FIFA World Cup: ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस होंगे आमने-सामने – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Sat, 16 Jun 2018 08:41:50 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 FIFA World Cup: ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस होंगे आमने-सामने http://www.shauryatimes.com/news/3596 Sat, 16 Jun 2018 08:41:50 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=3596

विश्व कप में पहला मैच बहुत ही खास होता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने कितनी अच्छी तैयारी की है या आप कितने मजबूत हैं, यह टूर्नामेंट आपकी कड़ी परीक्षा लेता है। स्टेडियम को लेकर अनभिज्ञता, दर्शक और वहां के माहौल से बनने वाले दबाव से यह मैच अलग रूप ले लेता है। मैं जानता हूं कि 1990 में अजेर्टीना और कैमरून के मैच की बात करेंगे। मगर आगे के संस्करणों में आप पाएंगे कि ऐसे कई मौके आए जब दिग्गज टीमें पहले मुकाबले में रंग में नहीं दिखीं। अगर दो टीमों के बीच अंतर बहुत ज्यादा हो तो बात अलग है।विश्व कप में पहला मैच बहुत ही खास होता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने कितनी अच्छी तैयारी की है या आप कितने मजबूत हैं, यह टूर्नामेंट आपकी कड़ी परीक्षा लेता है। स्टेडियम को लेकर अनभिज्ञता, दर्शक और वहां के माहौल से बनने वाले दबाव से यह मैच अलग रूप ले लेता है। मैं जानता हूं कि 1990 में अजेर्टीना और कैमरून के मैच की बात करेंगे। मगर आगे के संस्करणों में आप पाएंगे कि ऐसे कई मौके आए जब दिग्गज टीमें पहले मुकाबले में रंग में नहीं दिखीं। अगर दो टीमों के बीच अंतर बहुत ज्यादा हो तो बात अलग है।  विश्व कप में जल्दी से लय हासिल करना और विपक्षी टीम को चौंकाना काफी अहम होता है। ऐसे में अगर ऐसा कुछ होता है, तो हैरानी नहीं होगी। दक्षिण अमेरिकी टीमों के लिए रूस में पहला मैच आसान नहीं होगा। अजेर्टीना का मुकाबला आइसलैंड से है और लियोन मेसी की मौजूदगी के बावजूद यूरोपीय टीम को हराना आसान नहीं होगा। ब्राजील और पेरू के सामने भी स्विट्जरलैंड व डेनमार्क का सामना करते वक्त यही चुनौती होगी।  उरुग्वे का पहला मुकाबला भले ही मिस्त्र से है, लेकिन उसे भी जल्द से जल्द टॉप गियर में आना होगा। सिर्फ कोलंबिया को जापान का सामना करने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी। क्वालीफायर्स में अजेर्टीना के खेल से मैं खुश नहीं था और मेसी के शानदार प्रदर्शन की वजह से वह क्वालीफाई करने में कामयाब रहे। उनका डिफेंस और मिडफील्ड दोनों ही असंगठित दिख रहे थे। जबकि 2014 में वे इन क्षेत्रों में मजबूत थे और नॉकआउट दौर में चार यूरोपीय टीमों के खिलाफ सिर्फ एक ही गोल खाया था।  जॉर्ज साम्पोली और उनकी टीम को बहुत ज्यादा दोस्ताना मैच खेलने को नहीं मिले, जिससे मैनेजर को चीजें सही करने में दिक्कतें भी हुईं। हालांकि, साम्पोली के नेतृत्व में चिली काफी संगठित दिखी थी, जिससे मुझे आशा बंध रही है। उन्हें रक्षात्मक संगठन में अनुशासन की अहमियत का अंदाजा है। इस तरह के संगठन में मिडफील्ड को किस तरह से इस्तेमाल करना है, यह भी अहम होता है। 2014 में जेवियर मासचेरानो इस विभाग में हमारे लिए शानदार रहे थे। हालांकि, इस बार भी वह उतने मजबूत नहीं दिख रहे हैं और काफी कुछ निकोलस ओटेमेंडी जैसे खिलाड़ियों पर निर्भर होगा।  यूरोपीय लीग में खेलने वाले सभी डिफेंडरों को पता है कि उन्हें क्या करना है। हर खिलाड़ी को अपनी प्रतिबद्धता दिखानी होगी, क्योंकि वे आइसलैंड, क्रोएशिया और नाइजीरिया के साथ मुश्किल ग्रुप में हैं। पहली बार विश्व कप खेल रहे आइसलैंड को हल्के में लेना भारी भूल साबित हो सकती है। दो साल पहले अपने पहले ही यूरो कप में वे क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे थे। उनके पास इस स्तर पर खेलने की क्षमता है। वे व्यावहारिक फुटबॉल खेलना जानते हैं और मजबूत टीमों के खिलाफ उनका जोर अपने हाफ में भीड़ जुटाने पर होता है।  यह एक प्रभावी रणनीति है और इससे उनके खिलाफ गोल करना मुश्किल हो जाता है। उनके खिलाफ शुरू में ही गोल करना काफी अहम होगा, क्योंकि अन्य अंडरडॉग टीमों की तरह जल्द ही गोल नहीं खाने पर आइसलैंड का आत्मविश्वास भी बढ़ता जाएगा। मुझे अजेर्टीना पर विश्वास क्यों है, यह सभी को पता है। मेसी को अपनी महानता साबित करने के लिए इस ट्रॉफी की जरूरत नहीं है, लेकिन वह इसे जीतने के लिए बेताब हैं। यह चीज टीम के लिए बड़ा बोनस है। वह आत्मविश्वास से भरे दिख रहे हैं और हम सभी को पता है कि वह पलक झपकते ही अकेले अपने दम पर मैच का पासा पलट सकते हैं।  विश्व कप जीतने के अनुभव को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता और मैं चाहता हूं कि लियो इसका अनुभव करें। वह प्रेरणा से भरे हैं और विपक्ष की कल्पना से परे का खेल दिखाने में सक्षम हैं। 2014 और क्वालीफायर्स में उन्हें समर्थन नहीं मिला था। क्वालीफायर्स में तो अन्य खिलाड़ियों ने मुश्किल ही कोई गोल किया था। लेकिन, अगर उन्हें समर्थन मिलता है, तो वह बेहद घातक साबित हो सकते हैं। जब तक वह मौजूद हैं, अजेर्टीना कुछ भी कर सकता है। मगर जैसा कि मैं पहले भी कह चुका हूं कि साथ काफी अहम होगा।

