jaliyawala bagh – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Tue, 03 Dec 2019 18:20:26 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 अब राष्ट्रीय संग्रहालय में हो सकेंगे जलियांवाला बाग की मिट्टी के दर्शन http://www.shauryatimes.com/news/67822 Tue, 03 Dec 2019 18:20:26 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=67822

जलियांवाला बाग में शहादत के 100 साल

नई दिल्ली : अब राष्ट्रीय संग्रहालय में भी लोग जलियांवाला बाग की मिट्टी के दर्शन कर सकेंगे। मंगलवार को जलियांवाला बाग से लाई गई मिट्टी के कलश को संग्रहालय में रखा गया। इस मौके पर संस्कृति व पर्यटन राज्यमंत्री प्रहलाद सिंह पटेल एवं संग्रहालय के मुख्यकार्यकारी अधिकारी रघुवेंद्र सिंह मौजूद थे। जलियांवाला बाग की मिट्टी को नमन करते हुए प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि कलश में रखी मिट्टी महज मिट्टी नहीं बल्कि हमारे पुरखों के रक्त में सना रजकण है, इसीलिए इसे राजधानी के राष्ट्रीय संग्रहालय में विशेष स्थान मिलना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘जब मैं सुल्तानपुर लोदी गया था उसी समय जलियांवाला बाग की मिट्टी लेकर आया था। इस रजकण को मैंने 21 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेंट की। उनके सुझाव से मैंने इस रजकण को राष्ट्रीय संपत्ति बनाने के लिए इसे संग्रहालय में रखने की योजना बनाई। इस संबंध में संग्रहालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रघुवेंद्र सिंह को कहा कि संग्रहालय में एक विशेष स्थान तैयार करें, जहां इस पवित्र कलश को लोगों के दर्शनों के लिए रखा जा सकें। मुझे खुशी है कि तीन दिसम्बर को यह काम सम्पन्न हुआ है और अब लोग वहां पुरखों की शहादत को नमन कर पाएंगे और अपनी श्रद्धांजलि दे पाएंगे।’

जलियांवाला बाग का इतिहास

13 अप्रैल,1919 के दिन जलियांवाला बाग में नरसंहार हुआ था, जिसमें भारतीयों के खून को धधकती ज्वाला में परिवर्तित कर दिया। अमृतसर के जलियावाला बाग में करीब 10,000 लोग बैसाखी त्योहार तथा सत्यपाल व सैफूद्दीन किचलू की गिरफ्तारी-निर्वासन के विरोध में शांतिपूर्ण सभा करने के लिए एकत्रित हुए थे। मार्च 1919 में शाही विधान परिषद ने रोलेट एक्ट पारित किया, जिसमें प्रेस की आजादी पर रोक तथा बिना मुकदमे की गिरफ्तारी जैसे कानून शामिल थे। इस कानून के विरोध में सत्यपाल तथा सैफुद्दीन किचलू ने विरोध प्रदर्शन किया था। एक ही प्रवेश-निकास मार्ग वाले जलियांवाले बाग में ब्रिगेडियर जनरल आर. डायर ने सैन्य दल के साथ प्रवेश कर बिना चेतावनी के 1650 राउंड गोलियां मासूम जनता पर चलवा दी। हंटर आयोग ने इस नरसंहार की घटना पर जांच के बाद 379 लोगों के मारे जाने की खबर दी। हालांकि भारतीय कांग्रेस के अनुसार शहीदों की संख्या 1000 से अधिक थी।
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