It is very important for China to become a permanent member of the Security Council to eliminate arrogance! – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Fri, 19 Jun 2020 21:48:22 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 चीन की ​हेकड़ी मिटाने को सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनना बहुत जरूरी! http://www.shauryatimes.com/news/79728 Fri, 19 Jun 2020 17:26:47 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=79728 वयं राष्ट्रे जागृयाम ।(52)

-विवेकानंद शुक्ल

नेपाल के कम्युनिस्ट सरकार द्वारा परिवर्तित किए गए अपने मानचित्र को लेकर हिंदुस्तान की विदेश नीति पर सवाल उठाने वाले निकटदृष्टि दोष से ग्रसित वामपंथी मरीज़ संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा समिति में अस्थायी सदस्य के लिए हिंदुस्तान को मिले शानदार समर्थन पर सदमे में आ गए हैं। कल 18 जून को हिंदुस्तान ने 19 वर्ष के अंतराल के बाद दो साल के कार्यकाल के लिये नये अस्थाई सदस्य के तौर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में औपचारिक तौर पर अपनी जगह बना ली। हिंदुस्तान संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के एशिया-प्रशांत समूह का समर्थन प्राप्त करने वाला एकमात्र उम्मीदवार था और इस मुकाबले में कोई देश नहीं आया। 15 सदस्यीय परिषद में पांच अस्थायी सीट में से एक के लिए हिंदुस्तान का चुनाव किया गया है।193 सदस्यों वाले संयुक्त राष्ट्रमें हिंदुस्तान को जीत के लिए दो-तिहाई यानी 128 देशों के समर्थन की जरूरत थी। सदस्य देश सीक्रेट बैलेट से वोटिंग करते हैं। हिंदुस्तान का कार्यकाल 1 जनवरी 2021 से शुरू होगा।बुधवार को हुई वोटिंग में महासभा के 193 देशों ने हिस्सा लिया। 184 देशों ने हिंदुस्तान का समर्थन किया और भारत निर्विरोध चुन लिया गया क्योंकि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में कोई और उम्मीदवार नही था।

पन्द्रह सदस्यीय सुरक्षा परिषद में 5 स्थाई सदस्य हैं जिनके पास वीटो शक्ति है जबकि 10 अन्य अस्थाई सदस्य हैं जिनमें से आधे सदस्यों का चुनाव हर दूसरे वर्ष दो साल के लिये होता है।हिंदुस्तान को अस्थाई सदस्य बनाए जाने की घोषणा के बाद अमेरिका की तरफ से एक बयान जारी किया गया। इसमें कहा गया, “हम हिंदुस्तान का स्वागत करते हैं। उसे बधाई देते हैं। दोनों देश मिलकर दुनिया में अमन बहाली और सुरक्षा के मुद्दों पर काम करेंगे। दोनों देशों के बीच ग्लोबल स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप है। हम इसे और आगे ले जाना चाहते हैं।”

न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में इस संबंध में बातचीत से जुड़े राजनयिक सूत्रों ने बताया कि हिंदुस्तान से आतंकवाद रोधी दो प्रमुख समितियों में से एक की जिम्मेदारी संभालने का अनुरोध किए जाने के बारे में बातचीत अंतिम चरण में है।हिंदुस्तान जो आतंकवाद से स्वयं त्रस्त है निश्चित तौर पर आतंकवाद रोधी समिति में बेहतर कार्य करेगा और प्रभावी रोकथाम लगा सकेगा। इसके पूर्व 22 मई 2020 से WHO के एक्ज़ीक्यूटिव बोर्ड का अध्यक्ष भारत के स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन हो गए…और विश्व के 123 सदस्य देशों ने चीन द्वारा क़ोरोना फैलाने के अपराध की जांच WHO द्वारा किए जाने का प्रस्ताव दिया हैं…।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने G-7 का विस्तार और ज़्यादा वैश्विक बनाने के लिए इसमें हिंदुस्तान, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और रूस को भी शामिल करने की बात कही है।G-7, जिसमें विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ पहले से ही शामिल हैं, में चार अन्य देशों को शामिल करने के कदम को चीन के लिये एक संकेत के रूप में देखा जा सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति का यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब अमेरिका और चीन के संबंधों में विभिन्न मुद्दों पर तनाव बना हुआ है, जिसमें हॉन्गकॉन्ग की स्वायत्तता, ताइवान, COVID-19 की उत्पत्ति, दक्षिण चीन सागर में तनाव और व्यापार जैसे विभिन्न पहलू शामिल हैं। आज हम जीडीपी के आधार पर दुनिया की पांचवीं र्आिथक शक्ति हैं तो उपभोक्ता संख्या और क्रयशक्ति (PPP)के आधार पर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी ताकत हैं।G-7 का सदस्य बनना,WHO के एक्ज़ीक्यूटिव बोर्ड का अध्यक्ष बनाना और अब 19 साल बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का विश्व के 184 देशों के सहयोग से निर्विरोध अस्थायी सदस्य बनना हिंदुस्तान का विश्व फलक पर उदय होता हुआ हैसियत है। इसी अस्थायी सदस्यीय के लिए कनाडा जैसा देश असफल हो गया जो मात्र 108 देशों का समर्थन प्राप्त कर सका,हालाँकि ख़ालिस्तान समर्थक कनाडा का ये हस्र होना ज़रूरी था।