विश्व कप में जल्दी से लय हासिल करना और विपक्षी टीम को चौंकाना काफी अहम होता है। ऐसे में अगर ऐसा कुछ होता है, तो हैरानी नहीं होगी। दक्षिण अमेरिकी टीमों के लिए रूस में पहला मैच आसान नहीं होगा। अजेर्टीना का मुकाबला आइसलैंड से है और लियोन मेसी की मौजूदगी के बावजूद यूरोपीय टीम को हराना आसान नहीं होगा। ब्राजील और पेरू के सामने भी स्विट्जरलैंड व डेनमार्क का सामना करते वक्त यही चुनौती होगी।

उरुग्वे का पहला मुकाबला भले ही मिस्त्र से है, लेकिन उसे भी जल्द से जल्द टॉप गियर में आना होगा। सिर्फ कोलंबिया को जापान का सामना करने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी। क्वालीफायर्स में अजेर्टीना के खेल से मैं खुश नहीं था और मेसी के शानदार प्रदर्शन की वजह से वह क्वालीफाई करने में कामयाब रहे। उनका डिफेंस और मिडफील्ड दोनों ही असंगठित दिख रहे थे। जबकि 2014 में वे इन क्षेत्रों में मजबूत थे और नॉकआउट दौर में चार यूरोपीय टीमों के खिलाफ सिर्फ एक ही गोल खाया था।

