Guru Gobind Singh – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Thu, 02 Jan 2020 09:38:54 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 प्रकाश पर्व पर गुरु गोविंद सिंह को राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति व पीएम मोदी ने किया याद http://www.shauryatimes.com/news/72170 Thu, 02 Jan 2020 09:38:54 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=72170 नई दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरूवार को सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह को उनके प्रकाश पर्व के अवसर पर याद करते हुए देशवासियों से गुरुजी के बताये मार्ग पर चलकर नए भारत के संकल्प को मजबूत करने का आह्वान किया। गुरु गोविंद सिंह एक आध्यात्मिक गुरु, योद्धा, कवि और दार्शनिक थे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने संदेश में कहा, गुरु गोविंदसिंह जी को उनकी जयंती पर मेरी श्रद्धांजलि। उनका जीवन लोगों की सेवा और सत्‍य, न्‍याय एवं करुणा के जीवन-मूल्यों के प्रति समर्पित रहा। गुरु गोविंदसिंह जी का जीवन और शिक्षाएं हमें आज भी प्रेरित करती हैं।

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा, आज गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती के पावन अवसर पर पूज्य गुरु की स्मृति को सादर नमन करता हूं तथा देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। गुरु गोविंद सिंह जी का जीवन संदेश तथा उनके कृतित्व हमारे राष्ट्रीय, सामाजिक और निजी जीवन में आज भी अनुकरणीय हैं। वेंकैया ने कहा कि उनकी शिक्षा हमारे राष्ट्रीय जीवन का मार्ग दर्शन करे और हमें प्रेरणा दे कि हम मानवता के काम आ सकें।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट संदेश में हम श्री गुरु गोविंद सिंह जी को उनके प्रकाश पर्व पर नमन करते हैं। प्रधानमंत्री ने एक वीडियो संदेश भी साझा किया। इसमें उन्होंने कहा कि देश आज गुरु गोविंद सिंह का प्रकाश पर्व मना रहा है। खालसा पंथ के सृजनहार, मानवता के पालनहार, भारतीय मूल्यों के लिए समर्पित गुरु गोविंद सिंह जी को श्रद्धापूर्ण नमन करता हूं। श्री गुरु गोविंद के व्यक्तित्व में अनेक विधाओं का संगम है, वो गुरु तो थे ही भक्त भी श्रेष्ठ थे, वो जितने अच्छे योद्धा थे उतने ही बेहतरीन कवि और साहित्यकार भी थे। अन्याय के खिलाफ उनका जितना कड़ा रुख था, उतना ही शांति के लिए भी आग्रह था। मानवता, राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए उनके सर्वोच्च बलिदान से देश और दुनिया परिचित है। वीरता के साथ उनकी धीरता और धैर्य अद्भुत था। वे संघर्ष करते थे लेकिन त्याग की पराकाष्ठा अभूतपूर्व थी। वे समाज में बुराईयों के खिलाफ लड़ते थे, ऊंच-नीच का भाव, जातिवाद के जहर के खिलाफ भी उन्होंने संघर्ष किया। यही सारे मूल्य नए भारत के निर्माण के मूल में हैं।

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