2022 script will write Yogi’s four years of development – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Fri, 19 Mar 2021 14:34:01 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 योगी की विकास के चार साल लिखेगी 2022 की पटकथा http://www.shauryatimes.com/news/106238 Fri, 19 Mar 2021 14:34:01 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=106238 जी हां, यूपी में 2022 में चुनाव होने है। विपक्षी पार्टियां मैदान मारने के लिए दिन-रात एक कर दी है। विपक्ष की तैयारियां योगी के चार साल की विकास के आगे कितना सफल होंगी, ये तो वक्त बतायेगा। लेकिन यह हकीकत है कि एक के बाद एक जिस तरह योगी ने अपराधियों पर नकेल कसी है, फिल्म सिटी से लेकर एक्सप्रेस वे व काशी से लेकर आयोध्या होते हुए वृंदावन, चित्रकूट सहित धार्मिक स्थलों को सजाने सवारने के साथ भव्य राम मंदिर की रुपरेखा बनाई है, वह अखिलेश यादव के पांच साल के गुंडागर्दी पर भारी साबित होने से इनकार नहीं किया जा सकता

सुरेश गांधी

फिरहाल, 19 मार्च को योगी सरकार के चार साल हो जायेंगे। 19 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की बागडोर अपने हाथों में ली थी। जिसके बाद से अपने बड़े और कड़े फैसलों के जरिये उन्होंने न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश में अपना डंका बजवाया। केंद्र की योजनाओं को यूपी में लागू करवाने की पारदर्शी प्रक्रिया से लेकर कोरोना काल में बेहतर प्रबंधन और इंतजामों को लेकर केंद्रीय नेतृत्व ने भी योगी सरकार के काम काज को खूब सराहा। जनता ने भी उनके कामकाज से खुश होकर हाल के उपचुनावों में भाजपा प्रत्याशियों को जीताकर अपनी मुहर लगायी। यह अलग बात है कि विपक्ष सरकार के 4 साल के कामकाज को हवा-हवाई बताने में जुट गयी है। क्योंकि इसी के बाद 2022 के चुनाव होने है। अपने विकास से इतराएं योगी का दावा है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी साल 2022 के विधानसभा चुनाव में 350 सीटें जीतेगी। दावा क्यों न करें, क्योंकि यूपी में पिछले चार सालों के दौरान सकारात्मक माहौल जो बना है। सपा कार्यकाल के अपराध और दंगे थम जो गए है। निवेशकों के अंदर समाएं भय खत्म जो गए है। फिल्म सिटी से लेकर नए-नए उद्योग लगने शुरु हो गए है। कोरोना काल में भी लाखों लोगों को रोजगार देने का जो काम किया है। सूबे के हर गली-मुहल्ले में एक वर्ग विशेष के लोगों द्वारा चलाएं जा रहे धर्म परिवर्तन अभियान को लव जिहाद जैसे कानून बनाकर ब्रेक जो लगाया है।
राम मंदिर, यूपी की कानून व्यवस्था, गांव-गरीब, महिलाओं समेत विभिन्नत तबकों की सुविधाओं के लिए बनाई गयी कार्ययोजनाओं का क्रियान्यवन अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। 2 लाख करोड़ के बजट को एक ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाया। रजिस्ट्रेशन स्टांप से भी इनकम बढ़ाई जो पहले 9 से 10 करोड़ थी अब 25 करोड़ तक जा पहुंची है। मंडी लीकेज सख्ती से रोका गया, जो नेताओं की जेब में जाता था। वह रोजकोष में जाना शुरू हुआ। मार्च 2017 में हर सरकारी भर्ती पर कोर्ट से स्टे लगा हुआ था। लेकिन उसके बाद प्रदेश के 4 लाख नौजवानों को सरकारी नौकरी मिली। 2016 में 14वें स्थान पर पहुंची रैकिंग अब पहले स्थान पर हैं। 4 साल में कहीं भी दंगे नहीं हुए। जबकि पूर्व की सरकर में हर रोज किसी न किसी शहर में दंगे होते थे। पूरा राज्य दंगों व मारकाट सहित फर्जी मुकदमों की आग में जलता था। आएं दिन अपहरण की घटनाएं होती थी। लोग अपने बेडरुम में भी सुरक्षित नहीं थे। लेकिन योगी राज में अगर आपसी रंजिश को छोड़ दें तो संगठित अपराध न्यूनतम स्तर पर है। पहचान छिपाकर महिलाओं से शादी करने वालों के खिलाफ सरकार ने कड़ा कानून बनाया।