जॉर्ज साम्पोली और उनकी टीम को बहुत ज्यादा दोस्ताना मैच खेलने को नहीं मिले, जिससे मैनेजर को चीजें सही करने में दिक्कतें भी हुईं। हालांकि, साम्पोली के नेतृत्व में चिली काफी संगठित दिखी थी, जिससे मुझे आशा बंध रही है। उन्हें रक्षात्मक संगठन में अनुशासन की अहमियत का अंदाजा है। इस तरह के संगठन में मिडफील्ड को किस तरह से इस्तेमाल करना है, यह भी अहम होता है। 2014 में जेवियर मासचेरानो इस विभाग में हमारे लिए शानदार रहे थे। हालांकि, इस बार भी वह उतने मजबूत नहीं दिख रहे हैं और काफी कुछ निकोलस ओटेमेंडी जैसे खिलाड़ियों पर निर्भर होगा।

यूरोपीय लीग में खेलने वाले सभी डिफेंडरों को पता है कि उन्हें क्या करना है। हर खिलाड़ी को अपनी प्रतिबद्धता दिखानी होगी, क्योंकि वे आइसलैंड, क्रोएशिया और नाइजीरिया के साथ मुश्किल ग्रुप में हैं। पहली बार विश्व कप खेल रहे आइसलैंड को हल्के में लेना भारी भूल साबित हो सकती है। दो साल पहले अपने पहले ही यूरो कप में वे क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे थे। उनके पास इस स्तर पर खेलने की क्षमता है। वे व्यावहारिक फुटबॉल खेलना जानते हैं और मजबूत टीमों के खिलाफ उनका जोर अपने हाफ में भीड़ जुटाने पर होता है।

यह एक प्रभावी रणनीति है और इससे उनके खिलाफ गोल करना मुश्किल हो जाता है। उनके खिलाफ शुरू में ही गोल करना काफी अहम होगा, क्योंकि अन्य अंडरडॉग टीमों की तरह जल्द ही गोल नहीं खाने पर आइसलैंड का आत्मविश्वास भी बढ़ता जाएगा। मुझे अजेर्टीना पर विश्वास क्यों है, यह सभी को पता है। मेसी को अपनी महानता साबित करने के लिए इस ट्रॉफी की जरूरत नहीं है, लेकिन वह इसे जीतने के लिए बेताब हैं। यह चीज टीम के लिए बड़ा बोनस है। वह आत्मविश्वास से भरे दिख रहे हैं और हम सभी को पता है कि वह पलक झपकते ही अकेले अपने दम पर मैच का पासा पलट सकते हैं।

विश्व कप जीतने के अनुभव को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता और मैं चाहता हूं कि लियो इसका अनुभव करें। वह प्रेरणा से भरे हैं और विपक्ष की कल्पना से परे का खेल दिखाने में सक्षम हैं। 2014 और क्वालीफायर्स में उन्हें समर्थन नहीं मिला था। क्वालीफायर्स में तो अन्य खिलाड़ियों ने मुश्किल ही कोई गोल किया था। लेकिन, अगर उन्हें समर्थन मिलता है, तो वह बेहद घातक साबित हो सकते हैं। जब तक वह मौजूद हैं, अजेर्टीना कुछ भी कर सकता है। मगर जैसा कि मैं पहले भी कह चुका हूं कि साथ काफी अहम होगा।

