Decision will be taken on Wednesday to demand the hanging of Nirbhaya’s criminals soon – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Tue, 04 Feb 2020 17:58:29 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 निर्भया के गुनाहगारों को जल्द फांसी की मांग पर बुधवार को आएगा फैसला http://www.shauryatimes.com/news/77103 Tue, 04 Feb 2020 17:58:29 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=77103 नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट निर्भया के गुनाहगारों की जल्द फांसी की मांग को लेकर केंद्र सरकार की याचिका पर बुधवार यानी 5 फरवरी को फैसला सुनाएगा। आज ही निर्भया के माता पिता के वकील ने गुनाहगारों की जल्द फांसी की मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में दायर अर्जी पर जल्द आदेश सुनाए जाने की मांग की थी। उनकी मांग पर जस्टिस सुरेश कैत ने आश्वस्त किया था कि फैसला जल्द ही सुनाया जाएगा। केंद्र सरकार की अर्जी पर हाईकोर्ट ने शनिवार और रविवार को विशेष सुनवाई कर आदेश सुरक्षित रख लिया था। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि नियम के हिसाब से मौजूदा वक्त में निर्भया के हत्यारों को अलग-अलग फांसी दी जा सकती है। जैसे ही राष्ट्रपति दया याचिका खारिज करते हैं, फांसी हो सकती है। उन्होंने कहा था कि कानून और संविधान में सिर्फ दया याचिका खारिज होने के बाद मृत्यदंड देने के लिए 14 दिनों की समय सीमा है। इस अवधि में दोषी अपनी आखिरी इच्छा या कानूनी प्रक्रिया पूरी कर सकता है और जेल प्रशासन तैयारी।

दोषी मुकेश की ओर से वकील रेबेका जॉन ने कहा था कि ट्रायल के डेथ वारंट के खिलाफ दोषी की अर्जी पर हाईकोर्ट ने कोई दखल देने से इनकार कर दिया था। हमें सुप्रीम कोर्ट या ट्रायल कोर्ट जाने के लिए बोला गया था। लिहाजा सरकार की इस अर्जी पर भी हाईकोर्ट के सुनवाई का औचित्य नहीं बनता है। रेबेका जॉन ने कहा था कि दोषियों को अलग-अलग फांसी की सज़ा देने की केन्द्र की दलील सही नहीं है। सरकार ने शतुघ्न चौहान केस में जारी गाइडलाइंस में सुधार के लिए इसलिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की है, क्योंकि उसके पास अलग-अलग फांसी देने का कोई क़ानूनी आधार नहीं है। वो मामला सुप्रीम कोर्ट में अभी लंबित है। उन्होंने कहा था कि चाहे अपराध कितना भी जघन्य हो, दोषियों को समाज कितनी भी नफ़रत की नजर से देखता हो लेकिन उनके भी क़ानूनी अधिकार हैं। आख़िरी सांस तक उन्हें पैरवी का अधिकार है। इस लिहाज से मैं उनकी पैरवी कर रही हूं। फिर कोर्ट जो फैसला ले, वो उस पर निर्भर है।

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