Gandhiji believed in ‘mass communication’ – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Sat, 30 Jan 2021 06:42:01 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 जनसंचार नहीं, ‘जनसंवाद’ में भरोसा करते थे गांधीजी : बनवारी http://www.shauryatimes.com/news/100304 Sat, 30 Jan 2021 06:35:32 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=100304 ‘स्वतंत्रता’ से ज्यादा ‘स्वच्छता’ को महत्वपूर्ण मानते थे बापू : संजय कांबले

नई दिल्ली। “अगर हमें महात्मा गांधी जैसा संचारक बनना है, तो आज हम तकनीक का सहारा लेंगे। लेकिन हमें यह समझना होगा कि आज की तकनीक जनसंचार पर आधारित है, जबकि गांधी जी जनसंवाद पर भरोसा करते थे।” यह विचार वरिष्ठ पत्रकार एवं गांधीवादी चिंतक बनवारी ने शुक्रवार को भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘शुक्रवार संवाद’ में व्यक्त किए। इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो.संजय द्विवेदी, अपर महानिदेशक के. सतीश नंबूदिरीपाद एवं अपर महानिदेशक (प्रशिक्षण) ममता वर्मा भी मौजूद थीं। ‘महात्मा गांधी: एक संचारक’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए बनवारी ने कहा कि गांधीजी का दर्शन स्थिर नहीं, बल्कि जीवंत और व्यापक रहा है। यह तकनीक केंद्रित नहीं है, बल्कि जन केंद्रित है। उन्होंने कहा कि यह बापू के कुशल संचार का ही नतीजा था कि भारत के अंतिम व्यक्ति के जीवन में भी उनके विचारों का असर रहा।

श्री बनवारी के अनुसार गांधी जी का जीवन किसी नदी के समान था, जिसमें कई धाराएं मौजूद थीं। गांधी जी का मानना था कि अहिंसा नैतिक जीवन जीने का मूलभूत तरीका है। यह सिर्फ आदर्श नहीं, बल्कि यह मानव जाति का प्राकृतिक नियम है। श्री बनवारी ने कहा कि महात्मा गांधी अपने संचार के माध्यम से स्वच्छता का संदेश भी देते थे। मंदिरों में फैली गंदगी को देखने के बाद उन्होंने कहा था कि जो समाज अपने पवित्र स्थानों को स्वच्छ न रख सकता हो, उसे स्वतंत्रता प्राप्ति का कोई अधिकार नहीं है। गांधी जी मानते थे कि हमें उस भाषा में संवाद करना चाहिए, जो लोग समझते हैं।

इस अवसर पर ‘महात्मा गांधी एवं स्वच्छता’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए समाजसेवी संजय कांबले ने कहा कि महात्मा गांधी ‘स्वतंत्रता’ से ज्यादा ‘स्वच्छता’ को महत्वपूर्ण मानते थे। वह सिर्फ बाहरी स्वच्छता के पक्षधर नहीं थे, बल्कि मन की स्वच्छता के भी प्रबल पक्षधर थे। उनका यह मानना था कि यदि मन और पड़ोस स्वच्छ नहीं होगा, तो अच्छे, सच्चे एवं ईमानदार विचारों का आना असंभव है। श्री कांबले के अनुसार यदि कोई व्यक्ति अपनी स्वच्छता के साथ दूसरों की स्वच्छता के प्रति संवेदनशील नहीं है, तो ऐसी साफ सफाई का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि हम अपने घरों से गंदगी हटाने में विश्वास करते हैं, लेकिन हम समाज की परवाह किए बगैर इसे गली में फेंकने में भी विश्वास रखते हैं। इस आदत को बदलने की आवश्यकता है। श्री कांबले ने कहा कि सफाई करने वाले लोगों का हम सभी को सम्मान करना चाहिए। कार्यक्रम के प्रारंभ में डीन (अकादमिक) प्रो.गोविंद सिंह ने स्वागत भाषण दिया तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो.संगीता प्रणवेंद्र ने किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो.प्रमोद कुमार ने किया।

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