महिलाओं के लिए मिशन शक्ति, कमिश्नरेट सिस्टम, बैंकिंग सखी, प्रवासी मजदूरों को सुरक्षित वापसी जैसे काम भी योगी सरकार ने किए। माफियाओं की काली कमाई से बने अवैध निर्माण को ध्वस्त किए जा रहे है। जो सरकारी या फिर गरीबों की जमीनों पर कब्जा करके उन पर अवैध निर्माण करके बैठे थे, वो खाली कराएं जा रहे है। मतलब साफ है योगी सरकार बिना थके, लगातार विकास, तरक्की, रोजगार, शिक्षा, कृषि और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़े काम कर रही है। एक से एक बड़े फैसले लेकर न सिर्फ उत्तर प्रदेश में विकास की गति तेज़ की बल्कि देश और देश के सामने कोरोना से लडने का नया मॉडल पेश किया है। करीब 500 वर्षों की प्रतीक्षा कर रहे करोड़ों हिन्दुओं के आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के भव्य मंदिर का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों करवाने के साथ ही योगी सरकार ने अयोध्या और आसपास के तमाम इलाकों के विकास का सबसे बड़ा खाका खींच दिया। एमएसएमई को राज्य के आर्थिक विकास की रीढ़ बनाने का बड़ा बनाने का बड़ा फैसला योगी सरकार ने 2020 में लिया। बिजनौर से बलिया तक की गंगा यात्रा में आस्था के सम्मान के साथ अपनी नदी संस्कृति के प्रति लोग जागरूक हुए। पहली बार डिफेंस कॉरिडोर को केंद्र में रखकर लखनऊ में डिफेंस एक्सपो का आयोजन हुआ। बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र की प्यास बुझाने के लिए हर घर नल योजना की शुरुआत हुई। रिकॉर्ड पौधारोपण से लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता आई। उपद्रवियों व दंगाइयों द्वारा क्षतिग्रस्त की गई सरकारी संपत्तियों के नुकसान की उन्हीं से वसूली की गयी। योगी सरकार ने रिकवरी अध्यादेश भी जारी किया।

बेवजह के प्रदर्शन का शांति व्यवस्था बिगाड़ने वाले उपद्रवियों के पोस्टर चौराहे पर लगाने का फैसला किया गया। विशेषाधिकार वाले विशेष सुरक्षा बल का गठन कर सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत किया गया। सेना और अर्धसैनिक बलों के शहीद जवानों के परिजनों को सहायता राशि 20 लाख से बढ़ाकर 25 लाख कर दिया गया। नोएडा में दुनिया का सबसे बड़ी और भव्य फिल्म बनाने सिटी बनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने चार साल में कथित तौर पर राज्य को औद्योगिक राज्य बनाने की दिशा में भी कदम उठाए हैं। इसी के तहत प्रदेश में देश के सबसे लंबे एक्सप्रेस-वे का जाल बिछाने की घोषणा की गई है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में भी यूपी 12 पायदानों की उछाल के बाद दूसरे नंबर पर आ गया है। करीब 2.25 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों पर जमीन पर काम शुरू करने का भी दावा योगी सरकार का है। इन चार सालों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी छवि एक सख्त प्रशासक, अपराध पर जीरो टॉलरेंस और विकास के लिए बड़े सपने देखने वाले मुखिया के रूप में गढ़ी है। चाहे कमान संभालते ही एंटी-रोमियो अभियान चलाने की बात हो, अवैध बूचड़खाने बंद करने और गोरक्षा अभियान चलाने की बात हो, 100 दिनों के अंदर प्रदेश की सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का ऐलान हो, सीएए के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन पर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों पर कार्रवाई की बात हो, माफियाओं द्वारा कब्जा की गई अवैध संपत्ति पर बुलडोजर एक्शन हो, कोविड-19 का संक्रमण रोकने के लिए उठाए गए कदम हों, लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों के प्रबंधन का काम हो या फिर एनकाउंटर से अपराधियों में खौफ फैलाने की नीति हो, ये काम चार साल में योगी सरकार की पहचान बन गए हैं।

हालांकि, हाथरस में दलित लड़की के साथ गैंगरेप, उन्नाव में भाजपा के ही विधायक कुलदीप सेंगर पर अपहरण और बलात्कार का दोष सिद्ध होना, कानपुर का बिकरू कांड, जिसमें विकास दुबे और उसके साथियों ने 8 पुलिसवालों की हत्या कर दी, जैसी घटनाएं भी हुईं। यही नहीं, 9 फरवरी को कासगंज में शराब माफिया द्वारा सिपाही की हत्या का मामला हो, या फिर 2018 में राजधानी लखनऊ में कॉन्स्टेबल प्रशांत चौधरी द्वारा एपल कंपनी में काम करने वाले एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी को बीच सड़क गोली मारने का मामला, इन आपराधिक घटनाओं ने सरकार के दावों पर सवाल भी उठाए हैं। इसके बावजूद 2019 के लोकसभा व यपी विधानसभा उपचुनाव चुनाव परिणाम इस बात के गवाह है कि प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राजनीतिक रूप से काफी मजबूत है। उस चुनाव में सपा-बसपा के गठबंधन के बावजूद भाजपा को 62 सीटें मिलीं। हालांकि 2014 की 71 सीटों की तुलना में इस बार सीटें कम थीं, लेकिन उस वक्त सपा और बसपा ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। अभी तक के राजनीतिक संकेतों से ऐसा लग रहा है कि 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, सपा और बसपा के बीच गठबंधन नहीं होगा।

