atul kothari – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Mon, 01 Jul 2019 17:57:00 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 मातृभाषा में हो प्राथमिक शिक्षा तो जल्द होगा ग्राह्य : अतुल कोठारी http://www.shauryatimes.com/news/47342 Mon, 01 Jul 2019 17:57:00 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=47342 लखनऊ : अब तक कोई भी आयोग प्राथमिक अर्थात बाल शिक्षा को ध्यान में रखकर नहीं बनाया गया। नीतियों के बजाय क्रियान्वयन पर ध्यान दें। बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा खेल के माध्यम से दी जाए, जिसकी कुछ कुछ वकालत हमारे इस मसौदे में भी की गई है। इसके साथ ही प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में हो तो वह जल्द ही ग्राह्य होगा। ये बातें भारतीय भाषा मंच के अध्यक्ष अतुल कोठारी ने कही। वे लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में ‘शिक्षा नीति 2019 लखनऊ परिचर्चा‘ आयोजित कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। इस कार्यशाला में देश कई जाने-माने शिक्षाविद्दों ने अपने-अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में कक्षा नौ से सेमेस्टर प्रणाली की बात कही गई है। इसमें व्यवसायिकता पर बल दिया गया है नई शिक्षा नीति में व्यवसायिक शिक्षा पर बल है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का प्रचार-प्रसार हो, जिससे लोगों में नई शिक्षा नीति के बारे में जानकारी हो। एम.फिल. को समाप्त करने के लिए सुझाव दिया गया है, क्योंकि नियुक्ति में इसकी कोई भूमिका नहीं रह गई। शोध के प्रति जागरूकता पर ध्यान देना होगा।

शोधार्थियों में रचनात्मकता के भाव का पोषण करना होगा। कार्यशाला के विशिष्ट अतिथि रूहेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अनिल शुक्ल ने कहा कि शिक्षा व समाज में चोली-दामन का साथ है। शिक्षा के साथ संस्कृति का जुड़ाव महत्वपूर्ण है। विकसित देशों की तुलना में हमारे यहां उच्च शिक्षा में हमारी पहुंच बहुत ही कम है। 94 फीसदी बजट केन्द्रीय विद्यालयों, विश्वविद्यालयों पर खर्च होती हैं, जो आम जन से दूर है। उन्होंने कहा कि व्यवहार में परिवर्तन शिक्षा है। इसमें गुणवत्ता होनी चाहिए। कक्षाओं में छात्रों को जीवन जीना सिखाने पर बल देना चाहिए। शिक्षकों को बच्चों को कुछ भी रटवाने के बजाय उसे जीवन में उतारने पर बल दिया जाना चाहिए। शिक्षा में समानता की भावना होनी चाहिए। प्रोफेसर एसपी सिंह ने कहा कि इस नई शिक्षा नीति में जन-जन को जोड़ने तथा सुझाव लेने का कार्य महत्वपूर्ण है। समाज में स्वच्छ वातावरण की आवश्यकता पर ध्यान देना होगा। शिक्षा संस्थाओं को अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन ईमानदारी पूर्वक करना चाहिए। पाठ्यक्रम उद्देश्य पूर्ण होने चाहिए। शिक्षा व्यवस्था सिद्धांत के साथ साथ समस्या समाधान पर भी बल दें।

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