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FIFA World Cup: ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस होंगे आमने-सामने http://www.shauryatimes.com/news/3593 Sat, 16 Jun 2018 08:38:06 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=3593 फीफा वर्ल्ड कप के 21वें संस्करण में आज दोपहर 3:30 बजे ग्रुप-सी में ऑस्ट्रेलिया का सामना पूर्व विजेता फ्रांस से कजान एरिना में होगा. ऑस्ट्रेलिया का यह छठा वर्ल्ड कप है, जिसकी वो जीत के साथ शुरुआत करना चाहेगी.फीफा वर्ल्ड कप के 21वें संस्करण में आज दोपहर 3:30 बजे ग्रुप-सी में ऑस्ट्रेलिया का सामना पूर्व विजेता फ्रांस से कजान एरिना में होगा. ऑस्ट्रेलिया का यह छठा वर्ल्ड कप है, जिसकी वो जीत के साथ शुरुआत करना चाहेगी.  ऑस्ट्रेलिया के लिए हालांकि यह मैच किसी भी लिहाज से आसान नहीं रहने वाला है. दिदिर डेसचेम्पस की फ्रांस को खिताब का प्रबल दावेदार माना जा रहा है. वह हर लिहाज से ऑस्ट्रेलिया से बेहतर टीम है.  ऑस्ट्रेलिया के वर्ल्ड कप में क्वालिफाई करने के बाद ही कोच एग्ने पोस्टेकोग्लु ने टीम के कोच पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद मारविक को टीम का नया कोच घोषित किया गया.  नए कोच नहीं चाहते कि वह टीम के अभियान की शुरुआत हार से हो. ऐसे में वह रक्षात्मक रणनीति के साथ मैदान पर उतर सकते हैं. ऐसे में गोलकीपर मैट रेयान के ऊपर बड़ी जिम्मेदारी होगी, जबकि डिफेंसिव लाइन वही हो सकती है जो हंगरी के खिलाफ उतरी थी.  FIFA वर्ल्ड कप: रोनाल्डो ने हैट्रिक लगा हार बचाई, पुर्तगाल-स्पेन मैच 3-3 से ड्रॉ  मिडफील्ड में कोच, जैक्सन इरवाइन को मौका दे सकते हैं. वहीं आक्रमण पंक्ति का मुख्य हिस्सा टोमिक ज्यूरिख हैं, जिन पर टीम काफी हद तक निर्भर है.  वहीं, फ्रांस की बात की जाए तो उसकी आक्रमण पंक्ति बेहद शानदार है, जो किसी भी डिफेंस को भेद सकती है. अटैक की जिम्मेदारी एंटोनी ग्रीजमैन पर होगी, लेकिन उनका साथ देने के लिए कयलियान मबप्पे और स्पेनिश क्लब बार्सिलोना के लिए खेलने वाले युवा ओयुसमाने डेमबेले हैं.  मिडफील्ड में पॉल पोग्बा की और एनगोलो कान्ते की जोड़ी का खेलना तय है. कोच इस जोड़ी के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे.

ऑस्ट्रेलिया के लिए हालांकि यह मैच किसी भी लिहाज से आसान नहीं रहने वाला है. दिदिर डेसचेम्पस की फ्रांस को खिताब का प्रबल दावेदार माना जा रहा है. वह हर लिहाज से ऑस्ट्रेलिया से बेहतर टीम है.

ऑस्ट्रेलिया के वर्ल्ड कप में क्वालिफाई करने के बाद ही कोच एग्ने पोस्टेकोग्लु ने टीम के कोच पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद मारविक को टीम का नया कोच घोषित किया गया.

नए कोच नहीं चाहते कि वह टीम के अभियान की शुरुआत हार से हो. ऐसे में वह रक्षात्मक रणनीति के साथ मैदान पर उतर सकते हैं. ऐसे में गोलकीपर मैट रेयान के ऊपर बड़ी जिम्मेदारी होगी, जबकि डिफेंसिव लाइन वही हो सकती है जो हंगरी के खिलाफ उतरी थी.

मिडफील्ड में कोच, जैक्सन इरवाइन को मौका दे सकते हैं. वहीं आक्रमण पंक्ति का मुख्य हिस्सा टोमिक ज्यूरिख हैं, जिन पर टीम काफी हद तक निर्भर है.

वहीं, फ्रांस की बात की जाए तो उसकी आक्रमण पंक्ति बेहद शानदार है, जो किसी भी डिफेंस को भेद सकती है. अटैक की जिम्मेदारी एंटोनी ग्रीजमैन पर होगी, लेकिन उनका साथ देने के लिए कयलियान मबप्पे और स्पेनिश क्लब बार्सिलोना के लिए खेलने वाले युवा ओयुसमाने डेमबेले हैं.

मिडफील्ड में पॉल पोग्बा की और एनगोलो कान्ते की जोड़ी का खेलना तय है. कोच इस जोड़ी के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे.

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