योजना में तीन तरह से निवेश होता है। पहला इक्विटी, दूसरा कॉरपोरेट बॉन्ड और तीसरा गवर्नमेंट सिक्युरिटीज। निवेशक को यहां निवेश निर्धारण करने के लिए दो विकल्प मिलते हैं। एसेट अलोकेशन और ऑटो च्वॉइस।

कर्मचारी भविष्य निधि (EPF)

बीस से अधिक कर्मचारियों वाली हर कंपनी को अपने कर्मचारियों के पीएफ के लिए योगदान देना होता है। कर्मचारी के पीएफ अकाउंट में उसकी बेसिक सैलरी व डीए का 12 फीसद कर्मचारी द्वारा और इतना ही कंपनी द्वारा योगदान जमा कराया जाता है। ईपीएफ में पेंशन निधि भी होती है। यह कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद दी जाती है। इस समय ईपीएफ पर ब्याज दर 8.5 फीसद है। कर्मचारी कुछ विशेष परिस्थितियों में मैच्योरिटी अवधि से पहले भी अपने ईपीएफ अकाउंट से निकासी कर सकते हैं।

वीपीएफ (VPF)

वीपीएफ एक तरह से ईपीएफ का विस्तार है। अर्थात निवेशक वीपीएफ में निवेश तब ही सकते हैं, जब उनके पास ईपीएफ अकाउंट हो। ईपीएफ की तरह ही वीपीएफ में भी 8.5 फीसद ब्याज मिलता है। कर्मचारी अगर अपनी बेसिक सैलरी व डीए की 12 फीसद से अधिक राशि पीएफ फंड में जमा करता है, तो उसे स्वैच्छिक भविष्य निधि  (VPF) कहते हैं। कोई भी वेतनभोगी कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी और डीए का 100 फीसद तक VPF अकाउंट में जमा करा सकता है। इस योजना के माध्यम से लंबे समय में मोटा रिटर्न कमाया जा सकता है।

 

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ऑटो लोन ले रहे हैं तो रखें इस बात का ध्यान, होगा मोटा मुनाफा http://www.shauryatimes.com/news/10131 Mon, 03 Sep 2018 07:07:03 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=10131 हर इंसान की जिंदगी में अपना घर और गाड़ी काफी महत्वपूर्ण होता है. कुछ लोग घर खरीदने के बाद कार खरीदते हैं तो कुछ किराए पर रहते हुए भी. लेकिन यहां इन दोनों तरह के लोन की प्रकृति में अंतर है. होम लोन अगर आप लंबे समय के लिए लेते हैं तो यह आपके लिए सुविधाजनक है, क्योंकि घर कीमत आगे चलकर बढ़ती ही जाती है. लेकिन गाड़ी खरीदने के लिए जो आप ऑटो लोन लेते हैं, इसमें खास ध्यान देने वाली बात यह है कि आपके कार की कीमत घटती चली जाती है. ऑटो लोन ले रहे हैं तो रखें इस बात का ध्यान, होगा मोटा मुनाफा
जानकारों का मानना है कि ऐसे में लंबे समय (5 से 7 साल तक) के लोन की बजाए 3 से 5 साल तक के लोन पर विचार किया जाना चाहिए. हां, आपकी ईएमआई थोड़ी ज्यादा जरूर हो जाती है, लेकिन आपको ब्याज के रूप में देय राशि में थोड़ी राहत मिल जाती है.
ऑटो लोन लेने के समय न सिर्फ ब्याज दर पर ध्यान दें बल्कि इसके पीछे छिपे अन्य लागत यानी प्रोसेसिंग फीस पर भी नजर डालें. इसके बाद ही तुलनात्मक कैलकुलेशन के हिसाब से अपना बैंक या वित्तीय संस्थान चुनें. 
आम तौर पर त्योहारी सीजन में बैंक कई तरह के ऑफर भी पेश करते हैं. मसलन किसी निश्चित तारीख तक वो प्रोसेसिंग फीस नहीं लेते या राशि में कमी कर देते हैं. लाइवमिंट के अध्ययन जिसमें 10 बैंकों के ऑटो लोन पर वर्तमान दरों पर गौर किया गया है, इस पर एक नजर डालते हैं
लोन देने का अपना-अपना तरीका
किसी भी बैंक या वित्तीय संस्थान का ऑटो लोन देने के अपने मानदंड हैं. कुछ बैंक, कार या बाइक के एक्स शोरूम की पूरी राशि पर लोन देते हैं तो कुछ बैंक 80 प्रतिशत राशि पर लोन जारी करते हैं. जानकारों का कहना है कि किसी भी ग्राहक को अधिक से अधिक डाउनपेमेंट करने की कोशिश करनी चाहिए. इससे आप पर लोन के बदले चुकाए जाने वाले ब्याज का ज्यादा भार नहीं पड़ता. कुछ बैंक 3 से 5 साल के लिए ऑटो लोने देते हैं तो कुछ 5 से 7 साल तक के लिए भी लोन जारी करते हैं
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