दरअसल हिंदुस्तान इस बार अपनी नई ऊँचाइयों के साथ सुरक्षा परिषद में प्रवेश करने जा रहा है। दुनिया को हिंदुस्तान की बढ़ती औक़ात समझ में आ चुका है। कोरोना संकट से गुजरने के बाद वैश्विक राजनीति और कूटनीति का समीकरण पूरी तरह से बदल रहा है। चाइनीज़ वाइरस क़ोरोना से अमेरिका जिस तरह से प्रभावित हुआ है, उसके चलते अब वह अकेले अपने दम पर लोकतंत्र के दुश्मन कम्युनिस्ट निरंकुश तानाशाह चीन से नही निपट सकता है।अमेरिका अपने कंधों पर विश्व की सबसे बड़ी महाशक्ति होने का बोझ हमेशा हमेशा उठाए नहीं रह सकता। उसे एक ऐसा विश्वसनीय दोस्त चाहिए जिसके कंधे का उसे सहारा मिल सके। इसके लिए अमेरिका सबसे स्वाभाविक दोस्त हिंदुस्तान हो सकता है क्योंकि दोनों देशों की लोकतांत्रिक मूल्यों में अटूट आस्था है। अब हिंदुस्तान दुनिया में अपने बढ़ते क़द के दम पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के स्थाई सदस्य बनने का मज़बूत दावा पेश कर सकेगा।अमेरिका पहले ही सुरक्षा परिषद के विस्तार की वकालत कर चुका है।सुरक्षा परिषद में नये स्थाई सदस्यों को शामिल करने की मांग करते हुये समूह चार के देशों (जर्मनी, जापान, दक्षिण अफ्रीका और हिंदुस्तान) ने विस्तार के प्रयास के लिये हाथ मिलाया है।

हिंदुस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के स्थाई सदस्य बनना बहुत आवश्यक है। तभी जाकर चीन की हेकड़ी समाप्त किया जा सकता है। चीन अपने वीटो पावर के हमेशा भारत के ख़िलाफ़ ही प्रयोग करता आया है। यहां तक कि अज़हर मसूद जैसे दुर्दाँत आतंकवादी को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव को अपने वीटो पावर का इस्तेमाल करके गिरा दिया था। हिंदुस्तान में चीन के एजेंटों को नेपाल के कम्युनिस्ट सरकार द्वारा किए जा रहे हिंदुस्तान से रिश्ते ख़राब किए जाना तो दिखता है मगर इन आत्मग्लानि के पैदाइशों को संयुक्त राष्ट्र में 184 देशों द्वारा हिंदुस्तान का समर्थन नही दिखता है। इन दृष्टिदोष के मरीज़ों को हिंदुस्तान का अपने तीन पड़ोसियों से ख़राब सम्बंध तो दिख जाता है मगर चीन के 13 पड़ोसियों से ख़राब सम्बंध नही दिखता है।

इन लेफ़्ट-लिबरल और अर्बन नक्सल्स को हिंदुस्तान के हक़ में कोई भी चीज़ अच्छी नही लगती। शायद इनके बाप को भी इनकी पैदाइश अच्छी नही लगी होगी।ये राष्ट्रीय आपदा और युद्ध में भी दुश्मनों का साथ देते हैं। इनके आकावों और इनकी दवा एक ही है कि किसी भी तरह से हिंदुस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का स्थाई सदस्य बन जाय और विश्व के सभी लोकतांत्रिक शक्तियों को एक जुट करके Chinese Communist Party (CCP) को एक आतंकवादी संगठन घोषित करा दिया जाय और ताइवान में बैठे चाइनीज़ राष्ट्रवादियों के नेतृत्व में चीन में लोकतंत्र की बहाली हो सके, अन्यथा चीन विश्व के सम्पूर्ण अस्तित्व के लिए ख़तरा है।चीन के ख़तरनाक मंसूबे का उदाहरण चाइनीज़ वाइरस क़ोरोना के रूप में चीन द्वारा एक जैविक हथियार के प्रयोग को देखा जा सकता है जिससे आज पूरा विश्व तबाह है!

मेरा देश बदल रहा है, ये पब्लिक है, सब जानने लगी है… जय हिंद-जय राष्ट्र!

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