entrusted the weight of creation – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Sun, 29 Nov 2020 09:07:07 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 Ujjain : चांदी की पालकी में सवार होकर ‘हरि’ से मिलने पहुंचे ‘हर’, सौंपा सृष्टि का भार http://www.shauryatimes.com/news/92084 Sun, 29 Nov 2020 08:50:29 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=92084 गोपालजी मंदिर में हुआ हरि-हर मिलन

उज्जैन। कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी अर्थात् वैकुंठ चतुर्दशी के अवसर पर धार्मिक नगरी उज्जैन में सिंधिया देवस्थान ट्रस्ट के प्रसिद्ध गोपाल जी मंदिर में परम्परा के अनुसार शनिवार देर रात हरि-हर हुआ। ‘हर’ (भगवान महाकाल) चांदी की पालकी में सवार होकर गोपाल जी मंदिर पहुंचे, जहां ‘हरि’ (भगवान विष्णु) को तुलसी की माला भेंटकर सृष्टि का भार सौंपा। कोरोना के चलते लगाए गए प्रतिबंध के कारण इस अद्भुत हरि-हर मिलन के साक्षी बनने से इस बार आम श्रद्धालु वंचित रह गए। मान्यता है कि देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक (चतुर्मास) में भगवान विष्णु (हरि) सृष्टि के संचालन का भार भगवान महाकाल को सौंपकर राजा बलि का आतिथ्य स्वीकारने के लिए पाताल लोक चले जाते हैं। चार महीने तक पालात लोक में रहते हैं। इस दौरान भगवान महाकाल सृष्टि का संचालन करते हैं। देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु वापस वैकुंठ धाम आ जाते हैं। इसके बाद वैकुंठ चतुर्दशी पर हर (भगवान महाकाल) सृष्टि का भार हरि को सौंपने के लिए उनके दरबार गोपाल जी मंदिर पहुंचते हैं। उज्जैन में वर्षों से इस परंपरा को प्रतिवर्ष भव्य रूप से मनाया जाता है और हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस हरि-हर मिलन के साक्षी बनते हैं, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते इस परंपरा में आतिशबाजी और हिगोट चलाने पर जिला प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिया था। महाकाल की सवारी में सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई थी।

शनिवार की रात 11 बजे राजाधिराज बाबा महाकाल (हर) चांदी की पालकी में सवार होकर महाकालेश्वर मंदिर से ठाठबाट के साथ गोपाल मंदिर की ओर रवाना हुए। हर की सवारी मंदिर से निकलते ही महाकाल के जयघोष से गगन गुंजायमान हो गया। कड़े सुरक्षा पहरे में भगवान की पालकी रात 12 बजे गोपाल मंदिर पहुंची। सुरक्षा घेरे में पालकी उठाकर चल रहे कहारों के अलावा केवल पुजारी, पुरोहित शामिल थे। सवारी मार्ग पर आम श्रद्धालुओं के दर्शन और पूजन की अनुमति नहीं थी और हिंगोट चलाने और आतिशबाजी पर भी प्रतिबंध था। इसके बावजूद कुछ श्रद्धालु इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए पहुंच गए और फुलझड़ियां जलाकर हरि-हर मिलन का आनंद उठाया। इसके बाद गोपाल मंदिर में हरि-हर मिलन हुआ। यहां भगवान महाकाल व गोपालजी को सम्मुख बैठाकर पूजा-अर्चना की गई। हरि हर मिलन के दौरान गोपाल मंदिर के पुजारियों ने बाबा महाकाल की पूजा-अर्चना पर गोपालजी की ओर से उन्हें तुलसी की माला पहनाई। वहीं महाकाल मंदिर के पुजारियों ने गोपालजी का पूजन कर बिल्व पत्र की माला पहनाई गई। इस तरह सृष्टि का भार हर द्वारा हरि को सौंपने का कार्य संपन्न हुआ। हरि-हर मिलन के बाद महाकाल की सवारी पुनः निर्धारित मार्ग से वापस महाकालेश्वर मंदिर पहुंची।

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