AP Mishra on UPPCL Scam – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Mon, 18 Nov 2019 13:52:36 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 ये रिश्ता क्या कहलाता है : एपी मिश्रा की खुद की किताब में छुपा है कर्मचारी आंदोलन का राज http://www.shauryatimes.com/news/65318 Mon, 18 Nov 2019 13:48:52 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=65318 कुछ ऐसे कर्मचारी नेता आंदोलन को भड़का रहे हैं, जो खुद एपी मिश्रा के हैं काफी करीबी

लखनऊ : एक तरफ जहां सरकार ने घोटालेबाजों के खिलाफ बड़ी मुहिम छेड़ रखी है तो वहीं एपी मिश्रा से जुड़े कुछ प्रमुख कर्मचारी नेता विद्युत कर्मचारियों को भड़का कर आंदोलन की आड़ में खुद को और एपी मिश्रा से जुड़े तमाम घपलेबाजों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। यही वजह है कि ऐसे नेताओं की मंशा समझते ही तमाम कर्मचारी नेताओं ने इस आंदोलन से खुद को अलग कर लिया और खुल कर सरकार के समर्थन में खड़े हैं। ईओडब्लू की जांच में इस बात के प्रमाण मिले हैं कि डीएचएफएल घोटाले के किंगपिन एपी मिश्रा की तरफ से कर्मचारियों की हड़ताल को प्रोत्साहन दिया जा रहा है, ऐसा करने के पीछे मंशा है कि सरकारी एजेंसियों को उलझाया जा सके और दबाव में लिया जा सके।

ईओडब्लू की जांच में ये पता चला है कि चार चार्टड एकाउंट्स के जरिए कमीशन का पैसा 18 एकाउंट्स में भेजा गया, ये एकाउंट कुछ प्रभावशाली लोगों, कुछ प्रभावशाली कर्मचारी नेताओं और कुछ ब्रोकर्स के हैं। करीब 65 करोड़ का कमीशन की जानकारी अभी तक की जांच में मिली है। यही नहीं गिरफ्तार हुए आशीष चौधरी ने भी स्वीकार किया है कि 11.92 करोड़ का कमीशन उसने अलग अलग एकाउंट्स में भेजा। कमीशनबाजी के लिए 14 फर्मों का इस्तेमाल किया गया, जिनमें दो फर्मों के अलावा सभी फर्जी फर्में थीं।

कमीशनबाजी के इस खेल में गोंडा निवासी एक कथित बिल्डर की भूमिका भी सामने आई है जिसकी 2012 से पहले बेहद साधारण आर्थिक स्थिति थी, पर एपी मिश्रा की तरक्की के साथ ही इसकी भी तरक्की होती चली गई और आज ये करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं। खास बात ये है कि यूपीसीएल से सेवानिवृत्ति के बाद इस कथित बिल्डर ने कंसल्टेंसी के तौर पर एपी मिश्रा को हर महीने लाखो रूपए का भुगतान किया है। ईओडब्लू की जांच में ये तथ्य सामने आए हैं।

यूपीपीसीएल प्रकरण के किंगपिन एपी मिश्रा के करीबियों पर जैसे जैसे फंदा कस रहा है वैसे वैसे विधुत अभियंता संघ से जुड़े कुछ बड़े कर्मचारी नेताओं और तमाम सफेदपोशों में हड़कंप मच गया है। बेचैनी का आलम ये है कि एपी मिश्रा के फेसबुक एकाउंट और कुछ कर्मचारी नेताओं के फेसबुक एकाउंट से वो तमाम तस्वीरें आनन फानन में हटा दी गईं हैं जिसमें एपी मिश्रा उनके साथ नजर आ रहे हैं। पर एपी मिश्रा की खुद की किताब – सिफर से शिखर तक में वो तमाम तथ्य मौजूद हैं जिनमें ऐसे रिश्ते जगजाहिर हो रहे हैं, मसलन …..

एपी मिश्रा की पुस्तक ‘सिफर से शिखर तक’ के पेज नंबर 62/63 में लिखा है कि कैसे 1978 में अभियंता संघ के नेता के रूप में उन्हें पहचान मिली और फिर एपी मिश्रा और शैलेंद्र दुबे ने मिल कर कैसे इस पूरे संगठन को खड़ा किया, पेज नंबर 63 पर एपी मिश्र ने अपनी किताब में लिखा है कि 1979 में बिजली अभियंताओं का बड़ा राज्यव्यापी आंदोलन हुआ।

यह पूर्ण हड़ताल थी जिसमें लगभग डेढ़ हजार अभियंताओं को गिरफ्तार किया गया। सरकार द्वारा मीसा लागू किए जाने के बावजूद आठ-दस दिनों तक प्रदेश में बिजली का संकट पैदा हो गया था। हड़ताल को सफल बनाने के लिए तीन स्तरीय व्यवस्था की गई थी। श्री शैलेन्द्र दुबे सर्वोच्च स्तर पर थे और मैं दूसरे स्तर पर था। इलाहाबाद में लाइट एण्ड कंपनी के मालिक ने आंदोलन के दौरान मेरे छिपने का इन्तजाम किया। अभियंताओं ने अपनी ताकत और अपने जज्बे का भरपूर प्रदर्शन कर दिया था जिसे सरकार भी महसूस कर रही थी।

इसी प्रकार अपनी पुस्तक में एपी मिश्रा ने पेज नंबर – 96 पर एपी मिश्रा इस बात का जिक्र किया है कि कैसे, सपा सरकार में जनेश्वर मिश्रा और रेवती रमन सिंह उनके हितों की रक्षा करते थे। पेज नंबर – 104 व 145 पर एपी मिश्रा ने इस बात पर विस्तार से चर्चा की है कि कैसे सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव से उनके करीबी तालुकात थे।

पेज नंबर – 148 पर एपीआई मिश्रा ने इस बात का हवाला दिया है कि टीवी चैनल्स पर खबरे उनके इशारे पर चलती थी। पेज नंबर 79 पर एपी मिश्रा ने बड़ी शान से बताया है कि कैसे प्रबंधन के लिए कैसे अपने सहयोगी अधिकारियो को सबसे अच्छे होटल में डिनर करवाते थे और स्मार्ट फ़ोन बांटा करते थे वो भी सिम से साथ।

एपी मिश्रा की यह पुस्तक अपनेआप में यह पर्याप्त है कि व्यवस्था में उनकी पकड़ कितनी मजबूत है और गिरफ्तारी के बाद आज तमाम ऐसे लोग कर्मचारियों को भड़का कर आंदोलन कर रहे है जो दरअसल खुद एपी मिश्रा के बेहद करीबी है।

 

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