हालांकि छोटे दलों का गठबंधन जरूर खड़ा हो रहा है। असदुद्दीन ओवैसी की एआइएमआइएम से लेकर चंद्रशेखर की भीम पार्टी की इन चुनावों में एंट्री होती दिख रही है। इससे आने वाले समय में राज्य की राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं। लेकिन योगी के कामकाज इन समीकरणों पर भारी पड़ने वाले है। क्योंकि बचे एक साल में योगी कुछ और बड़ा करने वाले है। सूत्रों के अनुसार अगले एक साल में सरकार का प्रमुख जोर सोशल मीडिया पर रहने वाला है, जो आज के दौर में जनमत बनाने में अहम भूमिका निभा रहा है। यह योगी के प्रयासों का ही नतीजा है कि महामारी के बावजूद राज्य में 57 हजार करोड़ रुपये का निवेश आया है। प्रदेश दक्षिण और पश्चिम भारत के राज्यों के लिए रोल मॉडल बन रहा है। नए कानून और सुधारवादी नीतियां प्रदेश की छवि को बदल रही हैं।  गृह विभाग के अनुसार महिलाओं के खिलाफ अपराध में गिरावट आई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की 2019 की रिपोर्ट कहती है कि प्रदेश में 2016 और 2017 में प्रति एक लाख महिलाओं पर बलात्कार की दर 4.6 और 4.0 थी, जो 2019 में घटकर 2.8 रह गई। बलात्कार के मामले में प्रदेश 36 राज्यों में 29वें स्थान पर था। यही नहीं, सितंबर 2020 तक प्रदेश में ऐसे मामलों में 42.24 फीसदी की कमी आई है। महिलाओं के अपहरण के मामले में भी 2016 की तुलना में 39 फीसदी गिरावट है। एक अधिकारी के अनुसार, अगर सभी तरह के अपराधों को देखा जाए तो उत्तर प्रदेश कई प्रमुख राज्यों से बेहतर स्थिति में है।

गृह विभाग के आंकड़ों के अनुसार 15 दिसंबर 2020 तक कुल 129 अपराधी मुठभेड़ में मारे गए और 2,782 घायल हुए। इन कार्रवाइयों में पुलिस के भी 13 जवान शहीद हुए और 1031 घायल हुए। 25 हजार के इनामी 9157 अपराधी, 25 से 50 हजार के इनामी 773 अपराधी और 50 हजार से अधिक के 91 इनामी अपराधी यानी कुल 10,021 अपराधी जेल भेजे गए। 2017 में सरकार बनते ही वादे के अनुसार पहली कैबिनेट में ही 86 लाख छोटे किसानों के 36 हजार करोड़ रुपये के कर्ज माफ किए गए। इसी तरह, धान की खरीद में इस बार सरकार ने रिकॉर्ड बनाया है। भारतीय खाद्य निगम के आंकड़ों के अनुसार 28 दिसंबर 2020 तक उत्तर प्रदेश अकेला ऐसा राज्य है जिसने लक्ष्य से अधिक धान की खरीद की। राज्य सरकार ने इस अवधि में 56.57 लाख टन धान की खरीद की जो लक्ष्य से 1.35 लाख टन ज्यादा है। इसी तरह गेहूं के लिए सरकार ने प्रदेश में 6000 खरीद केंद्र खोले और 65 लाख टन से ज्यादा गेहूं की खरीद की है। यही नहीं, गन्ने के उत्पादन में भी प्रदेश नंबर एक बना हुआ है।

लॉकडाउन के दौरान गन्ने की आपूर्ति अबाध रखी गई, जिससे चीनी मिलों के बंद होने की नौबत नहीं आई। इस दौरान 5,953 करोड़ रुपये का गन्ना भुगतान किया गया। सरकार का दावा है कि साल 2017-2020 के दौरान 47 लाख से ज्यादा गन्ना किसानों को 1,12,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। पिछली सरकार ने 5 साल के कार्यकाल में 95,125 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। पूर्ववर्ती सरकारों ने 21 चीनी मिलों को बेच दिया था। जबकि पिछले चार साल में गोरखपुर और बस्ती में 1999 से बंद पड़ी चीनी मिलें दोबारा चालू की गई। सरकार इस समय करीब 119 चीनी मिलें ऑपरेट कर रही है। प्रदेश सरकार ने 2018-19 से गन्ने का एसएपी नहीं बढ़ाया है। इसके पीछे सरकार का तर्क है कि पहले किसानों से 18 हजार करोड़ का गन्ना खरीदा जाता था, वह अब बढ़कर 36 हजार करोड़ रुपये हो गया है। इसी तरह, केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत अभी तक जारी छह किस्तों के तहत 2.35 करोड़ किसानों को 22594.78 करोड़ रुपये दिए गए हैं। इसके अलावा इस साल 2.16 करोड़ किसानों को 4333.40 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।

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